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गुमला की महिलाएं बन रही सशक्त, मुर्गी पालन से कर रही अच्छी आमदनी

गुमला बसिया प्रखंड की महिलाएं मिसाल पेश कर रही है. पोल्ट्री फार्मिंग के लिए इन महिलाओं ने स्वावलंबी सहकारी समिति बनाकर लेयर फार्मिंग के तहत अंडा का उत्पादन का काम शुरू किया. मुर्गियों की अच्छी देखभाल और दाना पानी का नतीजा ये निकला कि इन्हें अच्छी आमदनी होने लगी है.

मुर्गी पालन
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Published : Sep 17, 2019, 7:36 PM IST

गुमला: सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए हर प्रयास कर रही है. इनकी कोशिश है कि भारत की हर महिला आत्मनिर्भर हो. वे न सिर्फ अपनी आजीविका चला सकें बल्कि दूसरे को भी रोजगार दें. इसी क्रम में गुमला जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बसिया प्रखंड के सोलंगबिरा गांव की महिलाएं स्वावलंबी हो रही हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी


अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं महिलाएं
कल तक इनके पास खेती के अलावा और कोई जरिया नहीं था, लेकिन आज झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित जोहार परियोजना से लेयर पोल्ट्री फार्मिंग कर रही हैं और रोजाना 150 से 200 रुपए तक की आमदनी कर रही हैं.


पोल्ट्री फार्मिंग से महिलाएं हो रही हैं आत्मनिर्भर
पोल्ट्री फार्मिंग के लिए इन महिलाओं ने स्वावलंबी सहकारी समिति बनाकर लेयर फार्मिंग के तहत अंडा उत्पादन का काम शुरू किया है. मुर्गियों की अच्छी देखभाल और दाना पानी का नतीजा ये निकला कि इन्हें अच्छी आमदनी होने लगी है. इन महिलाओं की कामयाबी की गूंज अब दूसरे जिलों में भी सुनाई दे रही है.

ये भी पढ़ें: लालू प्रसाद यादव समेत छह लोगों को हाईकोर्ट से नोटिस, कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में मांगा जवाब
महिलाएं दिखा रहीं दूसरों को राह
15 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने झारखंड जोहार योजना का शुभारंभ किया था. झारखंड सरकार द्वारा संचालित योजना विश्व बैंक द्वारा बाह्य वित्त पोषित है, जिसमें गुमला जिले के बसिया प्रखंड में लेयर पोल्ट्री फार्मिंग में कुल 300 शेड बनाए गए हैं. जिससे महिलाओं को काफी लाभ मिल रहा है. इन महिलाओं ने जिस तहर से काम शुरू किया है उसकी चर्चा हर तरफ हो रही है. दूसरे गावों के कई महिलाएं भी हैं जो पोल्ट्री फार्मिंग से जुड़ कर आत्म निर्भर होना चाहती हैं.

गुमला: सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए हर प्रयास कर रही है. इनकी कोशिश है कि भारत की हर महिला आत्मनिर्भर हो. वे न सिर्फ अपनी आजीविका चला सकें बल्कि दूसरे को भी रोजगार दें. इसी क्रम में गुमला जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बसिया प्रखंड के सोलंगबिरा गांव की महिलाएं स्वावलंबी हो रही हैं.

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अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं महिलाएं
कल तक इनके पास खेती के अलावा और कोई जरिया नहीं था, लेकिन आज झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित जोहार परियोजना से लेयर पोल्ट्री फार्मिंग कर रही हैं और रोजाना 150 से 200 रुपए तक की आमदनी कर रही हैं.


पोल्ट्री फार्मिंग से महिलाएं हो रही हैं आत्मनिर्भर
पोल्ट्री फार्मिंग के लिए इन महिलाओं ने स्वावलंबी सहकारी समिति बनाकर लेयर फार्मिंग के तहत अंडा उत्पादन का काम शुरू किया है. मुर्गियों की अच्छी देखभाल और दाना पानी का नतीजा ये निकला कि इन्हें अच्छी आमदनी होने लगी है. इन महिलाओं की कामयाबी की गूंज अब दूसरे जिलों में भी सुनाई दे रही है.

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महिलाएं दिखा रहीं दूसरों को राह
15 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने झारखंड जोहार योजना का शुभारंभ किया था. झारखंड सरकार द्वारा संचालित योजना विश्व बैंक द्वारा बाह्य वित्त पोषित है, जिसमें गुमला जिले के बसिया प्रखंड में लेयर पोल्ट्री फार्मिंग में कुल 300 शेड बनाए गए हैं. जिससे महिलाओं को काफी लाभ मिल रहा है. इन महिलाओं ने जिस तहर से काम शुरू किया है उसकी चर्चा हर तरफ हो रही है. दूसरे गावों के कई महिलाएं भी हैं जो पोल्ट्री फार्मिंग से जुड़ कर आत्म निर्भर होना चाहती हैं.

