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हजारीबाग के संत कोलंबस कॉलेज में बीएड कोर्स का हाल बेहाल, शौचालय में फेंकी है प्रोजेक्ट रिपोर्ट

हजारीबाग के संत कोलंबस कॉलेज में बीएड कोर्स का हाल बेहाल है. स्थिति यह है कि ना क्लास रूम है और ना ही बेहतर शौचालय की व्यवस्था की गई है.

St Columbus College
हजारीबाग के संत कोलंबस कॉलेज में बीएड कोर्स का हाल बेहाल
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Published : Mar 29, 2022, 6:20 PM IST

हजारीबागः संत कोलंबस कॉलेज की देश में अपनी पहचान है. संयुक्त बिहार में सबसे बड़ा और पुराना कॉलेजों में एक था. लेकिन अब इस कॉलेज की स्थिति दयनीय होती जा रही है. कॉलेज में व्यवसायिक कोर्स शुरू किया गया, ताकि छात्र-छात्राएं कोर्स खत्म कर रोजगार से जुड़ सकें. इस क्रम में कॉलेज प्रशासन ने बीएड कोर्स की शुरुआत की. लेकिन बीएड कोर्स की स्थिति यह है कि छात्रों के लिए ना क्लास रूम है और ना ही साफ शौचालय की व्यवस्था है. इतना ही नहीं, छात्र-छात्राओं के प्रोजेक्ट रिपोर्ट शौचालय में फेंकी गई है, जो शौचालय की शोभा बढ़ा रही है.

यह भी पढ़ेंः संत कोलंबस कॉलेज के प्राचार्य का निलंबन 1 दिन में वापस, मंगलवार को दिया गया था निलंबन का आदेश

संत कोलंबस कॉलेज में बीएड कोर्स की छात्र-छात्राओं की स्थिति बेहद गंभीर है. छात्रों को बैठने के लिए क्लास रूम तक नहीं है. इस स्थिति में जो क्लास खाली रहती है, उसी क्लास में बीएड की पढ़ाई होने लगती है. बीएड की पढ़ाई के लिए लैब की जरूरत होती है. लेकिन जब क्लास रूम ही नहीं है तो लैब की बात करना भी बेमानी होगी. छात्रों के लिए शौचालय भी साफ सुथरी नहीं है. गंदगी के अंबार में छात्र शौचालय जाते हैं. शौचालय में दरवाजा तक नहीं है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी छात्राओं को होती है.

देखें पूरी खबर

छात्र-छात्राओं की ओर से दिन-रात मेहनत कर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाती है. यह पोजेक्ट रिपोर्ट रखने तक की जगह नहीं है. स्थिति यह है कि पोजेक्ट रिपोर्ट को शौचालय में फेंक दी गई है. कॉलेज में बीएड के छात्र-छात्राओं से 90 हजार रुपए फीस ली जाती है. पढ़ाई के लिए किसी भी तरह का अनुदान की व्यवस्था नहीं है. इस फीस की 20 प्रतिशत राशि विश्वविद्यालय प्रबंधन और 80 प्रतिशत राशि आधारभूत संरचनाओं पर खर्च की जाती है. इसके बावजूद छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है.

हजारीबागः संत कोलंबस कॉलेज की देश में अपनी पहचान है. संयुक्त बिहार में सबसे बड़ा और पुराना कॉलेजों में एक था. लेकिन अब इस कॉलेज की स्थिति दयनीय होती जा रही है. कॉलेज में व्यवसायिक कोर्स शुरू किया गया, ताकि छात्र-छात्राएं कोर्स खत्म कर रोजगार से जुड़ सकें. इस क्रम में कॉलेज प्रशासन ने बीएड कोर्स की शुरुआत की. लेकिन बीएड कोर्स की स्थिति यह है कि छात्रों के लिए ना क्लास रूम है और ना ही साफ शौचालय की व्यवस्था है. इतना ही नहीं, छात्र-छात्राओं के प्रोजेक्ट रिपोर्ट शौचालय में फेंकी गई है, जो शौचालय की शोभा बढ़ा रही है.

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संत कोलंबस कॉलेज में बीएड कोर्स की छात्र-छात्राओं की स्थिति बेहद गंभीर है. छात्रों को बैठने के लिए क्लास रूम तक नहीं है. इस स्थिति में जो क्लास खाली रहती है, उसी क्लास में बीएड की पढ़ाई होने लगती है. बीएड की पढ़ाई के लिए लैब की जरूरत होती है. लेकिन जब क्लास रूम ही नहीं है तो लैब की बात करना भी बेमानी होगी. छात्रों के लिए शौचालय भी साफ सुथरी नहीं है. गंदगी के अंबार में छात्र शौचालय जाते हैं. शौचालय में दरवाजा तक नहीं है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी छात्राओं को होती है.

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छात्र-छात्राओं की ओर से दिन-रात मेहनत कर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाती है. यह पोजेक्ट रिपोर्ट रखने तक की जगह नहीं है. स्थिति यह है कि पोजेक्ट रिपोर्ट को शौचालय में फेंक दी गई है. कॉलेज में बीएड के छात्र-छात्राओं से 90 हजार रुपए फीस ली जाती है. पढ़ाई के लिए किसी भी तरह का अनुदान की व्यवस्था नहीं है. इस फीस की 20 प्रतिशत राशि विश्वविद्यालय प्रबंधन और 80 प्रतिशत राशि आधारभूत संरचनाओं पर खर्च की जाती है. इसके बावजूद छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है.

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