हजारीबाग: ऐसे तो आषाढ़ महीने में खेतों में बुवाई का काम शुरू हो जाता था और सावन के पहले 10 दिनों में बुवाई समाप्त हो जाती थी, लेकिन इस बार मॉनसून की बेरुखी के कारण सावन के बीत जाने के बाद भी बुवाई का काम पूरा नहीं हो पाया है.
किसान अब अपने बिछड़े को बचाने के लिए ही परेशान हैं. किसानों का कहना है कि मॉनसून की बेरुखी के कारण कुआं और पोखरा में भी पानी खत्म हो गया है. ऐसे में किसान बुवाई के लिए जो बिचड़ा तैयार किए थे उसे बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे है.
हजारीबाग का ग्रामीण क्षेत्र जहां के लोग खेती पर ही पूर्ण रूप से निर्भर होते है वहां किसानों का कहना है कि तालाब और कुएं से पानी निकाल कर खेतों में बुवाई का काम कर रहे हैं. अगर ऊपर वाले का आशीर्वाद मिला तो फसल होगा नहीं तो इस बार सब सारी फसल बरबाद हो जाएगी.
वहीं, महिला किसान भी काफी परेशान है उनका कहना है कि इस बार घर के अनाज गोदाम खाली रह जाएंगे और इसका असर पूरा साल रहेगा. बच्चों की पढ़ाई भी छूट जाएगी. ऐसे में अब क्या करें ये एक बड़ा सवाल है.
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सूखे की काली छाया झारखंड की त्रासदी बन गई है. कभी आंशिक कभी संपूर्ण. पिछले साल की मुश्किलों से किसान उबरे भी नहीं थे कि इस बार सूखे की काली छाया हजारीबाग में छाने लगी है. पिछले साल विधायक और सांसद समेत जनप्रतिनिधियों ने हजारीबाग को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की थी. लेकिन सरकार ने उनकी मांग को खारिज कर दिया था. यहां के किसानों को कोई भी लाभ नहीं मिला था. इस बार फिर किसान का वही हाल है और इस बार सांसद जयंत सिन्हा को उम्मीद है कि बारिश होगी और खेत लहराएंगे.
सांसद जयंत सिन्हा ने कहा
वहीं, हजारीबाग के सांसद ने कहा कि विभाग ने अगले सप्ताह तक बारिश की बात कही है. अगर बारिश नही हुई तो हम हजारीबाग को सूखा घोषित करेंगे.