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गोड्डा: कारगिल युद्ध में शहीद जवान बीरेंद्र को दी गई श्रद्धांजलि, लोगों ने किया नमन

कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ पर गोड्डा सदर अस्पताल में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. कारगिल युद्ध में शहीद जवान बीरेंद्र महतो की वीरगाथा सुनाई गई. इस दौरान शहीद की मां को भी सम्मानित किया गया.

शहादत को नमन
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Published : Jul 26, 2019, 10:28 PM IST

गोड्डा: जिले के पांडुबथान गांव निवासी शहीद बीरेंद्र महतो ने कारगिल युद्ध के दौरान अपनी बहादुरी का लोहा मनवाते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे किये थे. राष्ट्रीय राइफल के जवान बीरेंद्र महतो को कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ पर याद किया गया.

देखें पूरी खबर

सदर अस्पताल परिसर में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. जिसमें कारगिल युद्ध के शहीद जवानों को याद किया गया. इस मौके पर गोड्डा के शहीद जवान बीरेंद्र महतो की वीरगाथा को याद किया गया.

इस मौके पर शहीद बीरेंद्र की मां को सम्मानित भी किया गया. उन दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बीरेंद्र गांव एक होनहार युवक था. उसे सेना में जाने की चाहत बचपन से ही थी. राष्ट्रीय राइफल में बतौर जवान उसने कारगिल युद्ध में अपने हुनर और बहादुरी का लोहा मनवाया.

ये भी पढ़ें:- NIA की दबिश के बावजूद लेवी का काम जारी, मगध-आम्रपाली परियोजना से नक्सली करते हैं करोड़ों की वसूली

शहीद बीरेंद्र की मां उन दिनों को याद करते हुए नम आखों से बोली कि वह छुट्टी बिताकर लौटा ही था कि आठवें दिन उसकी शहादत की खबर आ गई. उस समय पूरे गांव में शोक की लहर फैल गई.

गोड्डा: जिले के पांडुबथान गांव निवासी शहीद बीरेंद्र महतो ने कारगिल युद्ध के दौरान अपनी बहादुरी का लोहा मनवाते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे किये थे. राष्ट्रीय राइफल के जवान बीरेंद्र महतो को कारगिल विजय दिवस की 20वीं वर्षगांठ पर याद किया गया.

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सदर अस्पताल परिसर में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. जिसमें कारगिल युद्ध के शहीद जवानों को याद किया गया. इस मौके पर गोड्डा के शहीद जवान बीरेंद्र महतो की वीरगाथा को याद किया गया.

इस मौके पर शहीद बीरेंद्र की मां को सम्मानित भी किया गया. उन दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बीरेंद्र गांव एक होनहार युवक था. उसे सेना में जाने की चाहत बचपन से ही थी. राष्ट्रीय राइफल में बतौर जवान उसने कारगिल युद्ध में अपने हुनर और बहादुरी का लोहा मनवाया.

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शहीद बीरेंद्र की मां उन दिनों को याद करते हुए नम आखों से बोली कि वह छुट्टी बिताकर लौटा ही था कि आठवें दिन उसकी शहादत की खबर आ गई. उस समय पूरे गांव में शोक की लहर फैल गई.

Intro:गोड्डा के सपूत शाहिद बीरेंद्र महतो ने भी कारगिल युद्ध मे किये थे दुश्मनों के दांत खट्टे


Body:गोड्डा के पांडुबथान के शहीद बीरेंद्र महतो ने कारगिल युद्ध के दौरान अपनी बहादुरी का लोहा मनवाते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे किये थे।राष्ट्रीय राइफल के जवान बीरेंद्र महतो छुट्टी बिताकर लौटे ही यह कि आठवे दिन बाद ही उनका शव उनके घर वापस आया
बीरेंद्र गांव एक होनहार युवक था,उसे सेना में जाने की चाहत थी एयर आखिर उसने अपने जिद से नॉकरी हासिल की।राष्ट्रीय राइफल में बतौर जवान उसने कारगिल युद्ध के दौरान अपने हुनर व भफरी का लोहा मनवाया।कारगिल बिजय जश्न में हिस्सेदार बने और फिर छुट्टी से वापस लौटते ही दस दिन बाद बीरेंद्र महतोको आपरेशन रक्षक में भेज दिया।जहा घर से वापसी के 8आठ दिन बाद ही उसका शव लेकर उनके साथी पहुचे।टैब पूरा घर परिवार व गांव के लोग सन्न राह गये।
आज भी वो घडी याद कर मा भूटिया देवी भावुक हो जाती है।और कहती है उसे अप्पने बेटे पर गर्व है कि वो देश के काम आया
वही कारगिल बिजय दिवस के मौके पर सदर अस्पताल में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।जहाँ बीरेंद्र की बहादुरी को याद किया गया
bt-भूटिया देवी-शाहिद की माँ
bt-डॉ प्रदीप सिंह-चिकित्सक


Conclusion:गोददवासियो को गर्व है उनके मिट्टी का लाल देश के काम आया।ओसे सपूत व उसको जनने वाली मा को सत सत नमन
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