हजारीबागः परवल एक ऐसा सब्जी है, जिसकी मांग सालों भर रहती है. परवल की खेती जिले में नहीं हो रहा था, जिससे बिहार से आयात किया जा रहा था. इससे झारखंड के लोग रंगा हुआ परवल खाने को मजबूर थे, लेकिन अब परवल की खेती जिले के किसान करना शुरू कर दिया है. जिले के बड़कागांव के किसान प्रवीण ने परवल की खेती शुरू किया है.
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बड़कागांव के किसान प्रवीण ने प्रयोग के तौर पर परवल की खेती शुरू किया, जो अब सफल साबित हुआ है. प्रवीण के परवल की खेती शुरू किया, तो सोचा था कि फसल तैयार भी नहीं होगा. हालांकि, प्रवीण की खेती सफल ही नहीं है, बल्कि दूसरे जिलों में भी सप्लाई किया जा रहा है.
कई राज्यों से होता था परवल का आयात
जिला के व्यापारी पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, बिहार सहित कई राज्यों से परवल लाकर जिला में खरीद-बिक्री करते थे. इससे बाजार में परवल की कीमत भी अधिक होता था. व्यापारी कहते हैं कि दूसरे राज्यों से परवल लाने पर परवल को काफी हिफाजत से रखते थे. इसके साथ ही परवल को रंग भी चढ़ाते थे, ताकि ग्राहकों को परवल ताजा दिखे.
सप्ताह में 35 सौ रुपये की आमदनी
किसान प्रवीण बताते हैं कि डरते-डरते परवल की खेती शुरू किया, लेकिन अब सप्ताह में हजारों रुपये कमा रहे है. उन्होंने कहा कि 4-5 कट्ठा में परवल की खेती की है, जिसमें अच्छी उपज हो रही है. प्रत्येक सप्ताह लगभग 70 किलो परवल बेच रहे हैं. थोक के भाव में 35 रुपये प्रति किलो और खुदरा में 50 रुपये प्रति किलो बेच रहे है. इससे लगभग 3500 रुपये का फायदा हो रहा है.
अन्य किसानों को कर रहे प्रेरित
उन्होंने कहा कि बड़कागांव की जमीन परवल की खेती के लिए उपयुक्त है. प्रवीण ने बताया कि जिला के अन्य किसानों को भी परवल की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं, ताकि परवल की पैदावर बढ़े और किसान कम मेहनत में अधिक मुनाफा कमा सके.