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हजारीबाग में किसान सूखे से परेशान, सांसद ने कही ये बात - जनप्रतिनिधियों ने हजारीबाग को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की

आसमान पर भले ही बादलों की आवाजाही बनी हुई है, लेकिन बिन बरसात के इन बादलों की आवाजाही ने किसानों के चेहरे पर संकट की लकीरें खींच दी है. सावन खत्म हो गया है और भादो शुरू हो चुकी है, लेकिन खेतों में बुआई का काम अब तक अधूरा पड़ा है. अब किसानों को ऊपर वाले से उम्मीद भी टूट रही है कि बरसात होगी और खेतों में धान की फसल देखने को मिलेगी.

हजारीबाग में किसान परेशान
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Published : Aug 17, 2019, 7:33 PM IST

हजारीबाग: ऐसे तो आषाढ़ महीने में खेतों में बुवाई का काम शुरू हो जाता था और सावन के पहले 10 दिनों में बुवाई समाप्त हो जाती थी, लेकिन इस बार मॉनसून की बेरुखी के कारण सावन के बीत जाने के बाद भी बुवाई का काम पूरा नहीं हो पाया है.

देखें पूरी खबर

किसान अब अपने बिछड़े को बचाने के लिए ही परेशान हैं. किसानों का कहना है कि मॉनसून की बेरुखी के कारण कुआं और पोखरा में भी पानी खत्म हो गया है. ऐसे में किसान बुवाई के लिए जो बिचड़ा तैयार किए थे उसे बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे है.

हजारीबाग का ग्रामीण क्षेत्र जहां के लोग खेती पर ही पूर्ण रूप से निर्भर होते है वहां किसानों का कहना है कि तालाब और कुएं से पानी निकाल कर खेतों में बुवाई का काम कर रहे हैं. अगर ऊपर वाले का आशीर्वाद मिला तो फसल होगा नहीं तो इस बार सब सारी फसल बरबाद हो जाएगी.


वहीं, महिला किसान भी काफी परेशान है उनका कहना है कि इस बार घर के अनाज गोदाम खाली रह जाएंगे और इसका असर पूरा साल रहेगा. बच्चों की पढ़ाई भी छूट जाएगी. ऐसे में अब क्या करें ये एक बड़ा सवाल है.

ये भी देखें- बीजेपी का दामन थामने को लेकर कांग्रेस विधायक मनोज यादव ने दी सफाई, कहा- ज्यादा ताकत के साथ उतरेगी कांग्रेस


सूखे की काली छाया झारखंड की त्रासदी बन गई है. कभी आंशिक कभी संपूर्ण. पिछले साल की मुश्किलों से किसान उबरे भी नहीं थे कि इस बार सूखे की काली छाया हजारीबाग में छाने लगी है. पिछले साल विधायक और सांसद समेत जनप्रतिनिधियों ने हजारीबाग को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की थी. लेकिन सरकार ने उनकी मांग को खारिज कर दिया था. यहां के किसानों को कोई भी लाभ नहीं मिला था. इस बार फिर किसान का वही हाल है और इस बार सांसद जयंत सिन्हा को उम्मीद है कि बारिश होगी और खेत लहराएंगे.

सांसद जयंत सिन्हा ने कहा
वहीं, हजारीबाग के सांसद ने कहा कि विभाग ने अगले सप्ताह तक बारिश की बात कही है. अगर बारिश नही हुई तो हम हजारीबाग को सूखा घोषित करेंगे.

हजारीबाग: ऐसे तो आषाढ़ महीने में खेतों में बुवाई का काम शुरू हो जाता था और सावन के पहले 10 दिनों में बुवाई समाप्त हो जाती थी, लेकिन इस बार मॉनसून की बेरुखी के कारण सावन के बीत जाने के बाद भी बुवाई का काम पूरा नहीं हो पाया है.

देखें पूरी खबर

किसान अब अपने बिछड़े को बचाने के लिए ही परेशान हैं. किसानों का कहना है कि मॉनसून की बेरुखी के कारण कुआं और पोखरा में भी पानी खत्म हो गया है. ऐसे में किसान बुवाई के लिए जो बिचड़ा तैयार किए थे उसे बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे है.

हजारीबाग का ग्रामीण क्षेत्र जहां के लोग खेती पर ही पूर्ण रूप से निर्भर होते है वहां किसानों का कहना है कि तालाब और कुएं से पानी निकाल कर खेतों में बुवाई का काम कर रहे हैं. अगर ऊपर वाले का आशीर्वाद मिला तो फसल होगा नहीं तो इस बार सब सारी फसल बरबाद हो जाएगी.


