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हजारीबागः बच्चों ने किया रावण दहन, मनाई खुशियां - दुर्गा पूजा 2020

विजयादशमी के दिन पूरे भारत में रावण दहन का कार्यक्रम होता है, जिसे असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है. इसमें हर साल बच्चे बड़े ही उमंग के साथ हिस्सा लेते थे, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण रावण दहन नहीं हुआ. इस वजह से हजारीबाग के बच्चों ने खुद ही रावण बनाया और उसका दहन किया.

हजारीबाग में बच्चों ने घर के बाहर किया रावण दहन
Children burnt Ravana outside house in Hazaribag
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Published : Oct 27, 2020, 12:30 AM IST

हजारीबाग: हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार दशहरा असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस बार विजयादशमी के अवसर पर रावण दहन नहीं किया गया. सरकार ने स्पष्ट रूप से इस बाबत गाइडलाइन भी जारी किया था. ऐसे में बच्चे रावण दहन नहीं होने पर काफी मायूस थे, लेकिन हजारीबाग के कानी बाजार के कौलेश्वरी बाबू कॉलोनी के छोटे-छोटे बच्चों ने खुद से ही रावण बनाया और फिर रावण दहन भी किया.

देखें पूरी खबर
दशहरा का इंतजार बच्चे साल भर करते हैं. विजयादशमी के दिन रावण दहन का कार्यक्रम होता है, जिसे असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है. इसमें बच्चे बड़े ही उमंग के साथ हिस्सा लेते थे, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण रावण दहन नहीं हुआ. हजारीबाग के कौलेश्वरी बाबू कॉलोनी के छोटे-छोटे बच्चों ने खुद से रावण बनाया और फिर रावण दहन किया. रावण बनाने में उनके माता-पिता ने उनका सहयोग भी किया.

ये भी पढ़ें-फेल है शराबबंदी कानून, नीतीश सरकार में चूहे भी पीते हैं दारू- तेजस्वी यादव

ऐसे में बच्चे भी काफी उत्साहित रहे. बच्चे कहते हैं कि वह कोरोना के कारण पूजा में मेला घूमने भी नहीं गए और रावण दहन भी नहीं हुआ, लेकिन अपने घरों के बाहर ही छोटा सा रावण बनाया और दहन किया, साथ ही यह प्रण लिया कि कभी भी असत्य और बुराई की राह पर नहीं चलेंगें. रावण दहन भारतीय संस्कृति का भी प्रतीक है. हमारे बच्चे उस संस्कृति के धरोहर को आगे ले जाएंगे. कोरोना के कारण भले ही सरकार के आदेश के कारण रावण दहन नहीं हुआ, लेकिन हजारीबाग के बच्चों ने रावण का प्रतिरूप बनाकर दहन किया.

हजारीबाग: हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार दशहरा असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस बार विजयादशमी के अवसर पर रावण दहन नहीं किया गया. सरकार ने स्पष्ट रूप से इस बाबत गाइडलाइन भी जारी किया था. ऐसे में बच्चे रावण दहन नहीं होने पर काफी मायूस थे, लेकिन हजारीबाग के कानी बाजार के कौलेश्वरी बाबू कॉलोनी के छोटे-छोटे बच्चों ने खुद से ही रावण बनाया और फिर रावण दहन भी किया.

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दशहरा का इंतजार बच्चे साल भर करते हैं. विजयादशमी के दिन रावण दहन का कार्यक्रम होता है, जिसे असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है. इसमें बच्चे बड़े ही उमंग के साथ हिस्सा लेते थे, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण रावण दहन नहीं हुआ. हजारीबाग के कौलेश्वरी बाबू कॉलोनी के छोटे-छोटे बच्चों ने खुद से रावण बनाया और फिर रावण दहन किया. रावण बनाने में उनके माता-पिता ने उनका सहयोग भी किया.

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ऐसे में बच्चे भी काफी उत्साहित रहे. बच्चे कहते हैं कि वह कोरोना के कारण पूजा में मेला घूमने भी नहीं गए और रावण दहन भी नहीं हुआ, लेकिन अपने घरों के बाहर ही छोटा सा रावण बनाया और दहन किया, साथ ही यह प्रण लिया कि कभी भी असत्य और बुराई की राह पर नहीं चलेंगें. रावण दहन भारतीय संस्कृति का भी प्रतीक है. हमारे बच्चे उस संस्कृति के धरोहर को आगे ले जाएंगे. कोरोना के कारण भले ही सरकार के आदेश के कारण रावण दहन नहीं हुआ, लेकिन हजारीबाग के बच्चों ने रावण का प्रतिरूप बनाकर दहन किया.

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