हजारीबाग: 14 फरवरी को पूरे विश्व में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है, लेकिन इस दिन को हजारीबाग का एक परिवार पिछले कई सालों से मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाता आ रहा है. इसके जरिए ये परिवार समाज को प्रेरणा देने की कोशिश कर रहा है. इनका मानना है कि भारत की सभ्यता और संस्कृति पाश्चात्य सभ्यता से कहीं अधिक सुंदर है. ऐसे में हमें माता-पिता, पशु-पक्षी से प्यार करने की जरूरत है.
सिर्फ प्यार का इजहार ही नहीं है वैलेंटाइन डे का मतलब
यह परिवार आज के दिन बाकायदा माता-पिता और परिवार के अन्य बुजुर्ग को बैठाकर उनकी पूजा करता है. उन्हें एहसास दिलाया जाता है कि परिवार उनके साथ हरदम खड़ा है. परिवार के मुखिया भी कहते हैं कि लोग आज के समय में पाश्चात्य सभ्यता की ओर जा रहे हैं और अपनी सभ्यता को भूलते जा रहे हैं. भारत पूरे विश्व में अपनी सभ्यता के लिए जाना जाता है. ऐसे में लोगों को पश्चात सभ्यता का अनुसरण ना करके अपने देश की सभ्यता सभ्यता का अनुसरण करना चाहिए.
अपनी सभ्यता और संस्कृति को बनाए रखने की जरूरत
परिवार की सदस्य मीनाक्षी सिन्हा कहती हैं कि हर इंसान एक दूसरे से प्यार करता है. भाई-बहन का प्यार अलग होता है, माता-पिता का प्यार अलग होता है और पति पत्नी का प्यार अलग होता है. वे कहती हैं वैलेंटाइन डे मना कर आखिर लोग क्या बताना चाहते हैं यह उन्हें नहीं पता. उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने उन्हें संस्कार दिया है कि आज का दिन मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाना चाहिए. मातृ-पितृ पूजन दिवस के पीछे एक धार्मिक कहानी भी है. निसंदेह भारत की सभ्यता और संस्कृति अन्य देश की सभ्यता और संस्कृति से अधिक सुंदर और आकर्षक है. तभी तो हमारे देश में आकर विदेश से लोग अध्ययन करते हैं. जरूरत है अपनी सभ्यता और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने की.