हजारीबागः विनोबा भावे विश्वविद्यालय का 9वां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ. विवेकानंद हॉल में आयोजित दीक्षांत समारोह में राज्यपाल सह कुलाधिपति रमेश बैस विद्यार्थियों को उपाधि और गोल्ड मेडल प्रदान कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की. विश्वविद्यालय परिसर में कुलाधिपति रमेश बैस ने सबसे पहले विनोबा भावे की मूर्ति पर माल्यार्पण किया. एकेडमिक प्रोसेशन के द्वारा उनका स्वागत कर कार्यक्रम स्थल तक लाया गया.
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विनोबा भावे विश्वविद्यालय के लिए आज का दिन बेहद खास रहा. विवि के 9वें दीक्षांत समारोह कार्यक्रम सफलता के साथ संपन्न हुआ. झारखंड के राज्यपाल सह कुलाधिपति रमेश बैस ने छात्रों को उपाधि प्रदान की. 2 घंटे के कार्यक्रम में 200 छात्रों को उपाधि प्रदान किया गया. पहले यह निश्चित किया गया था कि 50 छात्रों को कुलाधिपति के हाथ हो उपाधि प्रदान कराई जाएगी. लेकिन कुलाधिपति सह राज्यपाल रमेश बैस ने अपने हाथों से सभी छात्रों को उपाधि दिया ताकि उत्साह में किसी भी तरह की कमी ना हो.
इस कार्यक्रम कोविड नियम के तहत किया गया. जिस कारण दीक्षांत समारोह में निश्चित संख्या में ही छात्र एवं अतिथियों ने हिस्सा लिया. वैसे छात्र और अभिभावक जो दीक्षांत समारोह देखने के लिए इच्छुक थे उनके लिए अलग व्यवस्था की गई थी. जो ऑनलाइन या फिर एलईडी के जरिए दूसरे भवन से कार्यक्रम का लुफ्त उठाया. दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, लेक्चरर एवं छात्र सफेद कुर्ता पजमा वहीं छात्रा सूट एवं सफेद साड़ी में नजर आई भारतीय परंपरा और पहनावा पर इस कार्यक्रम में विशेष रूप से जोड़ दिया गया. 9वें दीक्षांत समारोह में वर्ष 2019, 2020, 2021 एवं 2022 के उत्तीर्ण विद्यार्थियों के बीच उपाधि पत्र का वितरण किया गया. इस अवसर पर मानविकी, सोशल साइंसेज एवं शिक्षा, साइंस, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, मेडिसिन, होम्योपैथी जैसे विषयों के विभिन्न पाठ्यक्रमों में उत्तीर्ण विद्यार्थियों के बीच उपाधि पत्र का वितरण किया गया.
उपाधि देने के बाद कुलाधिपति रमेश बैस ने छात्र एवं प्रोफेसर को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे आप लोगों के बीच आने पर अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है. संत विनोबा भावे को मैं नमन करता हूं. सभी उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को हृदय से बधाई देता हूं और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं. उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज में प्रकाश स्तंभ की तरह होते हैं जो अपने शिष्य को सही राह दिखाकर अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाते हैं. आज का दिवस सभी उपाधि धारकों के लिए जीवन का अविस्मरणीय पल है. साथ ही साथ विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणादायक एवं उत्साहवर्धक है. जिन विद्यार्थियों ने अथक प्रयास वह अपनी बुद्धिमता की योग्यता हासिल की है उनके सम्मान में समारोह को मनाने हेतु हमलोग एकत्रित हुए हैं. उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य मानवीय मूल्यों व आदर्शों का विस्तार करना है. सफलता हमारा परिचय दुनिया से कराता है और असफलता हमें दुनिया का परिचय कराती है. भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान होता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भीड़ हमेशा सही रास्ते पर चलती है. अपने रास्ते खुद चुनिए क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता. उन्होंने कहा कि उपाधि लेने वालों में बालिकाओं की संख्या अधिक दिख रही है. जो नए भारत की बेटियां हैं जो अपनी क्षमता दक्षता और प्रतिबद्धता से विकास की नई इबारत लिख रही है. उन्होंने छात्रों को आत्मनिर्भर रहने का भी पाठ पढ़ाया. साथ ही साथ राष्ट्र निर्माण में अपना अहम योगदान देने को प्रेरित भी किया.
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कुलपति डॉ. मुकुल नारायण देव ने अपने संबोधन में छात्रों को शुभकामना दी और मुख्य अतिथि का स्वागत भी किया. उन्होंने कहा कि 1992 से विनोबा भावे विश्वविद्यालय क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगा रही है. विश्वविद्यालय ने 30 वर्षों की यात्रा में कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं. उन्होंने विश्वविद्यालय का परिचय देते हुए कहा कि यहां के छात्र कई क्षेत्रों में अपना अहम योगदान दे रहे हैं. विश्वविद्यालय के अंतर्गत मेडिकल कॉलेज से लेकर कई निजी कॉलेज भी चलाए जा रहे हैं. वही आने वाले समय में बगोदर, जमुआ, बड़कागांव, मांडू और सिमरिया में डिग्री कॉलेज की स्थापना की प्रक्रिया चल रही है. परीक्षाओं का आयोजन समय पर हो रहा है. डिजिटल स्टूडियो का उद्घाटन करके हम लोगों ने इसे छात्रों के हवाले किया है. जहां अब प्रोफेसर लेक्चर रिकॉर्ड कर छात्रों को उपलब्ध करा रहे हैं जिससे छात्रों का विकास भी हो रहा है. विश्वविद्यालय अधिक से अधिक सौर ऊर्जा का उपयोग करें इसके लिए जोर दिया जा रहा है. छात्रों को आत्मनिर्भर करने के लिए हम लोग प्रयासरत हैं. खेलकूद से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में समाज के लोगों को मदद करने के लिए भी विश्वविद्यालय काम कर रहा है.