Intro:गुमला : जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर बसिया प्रखंड क्षेत्र के सोलंगबिरा गांव में आदिवासी महिलाएं लेयर पोल्ट्री फार्मिंग से अंडा का उत्पादन कर स्वावलंबी हो रही है । कल तक इनके पास खेती के अलावे आय का कोई और जरिया नहीं था । लेकिन अब ये महिलाएं ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा संचालित जोहार परियोजना के माध्यम से लेयर पोल्ट्री फ़ार्मिंग कर न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही है । बल्कि उन्हें आय का नया जरिया भी मिल गया है । महिलाएं लेयर पोल्ट्री फार्मिंग के माध्यम से रोजाना डेढ़ सौ रुपये से लेकर दो रुपये तक की आमदनी कर रही है । बसिया की ये महिलाएं ग्रामीण अंडा उत्पादक स्वावलंबी सहकारी समिति बनाकर लेयर फार्मिंग के तहत अंडा का उत्पादन कर रही है ।


Body:आपको बता दें कि 15 नवंबर 2017 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने झारखंड जोहार योजना का शुभारंभ किया था झारखंड सरकार द्वारा संचालित योजना विश्व बैंक द्वारा बाह्य वित्त पोषित है । जिसमें गुमला जिले के बसिया प्रखंड में लेयर पोल्ट्री फार्मिंग में कुल 300 शेड बनाए गए हैं । इसके साथ ही वर्तमान में पशुपालन विभाग के द्वारा अलग से 600 शेड बनाया जा रहा है । एक शेड की लंबाई 27 फीट जबकि चौड़ाई 22 फीट है । जिसमें आमतौर पर इन शेडों में मुर्गियों को रखने की क्षमता 500 होती है । मगर फिलहाल अलग-अलग शेडो में 300 से लेकर 400 तक मुर्गियां रखी गई हैं ,जिससे अंडा का उत्पादन किया जा रहा है । इस व्यवसाय से जुड़ी महिलाएं प्रत्येक दिन अंडे को समिति में जमा करती हैं जिसके बाद उन अंडो को बाजार में बेचा जाता है । महिलाएं बताती हैं की पिछले करीब 10 महीने से वह इस व्यवसाय में जुड़ी हैं । शुरुआत में तो उन्हें आमदनी अच्छी हुई मगर अब धीरे-धीरे उनकी आमदनी कम हो रही है । क्योंकि बीमारी के कारण काफी संख्या में मुर्गी या मर जा रही है । जिससे अंडा का उत्पादन में कमी आई है । जिसके कारण उन्हें उतना पैसा नहीं मिल पा रहा है जितना पहले मिलता था । वही कुछ महिलाओं का कहना है की शुरुआत में जिस तरह से पैसे मिल रहे थे उससे अच्छा लग रहा था लेकिन अब जो ऋण है उसका पैसा भी काटा जाने लगा है । जिसके कारण उन्हें महीने की में तीन से चार हजार रुपए मिलते हैं । अब ऐसे में लगता है कि यह फायदे का सौदा नहीं है । वही कुछ महिलाओं का कहना है कि अंडा का उत्पादन करने के लिए वे सुबह से शाम तक लगी रहती है । घर के कई सदस्य मिलकर दिन भर साफ-सफाई पानी भरना मुर्गियों के दाने लाने में लगे रहते हैं । जिसके कारण कोई अन्य काम नहीं कर पाते हैं । अब ऐसे में जब सभी लोग एक ही काम में लग जाते हैं और महीने में तीन चार हजार रुपए की आमदनी होती है तो लगता है कि कहीं न कहीं पैसे की जो आमदनी होनी चाहिए वह इस व्यवसाय से नहीं हो रही है । अगर हमें उत्पादित अंडों का मूल्य थोड़ा ज्यादा मिलता तो हमें इसका और ज्यादा लाभ मिल सकता था ।44


Conclusion:वहीं इस लेयर पोल्ट्री फार्मिंग की देख रेख करने के लिए नियुक्त झारखंड विमेंस सेल्फ सपोर्टि पॉल्ट्री कॉपरेटिव फेडरेशन बसिया के पदाधिकारी ने बताया कि बसिया में फेडरेशन और जेएसएलपीएस मिलकर लेयर पोल्ट्री फार्मिंग पर 300 शेड बनाए गए हैं । 456 वाला शेड लाभुकों को दिया गया है जिसमें लाभुकों को फेडरेशन की ओर से दवा दाना टेक्निकल जानकारियां मुफ्त में दी जाती है । उन्होंने बताया कि लाभुकों के द्वारा उत्पादित अंडों को जमा कर समिति का सेंट्रल गोदाम में रखा जाता है । उसके एवज में लाभुकों को प्रतिमाह 3500 से 4500 का भुगतान किया जाता है । महिलाओं के द्वारा कम पैसे मिलने के संबंध में उनका कहना है कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लेयर पोल्ट्री फार्मिंग शुरू किया गया है जब यह योजना बनाया गया था उस समय ही साल में एक महिला को 50 से 60 हजार रुपए दिए जाने की योजना बनाई गई थी । byte : vis01c_ गंगी ( लाभुक ) byte : vis01d_जीवंती देवी ( लाभुक ) byte : vis01e_सलगी देवी ( लाभुक ) byte: vis01f_अनिर्बान मुखर्जी ( manejar , jharkhand women self saport co-operative fedreshan , basiya gumla)
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