हजारीबागः सांसद जयंत सिन्हा का ड्रीम प्रोजेक्ट साकार हो गया. झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने अक्षय पात्र रसोई का उद्घाटन किया है. रसोई के उद्घाटन के साथ ही अब एक लाख बच्चों को रोजाना पौष्टिक मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जा सकेगा. जिले के 565 सरकारी विद्यालयों के लगभग एक लाख बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. यहां खाना बनाने के लिए सब्जी और राशन की खरीद स्थानीय बाजार से की जाएगी.
पौष्टिक खाना खाने से कुपोषण में कमी आएगी-राज्यपालः उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा अक्षय पात्र की रसोई हजारीबाग के बच्चों के लिए मील का पत्थर साबित होगी. यहां से पूरे हजारीबाग के बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि आज के दिन बेहद भावुक पल है. स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन मिलने से बच्चों को सर्वांगीण विकास होगा और बच्चों को पढ़ाई में मन लगेगा.
बताते चलें कि अक्षय पात्र रसोई हजारीबाग जिले की यह एक महत्वाकांक्षी योजना है. यहां स्कूली और आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन तैयार किया जाएगा. इसकी क्षमता एक लाख बच्चों के भोजन तैयार करने की है. यह झारखंड में अक्षय पात्र का पहला रसोई है. यह रसोई दो एकड़ क्षेत्र में फैली है. 2019 में इस योजना को स्वीकृति दी गई थी. योजना के धरातल पर उतरने से जिले के मध्याह्न भोजन योजना में भी क्रांति आएगी. इसका लाभ स्कूली बच्चों को मिलने लगेगा.
सीएसआर फंड से रसोई की गई स्थापितः एमडीएम (मिड डे मील) के माध्यम से स्कूली बच्चों के पोषण में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए सांसद की पहल पर अक्षय पात्र फाउंडेशन के माध्यम से एक अत्याधुनिक केंद्रीयकृत रसोई स्थापित की गई है. एमडीएम बनाने में फंसे स्कूलों को भी इससे राहत मिल सकेगी. हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा के प्रयास से 20 करोड़ रुपए के सीएसआर फंड से रसोई का निर्माण कराया गया है. यह फंड एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से उपलब्ध कराया गया था. 2017 से अक्षय पात्रा रसोई का निर्माण कार्य शुरू किया गया था.
हजारीबाग सांसद ने जताई खुशीः हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा ने भी आज के दिन को ऐतिहासिक बताया है. अक्षय पात्र का यह 69 वां रसोई है. भारत के अलावा देश से बाहर अमेरिका और लंदन में भी अक्षय पात्र रसोई घर बच्चों को भोजन उपलब्ध करा रहा है. पूरे भारत की यह सबसे बड़ी रसोई है. जिसमें 23 लाख बच्चों को भोजन कराया जा रहा है. निसंदेह यह रसोई हजारीबाग में मिल का पत्थर साबित होगा. वर्तमान में अक्षय पात्र 12 राज्यों में मध्याह्न भोजन बनाने और पहुंचाने का काम कर रहा है. इनके रसोईघर में शहरी क्षेत्र के स्कूलों में थर्मों प्लस एसी व्हीकल से भोजन पहुंचाया जाता है. इस वाहन में चार घंटे तक भोजन गर्म रहता है. साथ ही एक कूकर में 1.45 लाख बच्चों के लिए दाल और एक कूकर में ही करीब 800 बच्चों के लिए चावल तैयार किया जा सकता है. संस्था के द्वारा कूकर का आकार बच्चों की संख्या के अनुसार तय किया जाता है.
वर्ष 2000 में हुई थी अक्षय पात्र किचन की शुरुआतः अक्षय पात्र योजना की शुरुआत वर्ष 2000 में बेंगलुरु से शुरू की गई थी, जहां पांच स्कूल में 1500 बच्चों को भोजन उपलब्ध कराया जाता था. धीरे-धीरे यह कारवां बढ़ता चला गया और आज 22 लाख बच्चों तक स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना उपलब्ध कराया जा रहा है. तत्कालीन केंद्रीय मंत्री, मुरली मनोहर जोशी ने इस कार्यक्रम का शुरुआत की था. इस कार्यक्रम में अक्षय पात्र संगठन संस्था के कई वरीय पदाधिकारी भी उपस्थित हुए. राष्ट्रीय अध्यक्ष भारत प्रभु ने इस संस्था के काम करने के तरीके के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसका एकमात्र उद्देश्य है कोई भी छात्र भूखा ना रहे और स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना के साथ उनका बौद्धिक विकास भी हो.
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