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गुमलाः सदर अस्पताल में नहीं मिल रही दवाईयां, मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ती है दवाई - सरकारी अस्पताल की दुर्दशा

गुमला के सदर अस्पताल में मरीजों को दवाई के लिए बाहर के दुकानों का सहारा लेना पड़ रहा है, क्योंकि अस्पताल के डॉक्टर उन्हें ऐसी दवाई लिखकर दे दे रहे हैं जो अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं हैं.

Medicines are not available in Sadar Hospital of Gumla
उपलब्ध नहीं है दवा
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Published : Dec 30, 2019, 3:23 PM IST

गुमला: सरकारी अस्पतालों से आए दिन अव्यवस्था की खबरें आती रहती हैं. सरकारी अस्पतालों से ऐसे किस्से लगभग रोजाना ही आते हैं कि कभी डॉक्टर अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं तो कभी डॉक्टर ने बिना देखे ही मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया. सरकारी अस्पताल में अव्यवस्था और असंवेदनशीलता का ऐसा ही मामला सामने आया है गुमला से. दरअसल, गुमला सदर अस्पताल में आए मरीजों को डॉक्टर बाहरी दवाई के नाम थमा दे रहे हैं, ऐसे में आम गरीब मरीजों के लिए यहां इलाज करा पाना मुश्किल होता जा रहा है.

देखें यह स्पेशल स्टोरी


अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं दवाएं
ईटीवी भारत ने गुमला के सदर अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों से जब बात की तो उन्होंने कहा कि यहां के डॉक्टर इलाज तो कर दे रहे हैं लेकिन जो दवा वे लिख रहे हैं, वो अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं हैं. दवा काउंटर पर जब वे दवा लेने जाते हैं तो उन्हें दवा देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया जाता है कि यह दवा यहां नहीं है, कहीं बाहर के दुकान से ले लें. दवा नहीं मिलने के कारण उन्हें बाहर के दुकानों का रूख करना पड़ रहा है, जिसका खर्च उठाने में वे असक्षम हैं.

ये भी पढ़ें: झारखंड : यहां मुस्लिम बच्चे बोलते हैं फर्राटेदार संस्कृत, पंडित भी हो जाते हैं हैरान


डॉक्टरों को दिए गए हैं सख्त निर्देश
इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जब सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने यह कहा कि अस्पताल में अभी जननी सुरक्षा की दवा उपलब्ध है, जिसके लिए मरीजों को बाहर जाने की जरूरत नहीं है. वहीं कुछ दवाएं कॉर्पोरेशन से मिलती है, जो आने वाले एक-दो दिनों में उपलब्ध हो जाएंगी. रही बात डॉक्टरों द्वारा लिखी दवाइयां नहीं मिलने की तो यहां डॉक्टर कुछ ऐसी दवाइयां भी लिख देते हैं, जो हमें खुद लगता है कि ऐसी दवाइयां डॉक्टरों को नहीं लिखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस बारे में डॉक्टरों को हिदायत दी गई है कि बाहर की दवा कम से कम लिखे और इसके बदले अस्पताल में उपलब्ध वैकल्पिक दवाएं उपलब्ध करा दिए जाएं.


गरीब भुगत रहे खामियाजा
ऐसे में सवाल उठता है कि डॉक्टर सरकारी आदेश की अवहेलना क्यों कर रहे हैं. आखिर क्यों वैकल्पिक दवा अस्पताल में उपलब्ध होने के बावजूद गरीब मरीजों पर और बोझ बढ़ा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकारी आदेश की अवहेलना करने वाले इन डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. डॉक्टरों की असंवेदनशीलता का खामियाजा आखिर कब तक गरीब मरीज उठाएंगे.

गुमला: सरकारी अस्पतालों से आए दिन अव्यवस्था की खबरें आती रहती हैं. सरकारी अस्पतालों से ऐसे किस्से लगभग रोजाना ही आते हैं कि कभी डॉक्टर अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं तो कभी डॉक्टर ने बिना देखे ही मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया. सरकारी अस्पताल में अव्यवस्था और असंवेदनशीलता का ऐसा ही मामला सामने आया है गुमला से. दरअसल, गुमला सदर अस्पताल में आए मरीजों को डॉक्टर बाहरी दवाई के नाम थमा दे रहे हैं, ऐसे में आम गरीब मरीजों के लिए यहां इलाज करा पाना मुश्किल होता जा रहा है.

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अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं दवाएं
ईटीवी भारत ने गुमला के सदर अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों से जब बात की तो उन्होंने कहा कि यहां के डॉक्टर इलाज तो कर दे रहे हैं लेकिन जो दवा वे लिख रहे हैं, वो अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं हैं. दवा काउंटर पर जब वे दवा लेने जाते हैं तो उन्हें दवा देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया जाता है कि यह दवा यहां नहीं है, कहीं बाहर के दुकान से ले लें. दवा नहीं मिलने के कारण उन्हें बाहर के दुकानों का रूख करना पड़ रहा है, जिसका खर्च उठाने में वे असक्षम हैं.

