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ETV BHARAT पर गुमला के प्रवासी मजदूरों ने सुनाई आपबीती, कहा- हेमंत सोरेन सरकार ने नहीं दिया रोजगार

गुमला प्रखंड क्षेत्र के खटंगा गांव में देश के विभिन्न राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की. जिसमें सरकार के दावों की पोल परत दर परत खुलती गई. दूसरे राज्यों से लौटने के बाद मजदूर बिल्कुल बेकार बैठे हैं. मजदूरों को अबतक रोजगार के कोई साधन मुहैया नहीं हुए हैं. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि जब से वो लौटे हैं, उसके बाद से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.

Migrant workers of gumla did not get employment in jharkhand
ETV BHARAT पर गुमला के प्रवासी मजदूरों ने सुनाई आपबीती
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Published : Jul 8, 2020, 9:10 PM IST

गुमला: वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की वजह से करोड़ों प्रवासी मजदूरों के सामने बेरोजगारी और भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में इन प्रवासी मजदूरों को राज्य सरकारों की ओर से रोजगार से जोड़ने के लिए कदम उठाने की बात कही गई है. झारखंड की हेमंत सरकार सूबे के प्रवासी मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के लिए कई योजनाएं संचालित करने की बात कह रही है. ईटीवी भारत ने सूबे के गुमला जिले में प्रवासी मजदूरों से रोजगार के सच को पता करने के लिए ग्रामीण इलाकों में जाकर पड़चाल की.

ETV BHARAT पर गुमला के प्रवासी मजदूरों ने सुनाई आपबीती

गुमला प्रखंड क्षेत्र के खटंगा गांव में देश के विभिन्न राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की. जिसमें सरकार के दावों की पोल परत दर परत खुलती गई. दूसरे राज्यों से लौटने के बाद मजदूर बिल्कुल बेकार बैठे हैं. मजदूरों को अबतक रोजगार के कोई साधन मुहैया नहीं हुए हैं. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि जब से वो लौटे हैं, उसके बाद से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. रोजगार नहीं मिलने की वजह से परिवार चलाने में काफी परेशानी हो रही है. फिलहाल स्कूल बंद हैं, लेकिन बच्चों को पढ़ने के लिए कई जरूरतें होती हैं जिन्हें वो पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

Migrant workers of gumla did not get employment in jharkhand
घर के बाहर बैठे ग्रामीण

ये भी पढ़ें- आंखों में चुभता है ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के विधानसभा क्षेत्र में 'विकास' का सच, देखें ये रिपोर्ट

लॉकडाउन से ठप हुए धंधे

वहीं, कुछ मजदूरों का कहना है कि बाहर रहकर वो दिन-रात मेहनत कर रहे थे. इससे कुछ आर्थिक बचत हो रही थी, जिसे घर भेजकर परिवार का खर्च चलाते थे. मगर जब कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन कर दिया गया, तो ऐसे में सभी तरह के काम-धंधे ठप हो गए. मजबूरन वो सभी वापस अपने गांव लौट गए. उनका कहना है कि वो अगर वहां रहते तो बगैर काम के पैसे नहीं मिलते. फिर उन्हें वहां भूखे रहना पड़ता. वहीं, कुछ मजदूरों का कहना है कि बाहर ईंट भट्ठा में काम कर कर रहे थे. मगर लॉकडाउन की वजह से वो बेरोजगार हो गए हैं. अगर उन्हें झारखंड में ही रोजगार मिल जाता, तो अपने गांव में रहकर पैसे कमाते और परिवार का पालन पोषण करते.

Migrant workers of gumla did not get employment in jharkhand
अपने डॉक्यूमेंट्स दिखाती युवती

झारखंड में रोजगार की मांग

ईटीवी भारत से अपनी हालत बताते हुए किसी भी मजदूर ने फिर से दूसरे प्रदेश में जाकर काम करने से मना कर दिया. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर ही अगर उन्हें रोजगार मिले, तो वो यहीं काम करके परिवार का पालन पोषण करेंगे. गांव में ही एक युवती ने बताया की कई जगहों पर काम करने के बाद वो मुंबई में रहकर एक निजी नर्सिंग होम में नर्स का काम करती थी. मगर जब कोरोना वायरस का कहर मुंबई में फैला तो डरकर परिवार वालों ने उसे वापस गांव बुला लिया. अब गांव वापस लौटने के बाद बेरोजगारी का दंश झेल रही है. युवती ने कहा कि अगर राज्य सरकार की ओर से जो पढ़े-लिखे लोग वापस लौटे हैं, उन्हें भी रोजगार मुहैया कराने के लिए कोई कदम उठाया जाना चाहिए.

