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किराए पर जमीन लेने वाले किसान बदहाल, मदद के लिए नहीं बनी सरकारी स्कीम

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Published : May 20, 2021, 4:42 PM IST

Updated : May 20, 2021, 9:10 PM IST

हजारीबाग में कई किसान किराए पर जमीन लेकर खेती करते हैं. वैसे किसानों को अगर मौसम का साथ मिलता है तो अच्छी खासी कमाई हो जाती है, लेकिन मौसम का साथ नहीं मिलने पर किसानों की माली हालत खराब हो जाती है. ऐसे किसानों के मदद के लिए अब तक कोई सरकारी स्कीम भी नहीं है, जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

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किसान परेशान

हजारीबाग: झारखंड समेत कई राज्यों में किराए पर जमीन लेकर खेती करने की एक परंपरा शुरू हो गई है. बेरोजगार युवक किसी जमीन को 5 साल या उससे कम समय के लिए भी लीज में लेते है और उसी से लीज की रकम कमा कर वापस करते हैं, लेकिन ऐसे किसानों के लिए सरकार के पास कोई विशेष योजना नहीं है. नाबार्ड के पास योजना तो है, लेकिन किसानों को उसकी जानकारी नहीं है, जिसके कारण किराएदार किसान उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं. जब विपत्ति आती है, तो उनका भारी नुकसान होता है.

देखें स्पेशल स्टोरी

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हजारीबाग एक कृषि प्रधान जिला है. हाल के दिनों में यह जिला कृषि के लिए दूसरे राज्यों में भी जाना जा रहा है. इस जिले में उपजाया हुआ टमाटर, तरबूज, धनिया पत्ता देश के कोने-कोने तक पहुंच रहा है. खासकर धनिया पत्ता की खुशबू विदेशों तक पहुंच रही है. जिले के अधिकतर किसान भाड़े पर जमीन लेकर खेती करते हैं. खेती के लिए किसानों को 5000 रुपया प्रति एकड़ एक मौसम के लिए देना होता है. किसान साल में दो बार भाड़े पर लिए जमीन पर खेती करते हैं, तो उसे दोगुनी रकम देनी होती है, ऐसे किसानों के लिए सरकार के पास कोई विशेष योजना नहीं है. ऐसे में किसान भी कहते हैं कि वे भगवान भरोसे ही खेती करते हैं, अगर मौसम ने साथ दिया तो अच्छी कमाई होती है, अगर मौसम ने साथ नहीं दिया तो सब कुछ बर्बाद हो जाता है. वर्तमान समय में मौसम की बेरुखी के कारण खेती पर बुरा असर पड़ा है. वहीं संक्रमण के कारण बाजार भी बंद है. लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्य से व्यवसायी भी नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में किसान काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि किसान मौसम की मार के साथ-साथ कोरोना का मार भी झेल रहा है.

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तरबूज ढोती किसान

किसानों को सपोर्ट संस्था कर रही मदद
वहीं, खेती में किसानों को मदद करने वाली सपोर्ट संस्था का कहना है कि किसानों को बाजार उपलब्ध कराया जाता है, मुख्य रूप से किसानों को उपजाए फसल का सही दाम मिले इसके लिए संस्था किसानों को मदद करती है, संस्था की ओर से किसाानों को खेती से जुड़े उपकरण पाइप, कीटनाशक, उर्वरक और बीज अच्छे दामों में उपलब्ध कराने के लिए आगे आती है. सपोर्ट संस्था में काम करने वाले अजीत कुमार का कहना है कि हजारीबाग के चूर चूर नारी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड भी इन दिनों महिला किसानों का समूह, जो किराए पर जमीन लेकर खेती करने करती है उन्हें मदद कर रही है.

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खेतों में किसान

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बिचौलिए के चक्कर में नहीं पड़ते किसान
किसानों के लिए बाजार समिति बेहद महत्वपूर्ण है. हजारीबाग बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि हजारीबाग में किराए पर जमीन लेकर खेती करने की परंपरा इन दिनों बढ़ी है, अगर पिछले 5 सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो यह एक उद्योग का दर्जा भी धीरे-धीरे लेता जा रहा है, ऐसे में बाजार समिति खेती से जुड़े हुए उत्पाद को बिकवाने के लिए इनाम के माध्यम से काम करती है, किसानों को अच्छा बाजार मुहायै कराया जाता है, उसके बाद उनका पेमेंट अकाउंट में दिया जाता है, ऐसे में किसान भी संतुष्ट हो हैं, कि किसी बिचौलिए के चक्कर में वह नहीं फंसे हैं.

