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बिशुनपुर सीट पर है JMM का कब्जा, अंजनी पुत्र की जन्मस्थली के रूप में है मशहूर - झारखंड महासमर

बिशुनपुर सीट पर झारखंड गठन से लेकर 2005 के विधानसभा चुनाव तक बीजेपी का कब्जा हुआ करता था, लेकिन पिछले दो चुनावों से बीजेपी इस सीट को गंवाती आ रही है.

बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र
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Published : Nov 25, 2019, 11:24 PM IST

रांची: गुमला जिले के बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र की पहचान आंजन के लिए भी होती है. आंजन यानी अंजनी पुत्र की जन्मस्थली. यहां के लोगों की मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म इसी जगह हुआ था. इसलिए इसका नाम आंजन पड़ा. रामनवमी के दिन यहां विशेष मेला लगता है.

2005 में बीजेपी का कब्जा
पूजा करने और मेला घूमने के लिए आसपास के जिलों के लोग पहुंचते हैं. राजनीतिक दृष्टिकोण से बिशुनपुर की हवा बदलती रही है. झारखंड गठन से लेकर 2005 के विधानसभा चुनाव तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हुआ करता था, लेकिन पिछले दो चुनावों से बीजेपी इस सीट को गंवाती आ रही है. साल 2000 के चुनाव में बीजेपी के चंद्रेश उरांव ने कांग्रेस के भुखला भगत को हराया था, लेकिन 2005 के चुनाव में बीजेपी के चंद्रेश उरांव को इस सीट पर दोबारा कब्जा जमाने में पसीने छूट गए थे.

2009 से चमरा लिंडा का कब्जा
उन्हें इस सीट पर बतौर निर्दलीय चमरा लिंडा ने चुनौती दी थी. बीजेपी की जीत महज 569 वोट के अंतर से हुई थी. उस वक्त चमरा लिंडा झारखंड में चर्चित डोमिसाइल आंदोलन की आंच में तपकर निकले थे. आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में चमरा ने युवाओं को खासा प्रभावित किया था. चमरा को इस मेहनत का फल 2009 के चुनाव में मिला. उन्होंने बतौर निर्दलीय भारी अंतर से इस सीट पर कब्जा जमा लिया. 2009 के चुनाव में बीजेपी की हालत ऐसी हो गई कि वह कांग्रेस से भी पीछे चली गयी. 2014 के चुनाव में भी चमरा लिंडा सबपर भारी पड़े. तब बीजेपी की ओर से वर्तमान राज्यसभा सांसद समीर उरांव मैदान में थे, लेकिन चमरा के आगे नहीं टिक सके.

ये भी पढ़ें: आम नहीं बेहद खास है ये सब्जी बेचने वाली, पति रह चुके हैं तीन बार विधायक

विकास भारती संस्था है सक्रिय
बिशुनपुर में विकास भारती संस्था का मुख्यालय भी है. इसके संचालक हैं पद्म श्री अशोक भगत. यह संस्था आदिवासियों के उत्थान के लिए कई कार्य कर रही है. यहां शिशु मंदिर और विद्या मंदिर का संचालन होता है. इसके साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई-कढ़ाई के साथ-साथ अचार बनाने और पशुपालन के गुर सिखाये जाते हैं.
आदिवासियों के बीच इस संस्था की अच्छी पैठ है. कहा जाता है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े लोग यहां अक्सर आते हैं. बावजूद इसके बिशुनपुर सीट पर पिछले दस वर्षों से चमरा लिंडा का कब्जा है.

बॉक्साइट खदान और नक्सलवाद
गुमला के बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र का इलाका लोहरदगा और लातेहार की सीमा से लगा है. यहां बॉक्साइट के कई खदान हैं. हिंडाल्को समेत कई कंपनियां यहां से बॉक्साइट की ढुलाई करती हैं. इसका फायदा माओवादी भी उठाते रहे हैं. कहा जाता है कि एक दौर था जब यहां बॉक्साइट की ढुलाई माओवादियों को लेवी दिए बगैर करना मुश्किल था.
इस इलाके में नकुल और मदन यादव जैसे माओवादी सक्रिय थे. हालांकि, बाद में दोनों ने सरेंडर कर दिया. सूत्र बताते हैं कि बिशुनपुर इलाके में माओवादियों का शीर्ष कमांडर सुधाकरण भी आया जाया करता था. फिलहाल, पुलिस और सुरक्षाबलों के सघन ऑपरेशन के कारण इस क्षेत्र में माओवादी उखड़ चुके हैं.

