हजारीबाग: देश में दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए 2016 में केंद्र सरकार ने कानून तो बना दिया पर स्थानीय स्तर पर अफसर इस कानून का पालन नहीं करा रहे हैं. दिव्यांगों के काम करने वाले संगठनों के पदाधिकारियों ने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत निशक्त पर कार्य करने में सक्षम दिव्यांगों को आरक्षण देने की बात कही गई है. उन्होंने बताया कि हाल ही में जिले में मनरेगा में बहाली निकाली गई थी पर इसमें दिव्यांगों रियायत नहीं दी गई.
दिव्यांगों को मिल रहा लाभ
इधर समाज कल्याण विभाग के अफसरों का कहना है कि विभाग की ओर से जो अधिकार तय हैं, उसी के तहत दिव्यांगों की मदद की जा रही है, वैसे दिव्यांग जो काम करने के लिए सक्षम हैं और उनके पास न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता है, उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है. आज भी जिले में कई सेवक सेविका हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट में बहाल किए गए हैं, उनमें नियमानुसार दिव्यांग भी हैं. समाज कल्याण पदाधिकारी का कहना है कि सिर्फ नौकरी के क्षेत्र में नहीं, बल्कि उनके लिए जो फंड आता है तो उस फंड से इन्हें उपकरण दिया जाता है, ताकि उन्हें किसी भी तरह की समस्या ना हो. उन्होंने बताया कि दिव्यांगों को ट्राईसाइकिल, ब्रेल लिपि से संबंधित सामान स्टिक के अलावा कई सामान नियमानुसार दिए जा रहे हैं.
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दिव्यांगों में कानून की दी जाए जानकारी
हजारीबाग में शिक्षा परियोजना में कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल हुए दिव्यांग कहते हैं कि हम लोगों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमें जानकारी नहीं मिल पाती है, सरकार ने कानून तो बना दिया है, लेकिन उसका अक्षरशः पालन नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में हजारीबाग में मनरेगा में बहाली निकली थी, लेकिन उसमें दिव्यांगों के लिए किसी भी तरह की रियायत नहीं दी गई थी. वैसे दिव्यांग जो समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहते हैं. उनका कहना है कि हम लोगों को इस कानून से काफी उम्मीद है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जैसे निजी क्षेत्र में 5% का आरक्षण है इस बात की हमें जानकारी भी नहीं है, ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो हमें अधिकार दिया गया उसकी जानकारी हम लोगों को दिया जाए, ताकि हम उसका लाभ उठा सकें.
250 से अधिक दिव्यांगों को मिली नौकरी
वहीं दिव्यांगों के लिए अधिकार की मांग करने वाली राष्ट्रीय विकलांग पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नागेश कुमार कहते हैं कि यह कानून दिव्यांगों के लिए बेहद ही अच्छा है, इसे चार कैटेगरी में बांटा गया है, दृष्टिबाधित, मूकबधिर और बहु विकलांगता, इन लोगों को सरकारी नौकरी में मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि अगर वैकेंसी खाली है तो 2 सालों तक इसे आगे बढ़ाना है, जिसका लाभ भी दिव्यांगों को मिल सके. इस कानून से हमलोगों को काफी लाभ मिल रहा है. उनका यह भी कहना है कि हमलोगों को सामाजिक सुरक्षा मिल रही है, अगर कोई महिला दिव्यांग है तो उनके बच्चों को भी सरकारी लाभ मिलना है, अभी तक हजारीबाग में लगभग 250 दिव्यांगों को नौकरी मिली है, लेकिन उनका यह भी मानना है कि हर जिले में दिव्यांग भवन और होस्टल होना बेहद जरूरी है, ताकि दिव्यांग अगर बाहर से आएं तो रहने की कोई दिक्कत ना हो.