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शर्मनाकः रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर को मरने के बाद 24 घंटे तक नहीं मिली 2 गज जमीन, संक्रमित शव लेकर भटकते रहे परिजन - गुमला में एक 65 साल के बुजर्ग सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर की कोरोना से मौत

गुमला में एक 65 साल के सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर की कोरोना से मौत हो गई. जिसके बाद परिजन शव को लेकर श्मशान पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. हांलाकि 24 घंटे बीत जाने के बाद भी शव को जलाने के लिए दो गज जमीन नसीब नहीं हुई. फिलहाल उनके पैतृक गांव सियारटोली जोरी में ही क्रिश्चियन रीति-रिवाज के साथ शव दफनाने की प्रक्रिया की जा रही है.

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ट्रैक्टर में शव को लेकर घुमते परिजन
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Published : May 10, 2021, 2:26 PM IST

Updated : May 10, 2021, 4:00 PM IST

गुमला: कोरोना संक्रमण से मरीज की मौत के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी दो गज जमीन नसीब नहीं हुई. शव दफनाने को लेकर प्रशासन की ओर से चयनित श्मशान के पास ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया. स्थानीय लोग वहां शव को दफनाने का विरोध कर रहे थे. विरोध के बाद शव को नहीं दफनाने नहीं दिया है. देर रात तक परिजन शव को लेकर भटकते रहे. अंत में रातभर शव प्रखंड मुख्यालय के बाहर पड़ा रहा.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- झारखंडः लगातार 20 घंटे जले शव, विद्युत शवदाह गृह में आई खराबी

रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर की कोरोना से मौत
बिशुनपुर थाना क्षेत्र सियारटोली जोरी निवासी सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर ऐलकसूस लकड़ा की मौत कोरोना से हो गई. परिजनों के अनुसार लकड़ा की तबीयत 4 दिन पहले ही खराब थी, जिसके बाद उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिशुनपुर लाया था. जहां चिकित्सकों ने कोरोना सैंपल लिया, जिसके बाद परिजन बेहतर इलाज के लिए गुमला सादर अस्पताल ले गए, जहां उनका इलाज चल रहा था. इधर 2 दिन पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दिए गए सैंपल में लकड़ा की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी और रविवार को सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया.

स्थानीयों ने किया विरोध
परिजन कोरोना संक्रमित शव लेकर 5:00 बजे बिशुनपुर पहुंचे. प्रशासन की ओर से चयनित श्मशान घाट मुदांर डैम ले जाया गया. जहां स्थानीय मुंदार गांव और नजदीकी गांव के ग्रामीणों ने उस स्थल पर शव का अंतिम संस्कार का विरोध करते हुए परिजनों को बैरंग लौटा दिया.


नहीं मिली 2 गज की जमीन
संक्रमित का शव लेकर गुमला से पहुंचे एंबुलेंस ने ग्रामीणों का विरोध देख मुंदार डैम के पास शव उतार कर चलते बने. इधर परिजनों ने ग्रामीणों के विरोध करने के बाद जेहन गुटवा गांव में दफनाने का निर्णय लिया, जिसके बाद ट्रैक्टर में उसे लादकर परिजन घंटों मुख्यालय में घूमते रहे, जिसके बाद जेहन गुटवा गांव पहुंचे.

वहां भी गांव के लोगों ने कोरोना संक्रमित को गांव के श्मशान में दफनाने का विरोध किया, जिसके बाद मृतक के रिश्तेदारी में एक शख्स ने अपनी जमीन पर शव दफनाने की बात कही. लेकिन गांव वालों ने कहा कि किसी भी सूरत पर गांव में संक्रमित शव दफनाने नहीं दिया जाएगा. प्रशासन ने जब श्मशान चिन्हित किया है तो प्रशासन वहां पर शवों का अंतिम संस्कार क्यों नहीं करवा रहा है.


गुट्वा में विरोध के बाद शव दोबारा पहुंचा मुख्यालय
गुट्वा में ग्रामीणों के विरोध के बाद शव ट्रैक्टर में लेकर दोबारा मुख्यालय के बहेरा डीपा के पास लाया गया. लेकिन बिशुनपुर और चेड़ा के ग्रामीणों ने भी विरोध शुरू कर दिया.


प्रशासन की इस व्यवस्था पर उठ रहा है सवाल
बीडीओ छंदा भट्टाचार्य ने इस संबंध में कहा कि गाइडलाइन के अनुसार परिजन अपने गांव में दाह संस्कार कर सकते हैं. हालांकि संक्रमित का शव घंटों इधर-उधर घूमता रहा लेकिन प्रखंड प्रशासन के कोई भी अधिकारी नहीं दिखे. स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिर्फ परिजनों को पीपीई किट उपलब्ध कराई गई थी. जिसे पहनकर परिजन ट्रैक्टर में शव लादकर इधर-उधर घुम रहे थे. मृतक को 2 गज जमीन नहीं मिल सकी थी, जिसके बाद रातभर ट्रैक्टर में शव प्रखंड मुख्यालय के बाहर पड़ा रहा. इसके बाद सोमवार को परिजन पैतृक गांव सियारटोली जोरी शव लेकर निकल गए.

