हजारीबागः झारखंड में विदेशी पक्षियों का जमावड़ा होता है. लेकिन फ्लेमिंगो नामक पक्षी कभी झारखंड के डैम में नहीं दिखा. इस साल यह पक्षी तिलैया डैम में चहलकदमी करते दिखे हैं. एशियन वाटर बर्ड सेंसस कर रही टीम ने तिलैया डैम के जवाहर घाट के पास फ्लेमिंगो के समूह की फोटोग्राफी की है. इससे पहले झारखंड में फ्लेमिंगो देखने की रिपोर्ट नहीं हुई है. फ्लेमिंगो पक्षी दिखने के बाद हजारीबाग सहित पूरे झारखंड के बर्ड्स लवर्स काफी उत्साहित है.
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झारखंड के प्रवासी पक्षियों की सूची में अब एक नया नाम जुड़ गया है. वाटर बर्ड की गणना करने वाली टीम के लीडर ने बताया कि 6 फ्लेमिंगो का समूह तिलैया डैम में मिला है. इस पक्षी की चहलकदमी से डैम की खूबसूरती काफी बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि मोटर बोट से डैम में दूर तक जाने पर पक्षी स्पष्ट रूप से दिखता है. हालांकि, आने वाले कुछ दिनों में ये पक्षी अपने पुराने आवास में चले जाएंगे.
बर्ड्स लवर अमित जैन कहते हैं कि भारत में फ्लेमिंगो पक्षी महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों में दिखता है. भारत में कजाकिस्तान की तरफ से भी फ्लेमिंगो ठंड के मौसम में विभिन्न जलाशयों में पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि इस पक्षी के गर्दन में हरे रंग का प्लास्टिक रिंग लगा हुआ है.
हजारीबाग पश्चिमी वन प्रमंडल के डीएफओ रविंद्र कुमार मिश्रा ने नये पक्षी के दिखने पर प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने कहा कि तिलैया डैम इंपॉर्टेंट बर्ड एरिया (आईबीए) घोषित है. नये पक्षियों का आना यह साबित करता है कि यहां की आबोहवा काफी अनुकूल है.
फ्लेमिंगो पक्षी राजहंस की एक प्रजाति है, जो अफ्रीका के कुछ भागों और भारत के कच्छ और चिल्का झील में मुख्य रूप से पाया जाता है. इसका रंग गुलाबी या गुलाबीपन लिये सफेद होता है. यह बड़े आकार की पक्षी है और लगभग 90 सेमी ऊंची होती है. इसकी लंबी गर्दन, पूंछ और पैरो का रंग भी गुलाबी होता है. ग्रेटर फ्लेमिंगो की चोंच हल्की गुलाबी होती है. हालांकि, लेसेर फ्लेमिंगो की चोच गहरे लाल रंग की होती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि फ्लेमिंगो का प्रजनन का समय होता है तो वह हल्के गुलाबी रंग की हो जाती है, जो इसकी सुंदरता को बढ़ा देती है.