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हजारीबाग में है मौत की घाटी, जहां जा चुकी है सैंकड़ों लोगों की जान, जानिए क्या है वजह

हजारीबाग का दुनआ घाटी मौत की घाटी के नाम से मशहूर होता जा रहा है. लगातार होते हादसे और मौतों की वजह से इस सड़क से गुजरने पर लोगों में खौफ समा जाता है. सड़क पर हादसों के कारण 2019 से अब तक 125 लोगों की जान जा चुकी है. जिसको रोकने के लिए प्रशासन ऐहतियाती कदम उठा रहा है.

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हजारीबाग में है मौत की घाटी
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Published : Jan 2, 2022, 7:29 PM IST

Updated : Jan 2, 2022, 10:28 PM IST

हजारीबाग: चौपारण का दनुआ घाटी झारखंड में मौत की घाटी के नाम से मशहूर हो रहा है. आए दिन यहां सड़क हादसों की वजह से ये घाटी लाल होती रही है. आंकड़ों के मुताबिक अब तक दर्जनों लोग इस घाटी में मौत का शिकार हो चुके है. लगातार होती मौतों की वजह से 11 किलोमीटर का क्षेत्र एक्सीडेंटल जोन घोषित कर दिया गया है.

ये भी पढे़ं- जहां कभी था नक्सलियों का आतंक आज वहां खनक रही है चूड़ियां, लाह की खेती ने बदली महिलाओं की किस्मत

इस रोड पर हमेशा हादसों की आशंका

हजारीबाग जिले के चौपारण डिवीजन हेड क्वार्टर से चौराहे की दूरी मात्र 17 किलोमीटर है. नेशनल हाईवे-2 से जुड़ा इलाका एक्सीडेंटल जोन बना हुआ है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से यहां सड़क दुर्घटना रोकने के लिए कुछ खास पहल नहीं किया गया है. यही कारण है कि यहां की मिट्टी खून से लाल होती जा रही है. आलम यह है कि यात्री इस सड़क से गुजरने से भी डरते हैं. लेकिन एक मात्र रास्ता होने के कारण आपको अगर गया जाना हो तो इस रोड से गुजरना मजबूरी है. यात्री भी कहते हैं कि जब एक्सीडेंटल जोन से हम गुजर जाते हैं तो जान में जान लौट आता है.

देखें वीडियो

हादसों को लेकर कई कहानियां मशहूर

दनुआ घाटी जीटी रोड निर्माण के बाद से दशकों से दुर्घटनाओं का केंद्र बिदु रहा है.सालों पूर्व घाटी में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पूजा पाठ का भी सहारा लिया गया था.घाटी को लेकर एक किवंदती भी मशहूर है. इसके तहत 1973 में जब घाटी क्षेत्र में काफी दुर्घटनाएं होने लगी तो स्थानीय दरोगा राजेश्वर सिंह तथा महरू भगत के सौजन्य से हथिया बाबा मंदिर का निर्माण कराया गया. किवंदती है कि इसके बाद दुर्घटनाओं पर विराम लगा. ऐसे में अब फिर से स्थानीय लोगों पूजा पाठ का भी सहारा लेने की बात कर रहे हैं ताकि सड़क दुर्घटना पर विराम लगे.

कब कब हुआ है भीषण सड़क हादसा

हजारीबाग का दनुआ घाटी कितना खतरनाक हैं. इसका अंदाजा यहां होने वाली दुर्घटनाओं के आंकड़ों से लगाया जा सकता है. आईए नजर डालते हैं यहां पर भीषण सड़क हादसे पर जिसकी वजह से कई लोगों की जान चली गई.

  1. 10 जून 2019 को दनुआ घाटी में महारानी बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 11 लोगों की जान चली गई थी और 22 लोग घायल हुए थे.
  2. 25 मार्च 2021 पुलिसकर्मी और एक अन्य की मौत
  3. 10 अक्टूबर 2021 को देवघर के दो लोगों की मौत एक दर्जन लोग घायल
  4. 13 नवंबर 2021 को उत्तर प्रदेश के 2 लोगों की मौत
  5. 25 दिसंबर 2021 गैस टैंकर पलटने से 3 लोगों की जिंदा जलकर मौत

25 दिसंबर को हुआ था भीषण सड़क हादसा

बता दें कि इस रोड पर 25 दिसंबर को भीषण सड़क हादसा हुआ था. जिसमें गैस टैंकर पलटने से भीषण विस्फोट हुआ. 3 लोगों की जलकर मौत हो गई और 1 दर्जन से अधिक गाड़ी जलकर राख हो गई. यही नहीं आग की लपटें कई एकड जंगल में फैल गई. जिससे जीव-जंतु भी प्रभावित हुए हैं. इसके बाद जिला प्रशासन की टीम घटनास्थल पर पहुंचकर दनुआ में सड़क हादसा कैसे रोका जाए इसको लेकर मंथन किया था. इस दौरान बताया गया कि घाटी क्षेत्र में स्थायी और अस्थायी दो सुधार कार्य होगें. स्थायी सुधार में 6 लेन का निर्माण है जबकि अस्थायी रूप से 11 किलोमीटर के इलाके में 4 जनवरी से एनएचएआई वृहद स्तर पर काम को आरंभ करेंगे.

