ETV Bharat / state

Village Of Soldiers In Hazaribag: फौजियों के गांव के नाम से जाना जाता है भुसाई, रगों में बहता है देशभक्ति का जज्बा

हजारीबाग में फौजियों का गांव है. इचाक प्रखंड का भुसाई गांव, जिसे फौजियों के गांव के नाम से जाना जाता है. इस गांव के 100 से ज्यादा युवक देश सुरक्षा में अपना योगदान दे रहे हैं. क्या कुछ है इस गांव की खासियत, जानिए ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट से.

bhusai-known-as-village-of-soldiers-in-hazaribag
फौजियों का गांव
author img

By

Published : Jan 25, 2022, 5:56 PM IST

Updated : Jan 25, 2022, 8:36 PM IST

हजारीबागः भारत कई वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा. बड़ी कुर्बानी देकर हम लोगों ने आजादी पाई है. कई देशभक्तों ने अपना सर्वोच्च बलिदान देश के लिए कर दिया. ऐसे में इसकी अखंडता और सुरक्षा कायम रखना हर एक भारतीयों का पहला दायित्व है. हजारीबाग में एक ऐसा गांव है, जहां 150 से अधिक युवक फौज और अन्य सुरक्षा एजेंसियों में अपनी सेवा दे रहे हैं. 80 घर की बस्ती में 150 से अधिक जवानों ने इस गांव को फौजियों के गांव के नाम से अलग पहचान दी है.

इसे भी पढ़ें- बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है टाना भगतों का गांव निंद्रा, आजादी की जंग में दी थी कुर्बानी

हजारीबाग का भुसाई फौजियों के गांव के नाम से जाना जाता है. एक छोटा-सा गांव पूरे देश में देशभक्ति की मिसाल कायम कर रहा है. हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर इचाक प्रखंड का भुसाई गांव है. इस गांव की सड़कों और घरों में सन्नाटा पसरा रहता है क्योंकि यहां के युवक सरहद और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों में अपना योगदान दे रहे हैं. लगभग 80 घरों की ये बस्ती है, जिसमें 150 से अधिक युवक फौज और अन्य सुरक्षा एजेंसी में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. गांव के लोग कहते भी हैं कि हमारे पूर्वज इस देश को आजाद कराने में अपना सब कुछ बलिदान कर दिया. ऐसे में हमारी यह पहली जिम्मेदारी है कि हम अपने देश की सुरक्षा करें. इस कारण गांव के अधिकांश युवक सीमा सुरक्षा में अपना अहम भूमिका निभा रहे हैं. वहीं जो युवक फौज में नहीं जा पाए वह सीआरपीएफ, झारखंड पुलिस या फिर अन्य राज्य में सुरक्षा देने का काम कर रहे हैं. हजारीबाग में फौजियों का गांव कहलाना और उसका निवासी होना उनके लिए गर्व की बात है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

भुसाई गांव के युवक बताते हैं कि हम लोगों का गांव फौजियों का है. हमारे गांव के भाई, चाचा देश और राज्य की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे रहे हैं. हम लोगों की भी इच्छा है कि हम भी देश सुरक्षा में अपनी भूमिका निभाएं. इस कारण हम लोग सुबह शाम तैयारी भी करते हैं. गांव में एक मैदान है जहां हरदम कोई ना कोई युवक तैयारी करते हुए दिख जाएगा. कोई दौड़ते हुए तो कोई एक्सरसाइज करते हुए. स्थानीय युवक बताते हैं कि यहां के हर एक युवा की रगों में लहु नहीं देशभक्ति का जज्बा बहता है. इस कारण वो लोग फौज और विभिन्न सुरक्षा एजेंसी में जाने की तैयारी करते हैं. बहुत कमी ऐसे युवक हैं जो बैंक या फिर अन्य नौकरी के लिए प्रयास करते हैं.