ये भी पढ़ें: बोकारो कांग्रेस प्रत्याशी श्वेता सिंह ने किया जीत का दावा, कहा- पूरा कांग्रेस परिवार मेरे साथ

वोटरों की संख्या
गुमला के बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 2,34,401 है. इनमें पुरूष वोटरों की संख्या 1,19,332 और महिला वोटरों की संख्या 1,15,067 है.

रांची: गुमला जिले के बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र की पहचान आंजन के लिए भी होती है. आंजन यानी अंजनी पुत्र की जन्मस्थली. यहां के लोगों की मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म इसी जगह हुआ था. इसलिए इसका नाम आंजन पड़ा. रामनवमी के दिन यहां विशेष मेला लगता है.

2005 में बीजेपी का कब्जा
पूजा करने और मेला घूमने के लिए आसपास के जिलों के लोग पहुंचते हैं. राजनीतिक दृष्टिकोण से बिशुनपुर की हवा बदलती रही है. झारखंड गठन से लेकर 2005 के विधानसभा चुनाव तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हुआ करता था, लेकिन पिछले दो चुनावों से बीजेपी इस सीट को गंवाती आ रही है. साल 2000 के चुनाव में बीजेपी के चंद्रेश उरांव ने कांग्रेस के भुखला भगत को हराया था, लेकिन 2005 के चुनाव में बीजेपी के चंद्रेश उरांव को इस सीट पर दोबारा कब्जा जमाने में पसीने छूट गए थे.

2009 से चमरा लिंडा का कब्जा
उन्हें इस सीट पर बतौर निर्दलीय चमरा लिंडा ने चुनौती दी थी. बीजेपी की जीत महज 569 वोट के अंतर से हुई थी. उस वक्त चमरा लिंडा झारखंड में चर्चित डोमिसाइल आंदोलन की आंच में तपकर निकले थे. आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में चमरा ने युवाओं को खासा प्रभावित किया था. चमरा को इस मेहनत का फल 2009 के चुनाव में मिला. उन्होंने बतौर निर्दलीय भारी अंतर से इस सीट पर कब्जा जमा लिया. 2009 के चुनाव में बीजेपी की हालत ऐसी हो गई कि वह कांग्रेस से भी पीछे चली गयी. 2014 के चुनाव में भी चमरा लिंडा सबपर भारी पड़े. तब बीजेपी की ओर से वर्तमान राज्यसभा सांसद समीर उरांव मैदान में थे, लेकिन चमरा के आगे नहीं टिक सके.

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विकास भारती संस्था है सक्रिय
बिशुनपुर में विकास भारती संस्था का मुख्यालय भी है. इसके संचालक हैं पद्म श्री अशोक भगत. यह संस्था आदिवासियों के उत्थान के लिए कई कार्य कर रही है. यहां शिशु मंदिर और विद्या मंदिर का संचालन होता है. इसके साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई-कढ़ाई के साथ-साथ अचार बनाने और पशुपालन के गुर सिखाये जाते हैं.
आदिवासियों के बीच इस संस्था की अच्छी पैठ है. कहा जाता है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े लोग यहां अक्सर आते हैं. बावजूद इसके बिशुनपुर सीट पर पिछले दस वर्षों से चमरा लिंडा का कब्जा है.

बॉक्साइट खदान और नक्सलवाद
गुमला के बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र का इलाका लोहरदगा और लातेहार की सीमा से लगा है. यहां बॉक्साइट के कई खदान हैं. हिंडाल्को समेत कई कंपनियां यहां से बॉक्साइट की ढुलाई करती हैं. इसका फायदा माओवादी भी उठाते रहे हैं. कहा जाता है कि एक दौर था जब यहां बॉक्साइट की ढुलाई माओवादियों को लेवी दिए बगैर करना मुश्किल था.
इस इलाके में नकुल और मदन यादव जैसे माओवादी सक्रिय थे. हालांकि, बाद में दोनों ने सरेंडर कर दिया. सूत्र बताते हैं कि बिशुनपुर इलाके में माओवादियों का शीर्ष कमांडर सुधाकरण भी आया जाया करता था. फिलहाल, पुलिस और सुरक्षाबलों के सघन ऑपरेशन के कारण इस क्षेत्र में माओवादी उखड़ चुके हैं.

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वोटरों की संख्या
गुमला के बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 2,34,401 है. इनमें पुरूष वोटरों की संख्या 1,19,332 और महिला वोटरों की संख्या 1,15,067 है.

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