काम शुरू करने में दिक्कत

जीटी रोड के घाटी का इलाका गौतम बुद्ध वन्य प्राणी क्षेत्र के अंतर्गत आता है. वन विभाग की आपत्ति के कारण अभी तक सिक्स लाइन का काम क्षेत्र में नहीं किया जा सका है. ऐसे में पदाधिकारी भी कहते हैं कि हम लोगों को समस्या आ रही है .फोरलेन बना था उस वक्त हम लोगों ने एनओसी दिया था. लेकिन अब वन विभाग के द्वारा सवाल खड़ा किया जा रहा है. लेकिन उनका यह भी कहना है कि हम लोग सुरक्षा को लेकर हर एक कदम उठाने जा रहे हैं.

क्या क्या होंगे सुधार के काम

25 दिसंबर के हादसे के बाद एक बार फिर पदाधिकारियों ने विश्वास दिलाया है कि 15 दिनों के अंदर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कदम उठाए जाएंगे. फिलहाल जो एहतियातन कदम उठाए जा रहे हैं उसमें से कुछ काफी महत्वपूर्ण है.

  1. सात में से चार जंपिंग ट्रैक भरे जा रहे हैं
  2. चार किलोमीटर के इलाके में लाईटिंग की व्यवस्था की जाएगी.
  3. ब्लाइंड विजिबिलिटी को दूर करने के लिए सभी झाड़ियों को काटा जाएगा
  4. घाटी में कुल सौ से अधिक साईन बोर्ड लगाए जाएंगे.
  5. स्पीड लिमिट,रंबल स्ट्रीप, रेडियम,व्हाईट स्ट्रीप, मार्किंग, कॉन्वेक्स मिरर लगाये जायेंगे.
  6. रोड मार्किंग ग्यारह किलोमीटर तक किया जाएगा,रंबल स्ट्रीप चार किलोमीटर तक होगा.
  7. अंधेरे में दिखाई देने के लिए सॉवरेन साइन बोर्ड साईन बोर्ड लगाया जाएगा
  8. घाटी के घुमावदार मोड़ पर विजिबिलिटी बढ़ाने का काम होगा.

सरकार और जिला प्रशासन के इन सुरक्षात्मक उपायों से हादसों पर कितना रोक लगेगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा. फिलहाल इस सड़क से गुजरना किसी खौफनाक मंजर से गुजरने के बराबर ही है.

हजारीबाग: चौपारण का दनुआ घाटी झारखंड में मौत की घाटी के नाम से मशहूर हो रहा है. आए दिन यहां सड़क हादसों की वजह से ये घाटी लाल होती रही है. आंकड़ों के मुताबिक अब तक दर्जनों लोग इस घाटी में मौत का शिकार हो चुके है. लगातार होती मौतों की वजह से 11 किलोमीटर का क्षेत्र एक्सीडेंटल जोन घोषित कर दिया गया है.

ये भी पढे़ं- जहां कभी था नक्सलियों का आतंक आज वहां खनक रही है चूड़ियां, लाह की खेती ने बदली महिलाओं की किस्मत

इस रोड पर हमेशा हादसों की आशंका

हजारीबाग जिले के चौपारण डिवीजन हेड क्वार्टर से चौराहे की दूरी मात्र 17 किलोमीटर है. नेशनल हाईवे-2 से जुड़ा इलाका एक्सीडेंटल जोन बना हुआ है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से यहां सड़क दुर्घटना रोकने के लिए कुछ खास पहल नहीं किया गया है. यही कारण है कि यहां की मिट्टी खून से लाल होती जा रही है. आलम यह है कि यात्री इस सड़क से गुजरने से भी डरते हैं. लेकिन एक मात्र रास्ता होने के कारण आपको अगर गया जाना हो तो इस रोड से गुजरना मजबूरी है. यात्री भी कहते हैं कि जब एक्सीडेंटल जोन से हम गुजर जाते हैं तो जान में जान लौट आता है.

देखें वीडियो

हादसों को लेकर कई कहानियां मशहूर

दनुआ घाटी जीटी रोड निर्माण के बाद से दशकों से दुर्घटनाओं का केंद्र बिदु रहा है.सालों पूर्व घाटी में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पूजा पाठ का भी सहारा लिया गया था.घाटी को लेकर एक किवंदती भी मशहूर है. इसके तहत 1973 में जब घाटी क्षेत्र में काफी दुर्घटनाएं होने लगी तो स्थानीय दरोगा राजेश्वर सिंह तथा महरू भगत के सौजन्य से हथिया बाबा मंदिर का निर्माण कराया गया. किवंदती है कि इसके बाद दुर्घटनाओं पर विराम लगा. ऐसे में अब फिर से स्थानीय लोगों पूजा पाठ का भी सहारा लेने की बात कर रहे हैं ताकि सड़क दुर्घटना पर विराम लगे.

