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Gumla News: गुमला में तोड़ दिया गया आदिवासी महिला का पीएम आवास, सांसद ने कहा- असंवेदनशील हो गया है प्रशासन

गुमला में पीएम आवास के तहत बन रहे एक आदिवासी विधवा महिला का घर प्रशासन के द्वारा तोड़ दिया गया. प्रशासन का कहना है आवास सरकारी जमीन पर बना था, इसलिए यह कार्रवाई की गई है. वहीं महिला ने भी अपने तर्क दिए हैं. पूरे मामले को लेकर महिला ने एसडीओ और बीडीओ से शिकायत की है.

PM residence of tribal widow woman demolished
आदिवासी विधवा महिला सीमा तिर्की
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Published : Feb 13, 2023, 11:26 AM IST

Updated : Feb 13, 2023, 1:37 PM IST

गुमला: जिला के बसिया प्रखंड मुख्यालय में अंचलाधिकारी द्वारा एक आदिवासी विधवा महिला सीमा तिर्की के नवनिर्मित पीएम आवास को ध्वस्त करा दिया गया है. सीओ ने तर्क दिया है कि पीएम आवास सरकारी जमीन पर बना है. इस संबंध में पीड़ित का कहना है कि वह विधवा महिला है और अपने रैयती जमीन पर पीएम आवास बना रही थी, लेकिन इस क्रम में कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर चला गया था. इस संबंध में उसने एसडीओ संजय पीएम कुजूर और बीडीओ रविंद्र गुप्ता को लिखित आवेदन देकर शिकायत की है.

ये भी पढ़ें: बोकारो में अंग्रेजों के जमाने के स्कूल पर बुरी नजर, जमीन का किया जा रहा अतिक्रमण

महिला ने कहा है कि वह रैयती जमीन के समीप आवास बना रही थी, उसे मालूम नहीं था कि वह सरकारी जमीन है. वह भूमिहीन कृषक श्रेणी में आती है. आवास बनाने के लिए उसे एक लाख पच्चीस हजार और मजदूरी भुगतान के लिए इक्कीस हजार एक सौ पचास रुपये मिले हैं. इसके अलावा उसने महिला मंडल और भारत फाइनेंस कंपनी से एक लाख लोन लिया है. कन्यादान योजना से तीस हजार रुपए मिले थे. उन सभी पैसों को उसने घर बनाने में लगाया था, लेकिन सीओ ने उसके घर को ध्वस्त करा दिया.

महिला ने दी आत्मदाह करने की धमकी: विधवा आदिवासी महिला ने कहा कि उसका घर बना दिया जाए, नहीं तो वह अपने बच्चों के साथ प्रखंड मुख्यालय के समीप आत्मदाह कर लेगी. महिला ने चेतावनी देते हुए कहा कि 15 दिनों के अंदर न्याय नहीं मिला तो पूरी घटना का जिम्मेदार प्रखंड प्रशासन होगा. इधर महिला के आवेदन के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है और मामले की जांच शुरू कर दी है. सीमा तिर्की के अनुसार उसने एसडीओ से भी गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

सरकारी नियम के अनुसार क्या होना चाहिए: सरकारी नियम के अनुसार किसी भी ऐसे व्यक्ति जिसे पीएम आवास मिला हो और किसी कारणवश उसे तोड़ना पड़े तो उसके एवज में 3 डिसमिल जमीन दिए जाने के बाद ही घर तोड़ा जाता है, लेकिन प्रशासन ने ऐसा कोई काम नहीं किया, जो सवाल के घेरे में है. वहीं सरकार के आदेश के अनुसार अगर किसी विधवा भूमिहीन महिला को पीएम आवास मिला हो तो उसे सरकारी जमीन में सेटलमेंट किया जाता है.

प्रशासन का अमानवीय चेहरा सामने आया है- सुदर्शन भगत: बसिया प्रखंड में आदिवासी महिला का पीएम आवास प्रशासन द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद सांसद सुदर्शन भगत ने कहा है कि जिला प्रशासन संवेदनहीन हो चुका है. जहां एक ओर सरकार आदिवासी के हितैषी होने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर एक आदिवासी विधवा महिला के घर को प्रशासन ने जेसीबी लगाकर तोड़ दिया है. गौरतलब है कि बसिया में स्वर्गीय मुकेश मुंडा के घर को तोड़ा गया है. गृहिणी सीमा तिर्की ने बताया कि उसके पति की मौत 3 माह पहले ही हुई है. वह बीमारी से जूझ रहे थे. सांसद सुदर्शन भगत ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में प्रशासन का अमानवीय चेहरा झलकता है. घर सरकारी जमीन में कैसे बना इसकी जांच पहले कैसे नहीं हुई और नहीं हुई तो इतने दिन तक प्रशासन कहां था. यह बड़ा सवाल है. इस मामले में पीड़िता को उचित न्याय मिले. उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार पूरे मामले की जांच कर जिम्मेदार और दोषी पदाधिकारी पर कड़ी कार्रवाई करें.

