लातेहार: जिले में बागवानी का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है. बागवानी से जुड़कर लोग अच्छी आमदनी करने लगे हैं. जिले में बागवानी को पहचान दिलाने वाले खान साहब की बागवानी पूरे जिले में मशहूर है. यह परिवार पिछले तीन पीढ़ियों से बागवानी से जुड़ा है और अपने बगीचे में तमाम तरह के फलों के पेड़ लगाकर हर साल अच्छी आमदनी कमाता है.
दरअसल, कुछ साल पहले तक लातेहार जिले में बागवानी का क्रेज नहीं था. सिर्फ कुछ लोग जिनके पास ज्यादा जमीन होती थी, वे ही अपने घर के आसपास बगीचे लगाते थे. सदर प्रखंड के कढ़ीमा गांव निवासी खान साहब के परिवार ने भी इसी सोच के साथ कई साल पहले अपने घर के पास फलों के पेड़ लगाए थे. लेकिन समय बीतने के बाद जब फलों के पेड़ों में फल लगने लगे तो खान साहब को भी इससे आमदनी होने लगी.
इसके बाद खान साहब के परिवार ने अपने घर के पास खाली पड़ी करीब 10 एकड़ जमीन में बागवानी लगाई. उनके बगीचे में सबसे पहले आम और नींबू की बिक्री शुरू हुई. आम और नींबू की गुणवत्ता इतनी अच्छी थी कि उन्हें इससे अच्छी आमदनी होने लगी और उनके बगीचे की ख्याति भी दूर-दूर तक फैल गई.
तीन पीढ़ी पहले की थी बागवानी
इस संबंध में खान साहब के परिवार के सदस्य मोहम्मद अस्तर खान ने बताया कि उनके परिवार के सदस्य पीढ़ी दर पीढ़ी बागवानी से जुड़े हैं. उन्होंने अपने दादा को भी बागवानी में पेड़ लगाते देखा था. उन्होंने बताया कि उनके बगीचे में कई तरह के फलों के पेड़ लगे हैं. बागवानी से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है और अगर वे मेहनत करें तो अच्छी आमदनी भी कर लेते हैं.
मोहम्मद इस्माइल खान ने बताया कि पिछली तीन पीढ़ियां बागवानी से जुड़कर नाम के साथ पैसा भी कमा रही हैं. उन्होंने बताया कि उनके बगीचे में नींबू, कटहल, संतरा, लीची, मौसंबी के अलावा कई किस्म के आम के पेड़ लगे हैं. उन्होंने बताया कि बगीचे में 100 से ज्यादा नींबू के पौधे हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा तो अकेले नींबू से ही लाखों रुपये की कमाई हो सकती है. उनके बगीचे के आम की बेहतरीन गुणवत्ता के कारण दूर-दूर से इसकी काफी मांग है.
कई लोगों ने प्रेरणा लेकर शुरू की बागवानी
इस बीच खान साहब की बागवानी से प्रेरणा लेकर कई अन्य ग्रामीणों ने भी अपनी जमीन पर बागवानी लगाई है. अभी भी कई लोग यहां आकर बागवानी देखते हैं और उससे सीख लेते हैं. स्थानीय निवासी बीरबल प्रसाद ने बताया कि उन्होंने खान साहब की बागवानी के बारे में काफी सुना है. आज वह उनकी बागवानी देखने आए हैं ताकि वह भी इसी तरह की बागवानी लगा सकें.
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