हजारीबागः झारखंड में मिड डे मील योजना की स्थिति बदहाल है. आलम ये है कि सरकार की महत्वकांक्षी योजना मध्यान भोजन इन दिनों कोमा में चली गयी है. विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन का संचालन सरस्वती वाहिनी माता समिति करती है. माता समिति का खाता पिछले साथ 8 महीने से जीरो बैलेंस है. ऐसे में स्कूल के प्राचार्य एवं संयोजिका जिसे खाना बनाने की जिम्मेदारी मिली है वह उधार में सामान लाकर बच्चों को खाना खिला रही हैं.
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मिड डे मील योजना की स्थिति खराब है. पूरे राज्य भर में सरकार की महत्वकांक्षी योजना मिड डे मील योजना का हाल बेहाल है. कोरोना संक्रमण में कमी आने के बाद प्रारंभिक विद्यालय खोल दिए गए हैं. विद्यालयों में संचालित मध्यान्ह भोजन योजना प्रारंभ भी कर दिया गया है. लेकिन जिस खाते से योजना चलाया जाता है वह खाता पिछले 7 से 8 महीने से जीरो बैलेंस पर है. सरकार ने सारी राशि वापस ले ली है. राशि वापस लेने के बाद अब तक दोबारा मध्यान्न भोजन के लिए आवंटन विद्यालय को नहीं किया गया है. ऐसे में स्कूल प्रबंधन सरकार के आदेश के बाद मिड डे मील चलाने के लिए उधार में सामान ला रही हैं. चावल जिसे एफसीआई के द्वारा मिल जाता है. लेकिन मसाला, तेल, सब्जी और अंडा इन्हें उधार लाकर बच्चों को खिलाना पड़ रहा है. स्कूल के प्राचार्य भी बताते हैं कि हम लोगों की स्थिति बेहद खराब है. प्रतिदिन 600 से 700 रुपये का सामान वो लोग उधार में ला रहे हैं और अब तक 10 दिन होने को हैं लेकिन खाते में पैसा नहीं आया है.
हजारीबाग जिला शिक्षा पदाधिकारी कहती हैं कि वर्तमान समय में वो बड़ी ही मुश्किल से मिड डे मील चलवा रहे हैं. स्कूल के प्रिंसिपल को कहा गया है कि वह अपने स्कूल में सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजना को बंद ना होने दें. वहीं पदाधिकारी का यह भी कहना है कि मिड डे मील की समस्या को लेकर हम लोग वरीय पदाधिकारियों के संपर्क में हैं. बहुत जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा. अगर आंकड़ों की बात करें तो हजारीबाग में लगभग 1475 विद्यालय हैं, जिसमें 1 लाख 42 हजार छात्रों को मिड डे मील कराया जाता है. 1 लाख 90 हजार 563 बच्चों का नामांकन विद्यालय में कराया गया है. 1 लाख 52 हजार 110 बच्चों को मिड-डे मील देना है. पहले से पांचवें कक्षा के प्रति बच्चों पर 4.97 रुपया खर्च करना है. छठी से आठवीं कक्षा के प्रति बच्चों पर 7.45 रुपया खाना बनाने में खर्च होना है इसके अलावा अंडा अलग से देना है. कोरोना काल के दौरान सरकार ने पूरा पैसा आरटीजीएस कराकर अकाउंट खाली करा दिया है. ऐसे में प्रिंसिपल और खाना खिलाने वाली संयोजिका बेहद दबाव में हैं. अब देखने वाली बात होगी कब तक स्कूल के प्रिंसिपल बच्चों को खाना खिला पाते हैं.