हजारीबाग: जिले के सीतागढ़ा पहाड़ी के तलहटी में इतिहास के कई पन्ने दफ्न हैं. इतिहास के इन पन्नों को खंगालने और दुनिया के सामने यहां के इतिहास की सच्चाई लाने के लिए बुधवार को खुदाई कार्य शुरू कर दिया गया है. माना जा रहा है कि हजारीबाग हजारों साल से अपने सीने में बौद्ध अवशेषों को दबाए हुए है. इस बाबत बुधवार को भारतीय पुरातत्व विभाग से पटना इकाई के विशेषज्ञ सीतागढ़ा के बहोरनपुर पहुंचे और खुदाई का कार्य शुरू करेगी.
साधारण खुदाई पर भी मिलती है मूर्तियां
बहोरणपुर गांव के लोगों के घरों के सामने भी कई मूर्तियां देखी जा सकती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कुआं या फिर कहीं खुदाई होती है तो यहां से मूर्तियां और ईंट के टुकड़े, मृदभांड समेत कई सामान निकलते हैं. गांव के लोग उस मूर्ति को या तो घर के बाहर या फिर अपने घर के अंदर सहेज कर रख लेते हैं. कुछ मूर्तियां बाहर रहने से खराब भी हो रही हैं, उन मूर्तियों का भी अब पुरातात्विक विभाग जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट देगी.
बुद्ध से जुड़ा हो सकता हो इतिहास
पहली खुदाई बहोरनपुर गांव के इटावा टीला के पास से शुरू किया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि यह जो टिला है वह बौद्ध स्तूप होने के संकेत दे रहे हैं. स्थानीय लोगों की मदद से झाड़ी और खरपतवार को हटाया गया और पुरातात्विक विशेषज्ञ वहां उत्खनन का कार्य कर रहे हैं. इस बाबत पटना की भारतीय पुरातत्व विभाग के पदाधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका कहना है कि अभी किसी भी तरह का बयान देना जल्दबाजी होगा.
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अन्य जगहों पर भी शुरू हो सकती है खुदाई
वहीं, वहां के मुखिया ने बताया कि विभाग ने यह संकेत दिया है कि यहां पुरानी सभ्यता के साक्ष्य मिल सकते हैं. वहीं, पुरातात्विक विभाग रांची इकाई की टीम भी हजारीबाग पहुंची है जो हजारीबाग के कई क्षेत्रों का मुआयना कर रही है. कहा जाए तो रांची की टीम सर्वे करके अपने इनपुट्स विभाग के साथ साझा करेगी और आने वाले समय में कई अन्य जगहों पर भी खुदाई के कार्य शुरू हो सकते हैं.