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डॉक्टरों को दिए गए हैं सख्त निर्देश
इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने जब सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने यह कहा कि अस्पताल में अभी जननी सुरक्षा की दवा उपलब्ध है, जिसके लिए मरीजों को बाहर जाने की जरूरत नहीं है. वहीं कुछ दवाएं कॉर्पोरेशन से मिलती है, जो आने वाले एक-दो दिनों में उपलब्ध हो जाएंगी. रही बात डॉक्टरों द्वारा लिखी दवाइयां नहीं मिलने की तो यहां डॉक्टर कुछ ऐसी दवाइयां भी लिख देते हैं, जो हमें खुद लगता है कि ऐसी दवाइयां डॉक्टरों को नहीं लिखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस बारे में डॉक्टरों को हिदायत दी गई है कि बाहर की दवा कम से कम लिखे और इसके बदले अस्पताल में उपलब्ध वैकल्पिक दवाएं उपलब्ध करा दिए जाएं.


गरीब भुगत रहे खामियाजा
ऐसे में सवाल उठता है कि डॉक्टर सरकारी आदेश की अवहेलना क्यों कर रहे हैं. आखिर क्यों वैकल्पिक दवा अस्पताल में उपलब्ध होने के बावजूद गरीब मरीजों पर और बोझ बढ़ा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकारी आदेश की अवहेलना करने वाले इन डॉक्टरों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. डॉक्टरों की असंवेदनशीलता का खामियाजा आखिर कब तक गरीब मरीज उठाएंगे.

Intro:गुमला : सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले तकरीबन 90% मरीज गरीब तबके को होते हैं । पैसों के अभाव में मरीज गुमला से बाहर जाकर बड़े-बड़े निजी अस्पतालों में इलाज नहीं करा सकते हैं । इनका एकमात्र सहारा गुमला का सरकारी सदर अस्पताल ही है । मगर यहां भी आने वाले मरीजों को राहत नहीं है । वजह है मुफ्त में मिलने वाली दवाइयां ही अस्पताल में उपलब्ध नहीं है ,जो थोड़ी-बहुत दवाइयां है भी उन दवाओं को अस्पताल के डॉक्टर मरीजों को नहीं लिख रहे हैं । अस्पताल के डॉक्टर मरीज को वैसे दवाइयां दे रहे हैं जो अस्पताल से बाहर की दुकानों में उपलब्ध है । अब ऐसे में गुमला की गरीब जनता पैसों के अभाव में आख़िर अपना इलाज कराएं तो कैसे कराएं ।


Body:गुमला सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीज ने बताया कि घुटने के दर्द का इलाज कराने के लिए अस्पताल आई थी। यहां कर डॉक्टर से इलाज कराया है डॉक्टर जो दवा लिखे हैं वह अस्पताल में नहीं मिल रहा है । यहां बताया जा रहा है कि दवा बाहर के दवा दुकान में मिलेगी अब ऐसे में हम गरीब लोग पैसे कहां से लाएंगे । वही मरीज के परिजन ने बताया कि वह अपने संबंधी को गुमला सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिए आए थे । यहां डॉक्टर को दिखाने के बाद डॉक्टर ने जो दवाइयां लिखी है वह यहां नहीं मिल रहा है । जिसके कारण हमें बाहर जाकर दवाइयों की दुकान में दवा लेनी पड़ेगी । उन्होंने बताया कि अगर हमें अस्पताल में मुफ्त में दवाइयां मिल जाती तो हम गरीबों को काफी राहत मिलती ।


Conclusion:मामले पर अस्पताल के सिविल सर्जन का कहना है कि जननी सुरक्षा का दवा उपलब्ध है। कुछ दवाएं कॉरपोरेशन से मिलती है जो आने वाले एक-दो दिनों में उपलब्ध हो जाएंगी । रही बात डॉक्टरों द्वारा लिखी दवाइयां नहीं मिलने की तो यहां डॉक्टर कुछ ऐसी दवाइयां भी लिख देते हैं जो हमें खुद लगता है कि ऐसी दवाइयां डॉक्टरों को नहीं लिखनी चाहिए । अगर कुछ दवाइयां लिखते भी है तो हमने उन्हें कहा है कि बाहर की दवा कम से कम लिखे । उसके विकल्प जो दवा यहां उपलब्ध है उसे ही लिखें । क्योंकि डॉक्टरों को यह समझना होगा कि अस्पताल में आने वाले मरीज किस लेवल के हैं । बाईट : सीमा देवी ( मरीज ) बाईट b : अविनाश कच्छप ( परिजन ) बाईट c : अर्जुन महतो ( परिजन ) बाईट d: डॉ विजया भेंगरा ( सिविल सर्जन ,सदर अस्पताल, गुमला) नॉट : डे प्लान की खबर है आधिकारिक बयान देर से मिलने के कारण खबर देर से गयी है ।
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