गुमलाः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में लाखों लोगों को अपनी चपेट में लेकर असमय ही मौत की नींद में सुला दिया है, लेकिन ऐसे भी कोरोना वीर हैं जो कोरोना संक्रमित होने के बावजूद कुछेक दिन के अंदर ही कोरोना को मात देकर वापस अपनी जिंदगी को पटरी पर सरपट दौड़ा रहे हैं लेकिन विडंबना यह है कि कोरोना को मात देकर आने वाले कोरोना वीरों को आज भी लोग शक और हिकारत की नजर से देखते हैं. ऐसे में यह कोरोना वीर और उनका परिवार समाज में खुद को असहज महसूस करता है. ईटीवी भारत की टीम इन्हीं धारणाओं को मिटाने के लिए आज ऐसे ही एक कोरोना वीर से आपको मिला रहा जिसने कोरोना संक्रमित होने के बावजूद 6 दिन के अंदर ही वैश्विक महामारी कोरोना को मात देकर वापस अपनी नौकरी में लग गए हैं.
एक महीना पहले हुए थे संक्रमित
हम जिस कोरोना वीर से की बात कर रहे हैं वह गुमला जिला में तैनात सीआरपीएफ 218 बटालियन के एक कार्यालय कर्मी हैं. उनका नाम संजय है. जिन्हें एक महीना पहले कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया था. जब इनकी तबीयत बिगड़ी थी उस समय उनका कोरोना से संबंधित जांच करायी गयी थी तो वे कोरोना पॉजिटिव निकले. जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए रांची रिम्स में भर्ती कराया गया. रांची रिम्स में करीब सप्ताह भर उनका इलाज चला फिर बिल्कुल ठीक हो गए. जिसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई और उन्हें 14 दिनों तक क्वॉरेंटाइन किया गया था.
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सप्ताह भर चला इलाज
क्वॉरेंटाइन समाप्त होने के बाद अब कोरोना वीर फिर से अपनी जिंदगी को पटरी पर सरपट दौड़ा रहे हैं. दो दिन पहले ही उन्होंने अपने कार्यालय को जॉइन किया है और अपने कार्यों को बखूबी निपटा रहे हैं. कोरोना वीर संजय ने बताया कि जब उनकी तबीयत खराब हुई थी तब उन्हें रिम्स रांची में भर्ती कराया गया था. जहां करीब सप्ताह भर इलाज चला जिसके बाद वे बिल्कुल ठीक हो गए. वहां और भी कई मरीज थे जो बिल्कुल ठीक होकर अपने घर वापस लौट रहे थे. इलाज के दौरान उन्हें दवा के रूप में एंटीबायोटिक के अलावा कुछ और दवाइयां दी जाती थी.
कोरोना वीर संजय की अपील
कोरोना वीर ने कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से डरने की जरूरत नहीं है. हिम्मत को हमेशा बनाए रखने के साथ इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत रखें , जिससे कि कोराना को हराया जा सके. उन्होंने कहा कि अब वे बिल्कुल ठीक हो चुके हैं और कार्यालय में आकर अपने कार्यों को बखूबी ढंग से कर रहे हैं. कहीं पर कोई परेशानी नहीं है कार्यालय में भी कर्मियों का साथ मिल रहा है.
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वहीं, उनके सहकर्मियों ने कहा कि संजय जब कोरोना बीमारी को हराकर वापस कार्यालय में आकर काम कर रहे हैं तो काफी अच्छा लग रहा है हमें ना तो उनसे कोई भय है और ना ही किसी प्रकार की कोई शंका. सभी साथ मिलकर कार्यालय में अपने दैनिक कार्यों को कर रहे हैं. कार्यालय कर्मियों ने कहा कि कोरोना बीमारी से उन्हें बिल्कुल भी नहीं डरना चाहिए और न ही इस बीमारी से संक्रमित हुए लोगों से क्योंकि कोरोना से जो संक्रमित हो रहे हैं वे बिल्कुल ठीक भी हो रहे हैं. ऐसे में सभी को विकट परिस्थिति में एक दूसरे का साथ देने की जरूरत है लेकिन इस बीमारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का उपयोग जरूर करना चाहिए.
बता दें कि गुमला जिले में सीआरपीएफ 218 बटालियन को इसलिए तैनात किया गया है ताकि गुमला को नक्सल मुक्त बनाया जा सके. सीआरपीएफ 218 बटालियन की देन है कि गुमला जिले में नक्सली और उग्रवादी बैकफुट पर चले गए हैं लेकिन जिस तरह से कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को भी मात देकर यहां के एक कार्यालय कर्मी ने लोगों को कोरोना से डरने नहीं बल्कि लड़ने के लिए आह्वान किया है उससे बाकी लोगों को भी सीख लेने की जरूरत है.