Migrant workers of gumla did not get employment in jharkhand
घर के बाहर बातचीत करते ग्रामीण

मनरेगा में मिला रहा रोजगार

प्रवासी मजदूरों से बात करने के बाद उनकी समस्याओं को लेकर ईटीवी भारत ने सत्तारूढ़ पार्टी से गुमला विधायक भूषण तिर्की से बात की. विधायक ने कहा की सूबे की हेमंत सोरेन की सरकार ने देश में सबसे पहले अपने प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का काम किया है. ऐसे में सरकार पूरी तरह से सजग और तैयार है कि जो प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं, उन्हें अपने प्रदेश में ही रोजगार मुहैया कराएं, ताकि प्रवासी मजदूरों को फिर से रोजगार की तलाश में वापस जाना नहीं पड़े. उन्होंने कहा कि मनरेगा से जोड़कर प्रवासी मजदूरों को राज्य सरकार ने काम देना शुरु कर दिया है. उन्होंने कहा कि पढ़े-लिखे बेरोजगार प्रवासियों के लिए भी राज्य सरकार ठोस कदम उठा रही है, जिसके कारण उन्हें बेरोजगारी नहीं झेलनी पड़ेगी. उन्हें भी राज्य में ही रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.

22 हजार प्रवासी मजदूर लौटे

वहीं, गुमला जिला उपायुक्त शशि रंजन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि लॉकडाउन के बाद से जिला प्रशासन के रिकॉर्ड के मुताबिक तकरीबन 22 हजार प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं. बाहर से आने वाले श्रमिकों को राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस के अनुसार राशन का पैकेट और अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. मनरेगा के तहत चल रही तीन योजनाओं, बिरसा हरित क्रांति योजना, नीलाम्बर -पीताम्बर जल समृद्धि योजना और वीर शहीद पोटो हो खेल मैदान विकास योजना से जोड़कर करीब 12 हजार प्रवासी मजदूरों को प्रशासन की ओर से रोजगार मुहैया कराया गया है.

गुमला: वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की वजह से करोड़ों प्रवासी मजदूरों के सामने बेरोजगारी और भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में इन प्रवासी मजदूरों को राज्य सरकारों की ओर से रोजगार से जोड़ने के लिए कदम उठाने की बात कही गई है. झारखंड की हेमंत सरकार सूबे के प्रवासी मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के लिए कई योजनाएं संचालित करने की बात कह रही है. ईटीवी भारत ने सूबे के गुमला जिले में प्रवासी मजदूरों से रोजगार के सच को पता करने के लिए ग्रामीण इलाकों में जाकर पड़चाल की.

ETV BHARAT पर गुमला के प्रवासी मजदूरों ने सुनाई आपबीती

गुमला प्रखंड क्षेत्र के खटंगा गांव में देश के विभिन्न राज्यों से लौटे प्रवासी मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की. जिसमें सरकार के दावों की पोल परत दर परत खुलती गई. दूसरे राज्यों से लौटने के बाद मजदूर बिल्कुल बेकार बैठे हैं. मजदूरों को अबतक रोजगार के कोई साधन मुहैया नहीं हुए हैं. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि जब से वो लौटे हैं, उसके बाद से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. रोजगार नहीं मिलने की वजह से परिवार चलाने में काफी परेशानी हो रही है. फिलहाल स्कूल बंद हैं, लेकिन बच्चों को पढ़ने के लिए कई जरूरतें होती हैं जिन्हें वो पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

Migrant workers of gumla did not get employment in jharkhand
घर के बाहर बैठे ग्रामीण

ये भी पढ़ें- आंखों में चुभता है ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के विधानसभा क्षेत्र में 'विकास' का सच, देखें ये रिपोर्ट