गुमला: कोरोना संक्रमण से मरीज की मौत के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी दो गज जमीन नसीब नहीं हुई. शव दफनाने को लेकर प्रशासन की ओर से चयनित श्मशान के पास ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया. स्थानीय लोग वहां शव को दफनाने का विरोध कर रहे थे. विरोध के बाद शव को नहीं दफनाने नहीं दिया है. देर रात तक परिजन शव को लेकर भटकते रहे. अंत में रातभर शव प्रखंड मुख्यालय के बाहर पड़ा रहा.

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ये भी पढ़ें- झारखंडः लगातार 20 घंटे जले शव, विद्युत शवदाह गृह में आई खराबी

रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर की कोरोना से मौत
बिशुनपुर थाना क्षेत्र सियारटोली जोरी निवासी सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर ऐलकसूस लकड़ा की मौत कोरोना से हो गई. परिजनों के अनुसार लकड़ा की तबीयत 4 दिन पहले ही खराब थी, जिसके बाद उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिशुनपुर लाया था. जहां चिकित्सकों ने कोरोना सैंपल लिया, जिसके बाद परिजन बेहतर इलाज के लिए गुमला सादर अस्पताल ले गए, जहां उनका इलाज चल रहा था. इधर 2 दिन पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दिए गए सैंपल में लकड़ा की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी और रविवार को सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया.

स्थानीयों ने किया विरोध
परिजन कोरोना संक्रमित शव लेकर 5:00 बजे बिशुनपुर पहुंचे. प्रशासन की ओर से चयनित श्मशान घाट मुदांर डैम ले जाया गया. जहां स्थानीय मुंदार गांव और नजदीकी गांव के ग्रामीणों ने उस स्थल पर शव का अंतिम संस्कार का विरोध करते हुए परिजनों को बैरंग लौटा दिया.


नहीं मिली 2 गज की जमीन
संक्रमित का शव लेकर गुमला से पहुंचे एंबुलेंस ने ग्रामीणों का विरोध देख मुंदार डैम के पास शव उतार कर चलते बने. इधर परिजनों ने ग्रामीणों के विरोध करने के बाद जेहन गुटवा गांव में दफनाने का निर्णय लिया, जिसके बाद ट्रैक्टर में उसे लादकर परिजन घंटों मुख्यालय में घूमते रहे, जिसके बाद जेहन गुटवा गांव पहुंचे.

वहां भी गांव के लोगों ने कोरोना संक्रमित को गांव के श्मशान में दफनाने का विरोध किया, जिसके बाद मृतक के रिश्तेदारी में एक शख्स ने अपनी जमीन पर शव दफनाने की बात कही. लेकिन गांव वालों ने कहा कि किसी भी सूरत पर गांव में संक्रमित शव दफनाने नहीं दिया जाएगा. प्रशासन ने जब श्मशान चिन्हित किया है तो प्रशासन वहां पर शवों का अंतिम संस्कार क्यों नहीं करवा रहा है.


गुट्वा में विरोध के बाद शव दोबारा पहुंचा मुख्यालय
गुट्वा में ग्रामीणों के विरोध के बाद शव ट्रैक्टर में लेकर दोबारा मुख्यालय के बहेरा डीपा के पास लाया गया. लेकिन बिशुनपुर और चेड़ा के ग्रामीणों ने भी विरोध शुरू कर दिया.


प्रशासन की इस व्यवस्था पर उठ रहा है सवाल
बीडीओ छंदा भट्टाचार्य ने इस संबंध में कहा कि गाइडलाइन के अनुसार परिजन अपने गांव में दाह संस्कार कर सकते हैं. हालांकि संक्रमित का शव घंटों इधर-उधर घूमता रहा लेकिन प्रखंड प्रशासन के कोई भी अधिकारी नहीं दिखे. स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिर्फ परिजनों को पीपीई किट उपलब्ध कराई गई थी. जिसे पहनकर परिजन ट्रैक्टर में शव लादकर इधर-उधर घुम रहे थे. मृतक को 2 गज जमीन नहीं मिल सकी थी, जिसके बाद रातभर ट्रैक्टर में शव प्रखंड मुख्यालय के बाहर पड़ा रहा. इसके बाद सोमवार को परिजन पैतृक गांव सियारटोली जोरी शव लेकर निकल गए.

Last Updated : May 10, 2021, 4:00 PM IST
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