गुमला : जिले में लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को भोजन के साथ अन्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए कई संस्थाएं आगे आई. मगर जब लॉकडाउन की समय सीमा बढ़ाई गई तो ऐसे में गरीबों की सेवा करने वालों ने अपने पैर समेट लिए. चाहे वह सत्ताधारी दल हो या विपक्ष के अलावा अन्य राजनीतिक पार्टियों या सामाजिक संस्थाएं.
'जीवन' संस्था 24x7 मौजूद
मगर गुमला में युवा जोश से लबरेज 'जीवन' नाम का एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो वैसे तो गुमला के साथ-साथ कहीं भी मरीजों को खून की जरूरत होती है तो संस्था के रक्तवीर 24x7 उपलब्ध रहते हैं और आज जब वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण पूरे देश मे लॉकडाउन है तो ऐसे में संस्था के सदस्य भोजन वीर की भूमिका निभाते हुए पिछले 35 दिनों से लगातार बिना रुके, बिना थके दोपहर और रात का भोजन करीब 800 गरीबों के बीच वितरण कर रहे हैं.
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संस्था दो वक्त की भोजन करती उपलब्ध
इस कार्य के लिए संस्था के सदस्य सुबह से ही लग जाते हैं. भोजन बनाने के लिए कारीगर की व्यवस्था की गई है. जो सुबह और शाम में भोजन बनाते हैं. फिर उसे पैकेजिंग किया जाता है. जिसके बाद तीन से चार अलग-अलग गाड़ियों में भोजन को रखकर संस्था के सदस्य अलग-अलग क्षेत्रों में बांटने के लिए निकल जाते हैं.
जरूरतमंदों को ही मिलाती भोजन
ऐसा नहीं है कि जो भोजन बांटा जाता है वह बगैर किसी जांच पड़ताल का दिया जाता है. संस्था के सदस्य सबसे पहले भोजन लेने वाले की पड़ताल करते हैं कि उसे सही में भोजन की जरूरत है या नहीं. जो सक्षम होते हैं या जिनके घरों में भोजन बनाने वाले होते हैं. उन्हें भोजन नहीं दिया जाता है. लेकिन फुटपाथ पर जिंदगी गुजारने वाले या फिर घर में जो अकेले बूढ़े-बुजुर्ग हैं, वैसे लोगों को भोजन दिया जाता है.
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दुकानदारों को भोजन मुहैया
इसके साथ ही संस्था की ओर से कुछ ऐसे दुकानदारों को भी भोजन मुहैया कराया जा रहा है, जो शहर के अलग-अलग जगह में ठेले लगाकर अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे थे. मगर लॉकडाउन की वजह से अभी उनका व्यापार बंद है.
संस्था पुलिस के जवानों को उपलब्ध करा रही उपलब्ध
संस्था के सदस्य जिला मुख्यालय में पुलिस के जवानों और अन्य अधिकारियों को भी भोजन उपलब्ध कराते हैं. जिनकी ड्यूटी लगी होती है. भोजन वितरण का समय निर्धारित है. ऐसे में जो फुटपाथ पर रहने वाले लोग हैं. वह अपने जगहों पर रहते हैं. इसके साथ ही जिन इलाकों में जाकर भोजन वितरण किया जाता है. वहां के लोग तय समय में एक जगह पर एकत्रित होकर भोजन पहुंचने का इंतजार करते हैं और जैसे ही यह भोजन वीर पहुंचते हैं. उनके चेहरों में खुशी आ जाती है.
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गांव के साथ शहरी इलको में भी असहायों की मदद
जिला मुख्यालय में जरूरतमंदों के बीच भोजन वितरण करने के बाद इनका एक जत्था ग्रामीण इलाकों की ओर निकलता है. गुमला से 30 किलोमीटर दूर गुमला प्रखंड क्षेत्र के पातगच्छा गांव तक पहुंचता है. इनके कामों को देखने के लिए ईटीवी भारत भी इनके साथ गांव तक पहुंचता है. ऐसे में हमने देखा कि रास्ते में कई ऐसे गांव आए जिनमें कई ऐसे घर मिले जहां वृद्ध महिलाएं अकेली रहती हैं. ऐसे में उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति जैसी है. ऐसे में जीवन संस्था के सदस्य उन तक भोजन पहुंचा रहे हैं. जब हम पातगच्छा गांव पहुंचे तो हमने देखा कि वहां इन संस्था के सदस्य गांव के बूढ़े-बुजुर्ग और बच्चों के खाना खिला रहे हैं और खाने मिलते ही उन बेबसों के चहरे पर मुसकान आ जाती है.
जानिए 'जीवन संस्था' के युवा संस्थापक ने क्या कहा
'जीवन संस्था' के युवा संस्थापक से हमने बात की तो उन्होंने कहा की वैश्विक महामारी के इस दौर में जरूरतमंदों के बीच भोजन उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती थी. इसको लेकर हम संस्था के सभी सदस्य आपस में विचार विमर्श करने के बाद यह तय किए कि हमें किसी गरीब, लाचार और मजबूर व्यक्ति को भूख से नहीं मरने देना है. इसको लेकर हम लोगों ने ठाना और इस काम को शुरू किया.