वहीं, महिला किसान भी काफी परेशान है उनका कहना है कि इस बार घर के अनाज गोदाम खाली रह जाएंगे और इसका असर पूरा साल रहेगा. बच्चों की पढ़ाई भी छूट जाएगी. ऐसे में अब क्या करें ये एक बड़ा सवाल है.

ये भी देखें- बीजेपी का दामन थामने को लेकर कांग्रेस विधायक मनोज यादव ने दी सफाई, कहा- ज्यादा ताकत के साथ उतरेगी कांग्रेस


सूखे की काली छाया झारखंड की त्रासदी बन गई है. कभी आंशिक कभी संपूर्ण. पिछले साल की मुश्किलों से किसान उबरे भी नहीं थे कि इस बार सूखे की काली छाया हजारीबाग में छाने लगी है. पिछले साल विधायक और सांसद समेत जनप्रतिनिधियों ने हजारीबाग को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की थी. लेकिन सरकार ने उनकी मांग को खारिज कर दिया था. यहां के किसानों को कोई भी लाभ नहीं मिला था. इस बार फिर किसान का वही हाल है और इस बार सांसद जयंत सिन्हा को उम्मीद है कि बारिश होगी और खेत लहराएंगे.

सांसद जयंत सिन्हा ने कहा
वहीं, हजारीबाग के सांसद ने कहा कि विभाग ने अगले सप्ताह तक बारिश की बात कही है. अगर बारिश नही हुई तो हम हजारीबाग को सूखा घोषित करेंगे.

Intro:आसमान पर भले ही बादलों की आवाजाही बनी हुई है। लेकिन बिन बरसात के इन बादलों का आवाजाही ने किसानों के चेहरे पर संकट की लकीरें खींच दी है। सावन खत्म हो गया और भादो शुरू हो चुकी है। लेकिन खेतों में बुआई का काम अब तक अधूरा पड़ा है ।अब किसानों को ऊपर वाले से उम्मीद भी टूट रही है कि बरसात होगी और खेतों में धान की फसल देखने को मिलेगी।


Body:ऐसे तो आषाढ़ महीने में खेतों में बुवाई का काम शुरू हो जाता था और सावन के पहले 10 दिनों में बुवाई समाप्त हो जाती थी। लेकिन इस बार मॉनसून की बेरुखी के कारण सावन के बीत जाने के बाद भी बुवाई का काम पूरा नहीं हो पाया है ।किसान अब अपने बिछड़े को बचाने के लिए ही परेशान हैं। किसानों का कहना है कि मॉनसून की बेरुखी के कारण कुआ और पोखरा में भी पानी नहीं आ पाया है तो खेती कैसे होगी। ऐसे में किसान बुवाई के लिए जो बिछड़ा तैयार होता था उसे बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं।

हजारीबाग का ग्रामीण क्षेत्र जहां के लोग खेती पर ही पूर्ण रूप से निर्भर होते हैं वहां किसानों का कहना है कि तालाब और कुएं से पानी निकाल कर खेतों में बुवाई का काम कर रहे हैं। अगर ऊपर वाले का आशीर्वाद मिला तो फसल होगा नहीं तो इस बार सब राम भरोसे।

वही महिला किसान भी काफी परेशान है उनका कहना है कि इस बार घर के अनाज गोदाम खाली रह जाएंगे और इसका असर पूरा साल रहेगा ।बच्चों की पढ़ाई भी छूट जाएगी। ऐसे में अब क्या करें या एक बड़ा सवाल है। किसानों का कहना है कि अगर 1 सप्ताह के अंदर जोरदार बारिश होती है तो चौथाई हिस्सा भी अगर खेती करने में सफल हो जाते हैं तो जीवन बच जाएगी नहीं तो इस बार जीवन पर ही आफत है।

सूखे की काली छाया झारखंड की त्रासदी बन गई है। कभी आंशिक कभी संपूर्ण। पिछले साल की मुश्किलों से किसान उबरे भी नहीं थे कि इस बार सूखे की काली छाया हजारीबाग में छाने लगी है ।पिछले साल विधायक और सांसद समेत जनप्रतिनिधियों ने हजारीबाग को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की थी ।लेकिन सरकार ने उनकी मांग को खारिज कर दिया था। यहां के किसानों को कोई भी लाभ नहीं मिला। इस बार फिर किसान का वही हाल है और इस बार सांसद जयंत सिन्हा को उम्मीद है कि बारिश होगी और खेत लहराएंगे।

byte... जयंत सिन्हा सांसद हजारीबाग
byte... रजनीश सिंह किसान
byte.. सुखमणि देवी महिला किसान, खड़े होकर बाइट जा रही है
byte.... रूप देवी ,महिला किसान, बैठी हुई



Conclusion:अब देखने वाली बात होगी किसान समेत जनप्रतिनिधियों की मनोकामना इंद्रदेव पूरा करते हैं या नहीं।
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