क्या कहते हैं सीओ: इस संबंध में बसिया सीओ रविंद्र कुमार पांडे ने कहा कि कस्तूरबा आवासीय विद्यालय के बगल में जमीन को अतिक्रमण कर आवास बनाया जा रहा था. सरकारी आदेश के अनुसार किसी भी सरकारी शिक्षण संस्थान के 100 मीटर की दूरी पर अतिक्रमण नहीं किया जाना है. इसी को लेकर उक्त पीएम आवास निर्माण करने वाली महिला को नोटिस दिया गया था. फिर भी उसने आवास बनाने का काम जारी रखा, जिसपर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है.

गुमला: जिला के बसिया प्रखंड मुख्यालय में अंचलाधिकारी द्वारा एक आदिवासी विधवा महिला सीमा तिर्की के नवनिर्मित पीएम आवास को ध्वस्त करा दिया गया है. सीओ ने तर्क दिया है कि पीएम आवास सरकारी जमीन पर बना है. इस संबंध में पीड़ित का कहना है कि वह विधवा महिला है और अपने रैयती जमीन पर पीएम आवास बना रही थी, लेकिन इस क्रम में कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर चला गया था. इस संबंध में उसने एसडीओ संजय पीएम कुजूर और बीडीओ रविंद्र गुप्ता को लिखित आवेदन देकर शिकायत की है.

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महिला ने कहा है कि वह रैयती जमीन के समीप आवास बना रही थी, उसे मालूम नहीं था कि वह सरकारी जमीन है. वह भूमिहीन कृषक श्रेणी में आती है. आवास बनाने के लिए उसे एक लाख पच्चीस हजार और मजदूरी भुगतान के लिए इक्कीस हजार एक सौ पचास रुपये मिले हैं. इसके अलावा उसने महिला मंडल और भारत फाइनेंस कंपनी से एक लाख लोन लिया है. कन्यादान योजना से तीस हजार रुपए मिले थे. उन सभी पैसों को उसने घर बनाने में लगाया था, लेकिन सीओ ने उसके घर को ध्वस्त करा दिया.

महिला ने दी आत्मदाह करने की धमकी: विधवा आदिवासी महिला ने कहा कि उसका घर बना दिया जाए, नहीं तो वह अपने बच्चों के साथ प्रखंड मुख्यालय के समीप आत्मदाह कर लेगी. महिला ने चेतावनी देते हुए कहा कि 15 दिनों के अंदर न्याय नहीं मिला तो पूरी घटना का जिम्मेदार प्रखंड प्रशासन होगा. इधर महिला के आवेदन के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है और मामले की जांच शुरू कर दी है. सीमा तिर्की के अनुसार उसने एसडीओ से भी गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

सरकारी नियम के अनुसार क्या होना चाहिए: सरकारी नियम के अनुसार किसी भी ऐसे व्यक्ति जिसे पीएम आवास मिला हो और किसी कारणवश उसे तोड़ना पड़े तो उसके एवज में 3 डिसमिल जमीन दिए जाने के बाद ही घर तोड़ा जाता है, लेकिन प्रशासन ने ऐसा कोई काम नहीं किया, जो सवाल के घेरे में है. वहीं सरकार के आदेश के अनुसार अगर किसी विधवा भूमिहीन महिला को पीएम आवास मिला हो तो उसे सरकारी जमीन में सेटलमेंट किया जाता है.

प्रशासन का अमानवीय चेहरा सामने आया है- सुदर्शन भगत: बसिया प्रखंड में आदिवासी महिला का पीएम आवास प्रशासन द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद सांसद सुदर्शन भगत ने कहा है कि जिला प्रशासन संवेदनहीन हो चुका है. जहां एक ओर सरकार आदिवासी के हितैषी होने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर एक आदिवासी विधवा महिला के घर को प्रशासन ने जेसीबी लगाकर तोड़ दिया है. गौरतलब है कि बसिया में स्वर्गीय मुकेश मुंडा के घर को तोड़ा गया है. गृहिणी सीमा तिर्की ने बताया कि उसके पति की मौत 3 माह पहले ही हुई है. वह बीमारी से जूझ रहे थे. सांसद सुदर्शन भगत ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में प्रशासन का अमानवीय चेहरा झलकता है. घर सरकारी जमीन में कैसे बना इसकी जांच पहले कैसे नहीं हुई और नहीं हुई तो इतने दिन तक प्रशासन कहां था. यह बड़ा सवाल है. इस मामले में पीड़िता को उचित न्याय मिले. उन्होंने मांग की है कि राज्य सरकार पूरे मामले की जांच कर जिम्मेदार और दोषी पदाधिकारी पर कड़ी कार्रवाई करें.

क्या कहते हैं सीओ: इस संबंध में बसिया सीओ रविंद्र कुमार पांडे ने कहा कि कस्तूरबा आवासीय विद्यालय के बगल में जमीन को अतिक्रमण कर आवास बनाया जा रहा था. सरकारी आदेश के अनुसार किसी भी सरकारी शिक्षण संस्थान के 100 मीटर की दूरी पर अतिक्रमण नहीं किया जाना है. इसी को लेकर उक्त पीएम आवास निर्माण करने वाली महिला को नोटिस दिया गया था. फिर भी उसने आवास बनाने का काम जारी रखा, जिसपर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है.

Last Updated : Feb 13, 2023, 1:37 PM IST
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