गुमलाः देशभर में हनुमान जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है. मान्यता है कि हनुमान आज भी जीवित हैं. इन्हें संकट मोचन भी कहते हैं और इनके स्मरण मात्र से सारे संकट दूर हो जाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार इनका जन्म झारखंड के गुमला जिले में हुआ है, यहां आंजन धाम में हनुमान की अनूठी प्रतिमा हैं.
गुमला जिला मुख्यालय से तकरीबन अठारह किलोमीटर दूर है आंजन धाम. शास्त्रों के अनुसार चैत्र पूर्णिमा को यहीं पर पवन पुत्र हनुमान का जन्म हुआ है. मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया था. असुरों से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर लीला रची. मोहिनी रूप पर भगवान शिव भी कामातुर हो गए. शिव के के अंश को पवनदेव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया और फिर हनुमान का जन्म हुआ.
ग्रामीणों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि माता अंजनी के नाम से ही गुमला जिले के इस गांव का नाम आंजन पड़ा। आंजन धाम के मंदिर में बाल हनुमान माता अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं. देश में इस तरह की ये एकमात्र प्रतिमा है. जिस गुफा में हनुमान का जन्म हुआ, अब उसका दरवाजा बंद हो चुका है. मान्यता है कि माता अंजनी ने इसे स्वयं बंद कर लिया था क्योंकि वो स्थानीय लोगों द्वारा दी गई बलि से नाराज थीं. आंजन धाम में 1953 में श्रद्धालुओं ने मंदिर की स्थापना की. इसके बाद इसकी ख्याति दूर-दराज के लोगों तक पहुंची और यहां लोग मनोकामना लेकर देशभर से पहुंचने लगे.
पुजारियों ने बताया कि हनुमान को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है. हनुमान बाल ब्रह्मचारी थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान राम की भक्ति और सेवा में समर्पित कर दिया. हनुमान को सिंदूर बेहद प्रिय है और सुंदर कांड के पाठ से वे सभी मंगल कामनाएं पूरी कर देते हैं. सरल हृदय महावीर के स्मरण से भय और विपदाओं का नाश हो जाता है.