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टमाटर की खेती



किराए पर जमीन लेने वाले किसानों के लिए नाबार्ड के पास कोई स्कीम नहीं
नाबार्ड एक बड़ी संस्था है जो किसानों को मदद करती है, लेकिन उसके पास सीधे तौर पर ऐसा कोई विशेष स्कीम नहीं है, जो किराए पर जमीन लेने वाले किसानों को मदद कर सके. नाबार्ड के जिला महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश सिंह का कहा है कि वैसे किसान जो बायोलॉजी, केमिस्ट्री, एग्रीकल्चर से जुड़े हैं, उनके पास कोई भी डिग्री हो तो भारत सरकार का एक स्कीम है, जो नाबार्ड के द्वारा संचालित होता है, जिसे एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस सेक्टर कहा जाता है, विशिष्ट उत्पादन के लिए खेती बाड़ी से जुड़ा कोई भी कार्य उस स्कीम के तहत किया जा सकता है, जिसमें प्रति व्यक्ति 20 लाख रुपया सहायता राशि किसानों को देने का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि मैनेज एक संस्था है, जो हैदराबाद से संचालित होती है, वह निशुल्क ऐसे किसानों को प्रशिक्षण भी देती है, प्रशिक्षण लेने के बाद वह नाबार्ड के द्वारा जो स्कीम चलाया जाता है, उसका लाभ भी ले सकते हैं, इसमें सामान्य कोटि के लोगों को 32% छूट का प्रावधान है, वहीं एससी एसटी और महिला के लिए 44% सब्सिडी है.

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खेतों में काम करतीं किसान

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संगठन बनाकर काम करने वालों को नाबार्ड करता है सहयोग
प्रेम प्रकाश सिंह का कहना है कि चार-पांच लोग मिलकर अगर एक संगठन बनाकर काम करें, जिसमें 2 डिग्री होल्डर होने चाहिए, एक मैनेजमेंट के जानकार होने चाहिए, तो एक करोड़ रुपया तक का मदद नाबार्ड करता है. वहीं उनका यह भी कहना कि हजारीबाग में किसान अभी उद्यमी के मोड पर काम नहीं कर रहे हैं, खेती और उद्यमी दो अलग-अलग मोड है, ऐसे में जरूरत है हजारीबाग के किसानों को उद्यमी किसान बनने की, अगर किसान पंजाब, हरियाणा या फिर ऐसे क्षेत्र जहां अच्छी खेती होती है, वहां जाकर ट्रेनिंग ले सकते हैं, जिसका पूरा खर्चा नाबार्ड उठाता है.

हजारीबाग: झारखंड समेत कई राज्यों में किराए पर जमीन लेकर खेती करने की एक परंपरा शुरू हो गई है. बेरोजगार युवक किसी जमीन को 5 साल या उससे कम समय के लिए भी लीज में लेते है और उसी से लीज की रकम कमा कर वापस करते हैं, लेकिन ऐसे किसानों के लिए सरकार के पास कोई विशेष योजना नहीं है. नाबार्ड के पास योजना तो है, लेकिन किसानों को उसकी जानकारी नहीं है, जिसके कारण किराएदार किसान उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं. जब विपत्ति आती है, तो उनका भारी नुकसान होता है.

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हजारीबाग एक कृषि प्रधान जिला है. हाल के दिनों में यह जिला कृषि के लिए दूसरे राज्यों में भी जाना जा रहा है. इस जिले में उपजाया हुआ टमाटर, तरबूज, धनिया पत्ता देश के कोने-कोने तक पहुंच रहा है. खासकर धनिया पत्ता की खुशबू विदेशों तक पहुंच रही है. जिले के अधिकतर किसान भाड़े पर जमीन लेकर खेती करते हैं. खेती के लिए किसानों को 5000 रुपया प्रति एकड़ एक मौसम के लिए देना होता है. किसान साल में दो बार भाड़े पर लिए जमीन पर खेती करते हैं, तो उसे दोगुनी रकम देनी होती है, ऐसे किसानों के लिए सरकार के पास कोई विशेष योजना नहीं है. ऐसे में किसान भी कहते हैं कि वे भगवान भरोसे ही खेती करते हैं, अगर मौसम ने साथ दिया तो अच्छी कमाई होती है, अगर मौसम ने साथ नहीं दिया तो सब कुछ बर्बाद हो जाता है. वर्तमान समय में मौसम की बेरुखी के कारण खेती पर बुरा असर पड़ा है. वहीं संक्रमण के कारण बाजार भी बंद है. लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्य से व्यवसायी भी नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में किसान काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि किसान मौसम की मार के साथ-साथ कोरोना का मार भी झेल रहा है.