लॉकडाउन से ठप हुए धंधे

वहीं, कुछ मजदूरों का कहना है कि बाहर रहकर वो दिन-रात मेहनत कर रहे थे. इससे कुछ आर्थिक बचत हो रही थी, जिसे घर भेजकर परिवार का खर्च चलाते थे. मगर जब कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन कर दिया गया, तो ऐसे में सभी तरह के काम-धंधे ठप हो गए. मजबूरन वो सभी वापस अपने गांव लौट गए. उनका कहना है कि वो अगर वहां रहते तो बगैर काम के पैसे नहीं मिलते. फिर उन्हें वहां भूखे रहना पड़ता. वहीं, कुछ मजदूरों का कहना है कि बाहर ईंट भट्ठा में काम कर कर रहे थे. मगर लॉकडाउन की वजह से वो बेरोजगार हो गए हैं. अगर उन्हें झारखंड में ही रोजगार मिल जाता, तो अपने गांव में रहकर पैसे कमाते और परिवार का पालन पोषण करते.

Migrant workers of gumla did not get employment in jharkhand
अपने डॉक्यूमेंट्स दिखाती युवती

झारखंड में रोजगार की मांग

ईटीवी भारत से अपनी हालत बताते हुए किसी भी मजदूर ने फिर से दूसरे प्रदेश में जाकर काम करने से मना कर दिया. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर ही अगर उन्हें रोजगार मिले, तो वो यहीं काम करके परिवार का पालन पोषण करेंगे. गांव में ही एक युवती ने बताया की कई जगहों पर काम करने के बाद वो मुंबई में रहकर एक निजी नर्सिंग होम में नर्स का काम करती थी. मगर जब कोरोना वायरस का कहर मुंबई में फैला तो डरकर परिवार वालों ने उसे वापस गांव बुला लिया. अब गांव वापस लौटने के बाद बेरोजगारी का दंश झेल रही है. युवती ने कहा कि अगर राज्य सरकार की ओर से जो पढ़े-लिखे लोग वापस लौटे हैं, उन्हें भी रोजगार मुहैया कराने के लिए कोई कदम उठाया जाना चाहिए.

Migrant workers of gumla did not get employment in jharkhand
घर के बाहर बातचीत करते ग्रामीण

मनरेगा में मिला रहा रोजगार

प्रवासी मजदूरों से बात करने के बाद उनकी समस्याओं को लेकर ईटीवी भारत ने सत्तारूढ़ पार्टी से गुमला विधायक भूषण तिर्की से बात की. विधायक ने कहा की सूबे की हेमंत सोरेन की सरकार ने देश में सबसे पहले अपने प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का काम किया है. ऐसे में सरकार पूरी तरह से सजग और तैयार है कि जो प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं, उन्हें अपने प्रदेश में ही रोजगार मुहैया कराएं, ताकि प्रवासी मजदूरों को फिर से रोजगार की तलाश में वापस जाना नहीं पड़े. उन्होंने कहा कि मनरेगा से जोड़कर प्रवासी मजदूरों को राज्य सरकार ने काम देना शुरु कर दिया है. उन्होंने कहा कि पढ़े-लिखे बेरोजगार प्रवासियों के लिए भी राज्य सरकार ठोस कदम उठा रही है, जिसके कारण उन्हें बेरोजगारी नहीं झेलनी पड़ेगी. उन्हें भी राज्य में ही रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.

22 हजार प्रवासी मजदूर लौटे

वहीं, गुमला जिला उपायुक्त शशि रंजन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि लॉकडाउन के बाद से जिला प्रशासन के रिकॉर्ड के मुताबिक तकरीबन 22 हजार प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं. बाहर से आने वाले श्रमिकों को राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस के अनुसार राशन का पैकेट और अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. मनरेगा के तहत चल रही तीन योजनाओं, बिरसा हरित क्रांति योजना, नीलाम्बर -पीताम्बर जल समृद्धि योजना और वीर शहीद पोटो हो खेल मैदान विकास योजना से जोड़कर करीब 12 हजार प्रवासी मजदूरों को प्रशासन की ओर से रोजगार मुहैया कराया गया है.

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