हजारीबाग: खेती के दृष्टिकोण से यह जिला पूरे झारखंड में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यहां के उपजाये हुए धनिया पत्ता की खुशबू ने पूरे देश के साथ-साथ विदेशों में भी अपनी विशेष पहचान बनाई है. लेकिन इस लॉकडाउन में धनिया पत्ता का स्वाद देशवासी समेत विदेश के लोग नहीं चख पाएंगे. आलम यह है कि हजारीबाग के इचाक प्रखंड में लगभग 20 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ है.
20 करोड़ का व्यापार प्रभावित
हजारीबाग के इचाक प्रखंड में इस बार धनिया पत्ता का 20 करोड़ रुपया का व्यापार लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुआ है. शायद आपको यह सुनकर आश्चर्य होगा, लेकिन यह हकीकत है. गर्मी के वक्त इचाक प्रखंड में लगभग 500 एकड़ भूमि में अलग-अलग किसान धनिया पत्ता की खेती करते हैं. लॉकडाउन होने के कारण इस बार धनिया पत्ता की खेती बहुत जोर-शोर से नहीं की गयी, लेकिन जो किसान धनिया पत्ता की खेती किए हैं अब वह अफसोस कर रहे हैं. धनिया पत्ते की उम्र भी कम होती है. ऐसे में धनिया पत्ता अब खेतों में ही पड़ा हुआ है और बाजार पूरा ठंडा है. यहां के किसान कहते हैं कि वे लोग गर्मी के वक्त धनिया पत्ता की खेती करते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक खेत से तीन बार फसल निकलता है, लेकिन इस बार वो धनिया पत्ता नहीं बेच पा रहे हैं. अगर नुकसान की बात की जाए तो 5 कट्ठा जमीन में उनलोगों को लगभग 4 से 5 लाख रूपया का मुनाफा होता था, लेकिन इस बार वे लोग 5 रूपया का भी धनिया नहीं बेच पा रहे हैं.
किसानों पर लॉकडाउन का पड़ेगा दूरगामी असर
इचाक के ही रहने वाले प्रगतिशील किसान अशोक महतो बताते हैं कि हजारीबाग का इचाक प्रखंड पूरे देश भर में धनिया पत्ता के लिए जाना जाता है. यहा का उपजाया हुआ धनिया पूरे देश में जाता है. आलम यह है कि देश के पड़ोसी मुल्क जैसे बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, सिंगापुर में भी यहां का धनिया पत्ता जाता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन होने के कारण उनका उपजाया हुआ धनिया पत्ता हजारीबाग से भी बाहर नहीं निकल पा रहा है, जिस कारण किसानों को बहुत समस्या हो रही है. अगर व्यापार की बात की जाए तो लगभग 20 करोड़ रुपया का नुकसान सिर्फ इचाक के किसानों को संयुक्त रूप से हुआ है.
किसानों की मदद
किसानों का यह भी कहना है कि इसका असर दूरगामी पड़ेगा, क्योंकि इस पैसे से वे लोग आगे की खेती के लिए तैयारी करते थे. जब धनिया पत्ता नहीं बिकेगा तो उनके पास पैसा नहीं रहेगा और वो आगे की भी खेती नहीं कर पाएंगे. ऐसे में किसानों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनका धनिया पत्ता बाजारों में बेचा जाए, ताकि आगे का जीवन यापन हो सके. अब देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन और बाजार समिति इन किसानों की कैसे मदद कर पाती है.