वहीं कुछ ऐसे भी युवक भी गांव में हैं जो दूसरे लोगों को कैसे तैयारी करें, इसकी जानकारी देते हैं. कुछ रिटायर्ड फौजी हैं, उनसे लोगों को जानकारी मिलती है कि परीक्षा की तैयारी कैसे करनी है. इस गांव में एक युवक हैं जो फौज में जाने के लिए प्रयास किया. लेकिन लंबाई कम होने के कारण उनका सलेक्शन नहीं हो पाया. ऐसे में अब वो गांव के अन्य युवकों को ट्रेनिंग देते हैं. सुबह शाम युवकों को मैदान में बुलाया जाता है और फिर कैसे खुद को फिट रखें, ऊंची कूद, लंबी कूद, दौड़ समेत अन्य विधाओं की जानकारी देते हैं. यही नहीं जब लड़कों को ट्रेनिंग दिया जाता है उस वक्त भी देशभक्ति के गीत युवक गुनगुनाते हैं ताकि उत्साह में कमी ना हो.

इसे भी पढ़ें- चाईबासाः गुवा शहीदों को झामुमो ने दी श्रद्धांजलि, मंत्री चंपई सोरेन ने कहा-शहीदों का गांव बनेगा आदर्श ग्राम

इस गांव में शायद ही कोई युवक सड़क पर घूमता या फिर मोबाइल देखता नजर आए. गांव में ऐसा माहौल है कि सभी युवक अपने घरों में परीक्षा की तैयारी करते हैं. अगर किसी के घर गए तो बुजुर्ग लोगों से ही मुलाकात होती है. ऐसे हमारी मुलाकात एक ऐसे बुजुर्ग से हुई और ईटीवी भारत की टीम ने जब उनसे भुसाई गांव के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा हमारा गांव फौजियों का गांव है. मेरा पोता देश की सुरक्षा में शहीद हो गया. मुझे अपने पोते और इस गांव पर गर्व है. यहां के 150 से अधिक युवक आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा में अपना कर्तव्य निभा रहे हैं. जिस गांव की मिट्टी में ही देश प्रेम की खुशबू आए वह गांव महान है. निसंदेह हजारीबाग का यह छोटा सा गांव आज देश प्रेम की मिसाल कायम कर रहा है. जहां एक और शहर के युवक फौज में जाने से कतराते हैं तो दूसरी ओर इचाक प्रखंड का भुसाई गांव हम लोगों को प्रेरणा देता है कि देश सेवा ही सर्वोपरि है.

हजारीबागः भारत कई वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा. बड़ी कुर्बानी देकर हम लोगों ने आजादी पाई है. कई देशभक्तों ने अपना सर्वोच्च बलिदान देश के लिए कर दिया. ऐसे में इसकी अखंडता और सुरक्षा कायम रखना हर एक भारतीयों का पहला दायित्व है. हजारीबाग में एक ऐसा गांव है, जहां 150 से अधिक युवक फौज और अन्य सुरक्षा एजेंसियों में अपनी सेवा दे रहे हैं. 80 घर की बस्ती में 150 से अधिक जवानों ने इस गांव को फौजियों के गांव के नाम से अलग पहचान दी है.

इसे भी पढ़ें- बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है टाना भगतों का गांव निंद्रा, आजादी की जंग में दी थी कुर्बानी

हजारीबाग का भुसाई फौजियों के गांव के नाम से जाना जाता है. एक छोटा-सा गांव पूरे देश में देशभक्ति की मिसाल कायम कर रहा है. हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर इचाक प्रखंड का भुसाई गांव है. इस गांव की सड़कों और घरों में सन्नाटा पसरा रहता है क्योंकि यहां के युवक सरहद और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों में अपना योगदान दे रहे हैं. लगभग 80 घरों की ये बस्ती है, जिसमें 150 से अधिक युवक फौज और अन्य सुरक्षा एजेंसी में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. गांव के लोग कहते भी हैं कि हमारे पूर्वज इस देश को आजाद कराने में अपना सब कुछ बलिदान कर दिया. ऐसे में हमारी यह पहली जिम्मेदारी है कि हम अपने देश की सुरक्षा करें. इस कारण गांव के अधिकांश युवक सीमा सुरक्षा में अपना अहम भूमिका निभा रहे हैं. वहीं जो युवक फौज में नहीं जा पाए वह सीआरपीएफ, झारखंड पुलिस या फिर अन्य राज्य में सुरक्षा देने का काम कर रहे हैं. हजारीबाग में फौजियों का गांव कहलाना और उसका निवासी होना उनके लिए गर्व की बात है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