कब कब हुआ है भीषण सड़क हादसा

हजारीबाग का दनुआ घाटी कितना खतरनाक हैं. इसका अंदाजा यहां होने वाली दुर्घटनाओं के आंकड़ों से लगाया जा सकता है. आईए नजर डालते हैं यहां पर भीषण सड़क हादसे पर जिसकी वजह से कई लोगों की जान चली गई.

  1. 10 जून 2019 को दनुआ घाटी में महारानी बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 11 लोगों की जान चली गई थी और 22 लोग घायल हुए थे.
  2. 25 मार्च 2021 पुलिसकर्मी और एक अन्य की मौत
  3. 10 अक्टूबर 2021 को देवघर के दो लोगों की मौत एक दर्जन लोग घायल
  4. 13 नवंबर 2021 को उत्तर प्रदेश के 2 लोगों की मौत
  5. 25 दिसंबर 2021 गैस टैंकर पलटने से 3 लोगों की जिंदा जलकर मौत

25 दिसंबर को हुआ था भीषण सड़क हादसा

बता दें कि इस रोड पर 25 दिसंबर को भीषण सड़क हादसा हुआ था. जिसमें गैस टैंकर पलटने से भीषण विस्फोट हुआ. 3 लोगों की जलकर मौत हो गई और 1 दर्जन से अधिक गाड़ी जलकर राख हो गई. यही नहीं आग की लपटें कई एकड जंगल में फैल गई. जिससे जीव-जंतु भी प्रभावित हुए हैं. इसके बाद जिला प्रशासन की टीम घटनास्थल पर पहुंचकर दनुआ में सड़क हादसा कैसे रोका जाए इसको लेकर मंथन किया था. इस दौरान बताया गया कि घाटी क्षेत्र में स्थायी और अस्थायी दो सुधार कार्य होगें. स्थायी सुधार में 6 लेन का निर्माण है जबकि अस्थायी रूप से 11 किलोमीटर के इलाके में 4 जनवरी से एनएचएआई वृहद स्तर पर काम को आरंभ करेंगे.

काम शुरू करने में दिक्कत

जीटी रोड के घाटी का इलाका गौतम बुद्ध वन्य प्राणी क्षेत्र के अंतर्गत आता है. वन विभाग की आपत्ति के कारण अभी तक सिक्स लाइन का काम क्षेत्र में नहीं किया जा सका है. ऐसे में पदाधिकारी भी कहते हैं कि हम लोगों को समस्या आ रही है .फोरलेन बना था उस वक्त हम लोगों ने एनओसी दिया था. लेकिन अब वन विभाग के द्वारा सवाल खड़ा किया जा रहा है. लेकिन उनका यह भी कहना है कि हम लोग सुरक्षा को लेकर हर एक कदम उठाने जा रहे हैं.

क्या क्या होंगे सुधार के काम

25 दिसंबर के हादसे के बाद एक बार फिर पदाधिकारियों ने विश्वास दिलाया है कि 15 दिनों के अंदर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कदम उठाए जाएंगे. फिलहाल जो एहतियातन कदम उठाए जा रहे हैं उसमें से कुछ काफी महत्वपूर्ण है.

  1. सात में से चार जंपिंग ट्रैक भरे जा रहे हैं
  2. चार किलोमीटर के इलाके में लाईटिंग की व्यवस्था की जाएगी.
  3. ब्लाइंड विजिबिलिटी को दूर करने के लिए सभी झाड़ियों को काटा जाएगा
  4. घाटी में कुल सौ से अधिक साईन बोर्ड लगाए जाएंगे.
  5. स्पीड लिमिट,रंबल स्ट्रीप, रेडियम,व्हाईट स्ट्रीप, मार्किंग, कॉन्वेक्स मिरर लगाये जायेंगे.
  6. रोड मार्किंग ग्यारह किलोमीटर तक किया जाएगा,रंबल स्ट्रीप चार किलोमीटर तक होगा.
  7. अंधेरे में दिखाई देने के लिए सॉवरेन साइन बोर्ड साईन बोर्ड लगाया जाएगा
  8. घाटी के घुमावदार मोड़ पर विजिबिलिटी बढ़ाने का काम होगा.

सरकार और जिला प्रशासन के इन सुरक्षात्मक उपायों से हादसों पर कितना रोक लगेगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा. फिलहाल इस सड़क से गुजरना किसी खौफनाक मंजर से गुजरने के बराबर ही है.

Last Updated : Jan 2, 2022, 10:28 PM IST
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