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तरबूज ढोती किसान

किसानों को सपोर्ट संस्था कर रही मदद
वहीं, खेती में किसानों को मदद करने वाली सपोर्ट संस्था का कहना है कि किसानों को बाजार उपलब्ध कराया जाता है, मुख्य रूप से किसानों को उपजाए फसल का सही दाम मिले इसके लिए संस्था किसानों को मदद करती है, संस्था की ओर से किसाानों को खेती से जुड़े उपकरण पाइप, कीटनाशक, उर्वरक और बीज अच्छे दामों में उपलब्ध कराने के लिए आगे आती है. सपोर्ट संस्था में काम करने वाले अजीत कुमार का कहना है कि हजारीबाग के चूर चूर नारी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड भी इन दिनों महिला किसानों का समूह, जो किराए पर जमीन लेकर खेती करने करती है उन्हें मदद कर रही है.

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खेतों में किसान

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बिचौलिए के चक्कर में नहीं पड़ते किसान
किसानों के लिए बाजार समिति बेहद महत्वपूर्ण है. हजारीबाग बाजार समिति के सचिव राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि हजारीबाग में किराए पर जमीन लेकर खेती करने की परंपरा इन दिनों बढ़ी है, अगर पिछले 5 सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो यह एक उद्योग का दर्जा भी धीरे-धीरे लेता जा रहा है, ऐसे में बाजार समिति खेती से जुड़े हुए उत्पाद को बिकवाने के लिए इनाम के माध्यम से काम करती है, किसानों को अच्छा बाजार मुहायै कराया जाता है, उसके बाद उनका पेमेंट अकाउंट में दिया जाता है, ऐसे में किसान भी संतुष्ट हो हैं, कि किसी बिचौलिए के चक्कर में वह नहीं फंसे हैं.

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टमाटर की खेती



किराए पर जमीन लेने वाले किसानों के लिए नाबार्ड के पास कोई स्कीम नहीं
नाबार्ड एक बड़ी संस्था है जो किसानों को मदद करती है, लेकिन उसके पास सीधे तौर पर ऐसा कोई विशेष स्कीम नहीं है, जो किराए पर जमीन लेने वाले किसानों को मदद कर सके. नाबार्ड के जिला महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश सिंह का कहा है कि वैसे किसान जो बायोलॉजी, केमिस्ट्री, एग्रीकल्चर से जुड़े हैं, उनके पास कोई भी डिग्री हो तो भारत सरकार का एक स्कीम है, जो नाबार्ड के द्वारा संचालित होता है, जिसे एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस सेक्टर कहा जाता है, विशिष्ट उत्पादन के लिए खेती बाड़ी से जुड़ा कोई भी कार्य उस स्कीम के तहत किया जा सकता है, जिसमें प्रति व्यक्ति 20 लाख रुपया सहायता राशि किसानों को देने का प्रावधान है. उन्होंने बताया कि मैनेज एक संस्था है, जो हैदराबाद से संचालित होती है, वह निशुल्क ऐसे किसानों को प्रशिक्षण भी देती है, प्रशिक्षण लेने के बाद वह नाबार्ड के द्वारा जो स्कीम चलाया जाता है, उसका लाभ भी ले सकते हैं, इसमें सामान्य कोटि के लोगों को 32% छूट का प्रावधान है, वहीं एससी एसटी और महिला के लिए 44% सब्सिडी है.

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संगठन बनाकर काम करने वालों को नाबार्ड करता है सहयोग
प्रेम प्रकाश सिंह का कहना है कि चार-पांच लोग मिलकर अगर एक संगठन बनाकर काम करें, जिसमें 2 डिग्री होल्डर होने चाहिए, एक मैनेजमेंट के जानकार होने चाहिए, तो एक करोड़ रुपया तक का मदद नाबार्ड करता है. वहीं उनका यह भी कहना कि हजारीबाग में किसान अभी उद्यमी के मोड पर काम नहीं कर रहे हैं, खेती और उद्यमी दो अलग-अलग मोड है, ऐसे में जरूरत है हजारीबाग के किसानों को उद्यमी किसान बनने की, अगर किसान पंजाब, हरियाणा या फिर ऐसे क्षेत्र जहां अच्छी खेती होती है, वहां जाकर ट्रेनिंग ले सकते हैं, जिसका पूरा खर्चा नाबार्ड उठाता है.

Last Updated : May 20, 2021, 9:10 PM IST
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