भुसाई गांव के युवक बताते हैं कि हम लोगों का गांव फौजियों का है. हमारे गांव के भाई, चाचा देश और राज्य की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे रहे हैं. हम लोगों की भी इच्छा है कि हम भी देश सुरक्षा में अपनी भूमिका निभाएं. इस कारण हम लोग सुबह शाम तैयारी भी करते हैं. गांव में एक मैदान है जहां हरदम कोई ना कोई युवक तैयारी करते हुए दिख जाएगा. कोई दौड़ते हुए तो कोई एक्सरसाइज करते हुए. स्थानीय युवक बताते हैं कि यहां के हर एक युवा की रगों में लहु नहीं देशभक्ति का जज्बा बहता है. इस कारण वो लोग फौज और विभिन्न सुरक्षा एजेंसी में जाने की तैयारी करते हैं. बहुत कमी ऐसे युवक हैं जो बैंक या फिर अन्य नौकरी के लिए प्रयास करते हैं.

वहीं कुछ ऐसे भी युवक भी गांव में हैं जो दूसरे लोगों को कैसे तैयारी करें, इसकी जानकारी देते हैं. कुछ रिटायर्ड फौजी हैं, उनसे लोगों को जानकारी मिलती है कि परीक्षा की तैयारी कैसे करनी है. इस गांव में एक युवक हैं जो फौज में जाने के लिए प्रयास किया. लेकिन लंबाई कम होने के कारण उनका सलेक्शन नहीं हो पाया. ऐसे में अब वो गांव के अन्य युवकों को ट्रेनिंग देते हैं. सुबह शाम युवकों को मैदान में बुलाया जाता है और फिर कैसे खुद को फिट रखें, ऊंची कूद, लंबी कूद, दौड़ समेत अन्य विधाओं की जानकारी देते हैं. यही नहीं जब लड़कों को ट्रेनिंग दिया जाता है उस वक्त भी देशभक्ति के गीत युवक गुनगुनाते हैं ताकि उत्साह में कमी ना हो.

इसे भी पढ़ें- चाईबासाः गुवा शहीदों को झामुमो ने दी श्रद्धांजलि, मंत्री चंपई सोरेन ने कहा-शहीदों का गांव बनेगा आदर्श ग्राम

इस गांव में शायद ही कोई युवक सड़क पर घूमता या फिर मोबाइल देखता नजर आए. गांव में ऐसा माहौल है कि सभी युवक अपने घरों में परीक्षा की तैयारी करते हैं. अगर किसी के घर गए तो बुजुर्ग लोगों से ही मुलाकात होती है. ऐसे हमारी मुलाकात एक ऐसे बुजुर्ग से हुई और ईटीवी भारत की टीम ने जब उनसे भुसाई गांव के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा हमारा गांव फौजियों का गांव है. मेरा पोता देश की सुरक्षा में शहीद हो गया. मुझे अपने पोते और इस गांव पर गर्व है. यहां के 150 से अधिक युवक आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा में अपना कर्तव्य निभा रहे हैं. जिस गांव की मिट्टी में ही देश प्रेम की खुशबू आए वह गांव महान है. निसंदेह हजारीबाग का यह छोटा सा गांव आज देश प्रेम की मिसाल कायम कर रहा है. जहां एक और शहर के युवक फौज में जाने से कतराते हैं तो दूसरी ओर इचाक प्रखंड का भुसाई गांव हम लोगों को प्रेरणा देता है कि देश सेवा ही सर्वोपरि है.

Last Updated : Jan 25, 2022, 8:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.