ETV Bharat / state

गोड्डा के वीरेंद्र महतो ने कारगिल युद्ध में दिखाया था शौर्य, शहीद की शहादत को सलाम

पूरा देश कारगिल विजय अभियान की 21वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस अभियान का हिस्सा बने राष्ट्रीय राइफल के जवान वीरेंद्र महतो उन भाग्यशाली जांबाज सिपाहियों में थे जिसने कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का परिचय दिया और शहीद हुए.

Kargil vijay diwas 2020, Kargil vijay diwas, Martyred jawan virendar Mahto in Kargil, virendar Mahto martyred in Kargil, soldier of godda virendar Mahto, virendar Mahto Martyr in Kargil, कारगिल विजय दिवस 2020, कारगिल विजय दिवस की खबरें, कारगिल में शहीद जवान वीरेंद्र महतो, कारिगल में शहीद हुए गोड्डा के वीरेंद्र महतो
शहीद वीरेंद्र महतो
author img

By

Published : Jul 25, 2020, 5:14 PM IST

गोड्डा: पांडुबथान गांव के जांबाज राष्ट्रीय राइफल के गनर वीरेंद्र महतो ने अपने पराक्रम का लोहा मनवाया था. कारगिल फतह का जश्न मनाकर जब डयूटी पर लौटा तो एक विस्फोट में वीरेंद्र शहीद हो गए. उस वक्त वीरेंद्र 25 वर्ष के थे.

देखें पूरी खबर

नहीं आ सका वापस

पूरा देश कारगिल विजय अभियान की 21वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस अभियान का हिस्सा बने राष्ट्रीय राइफल के जवान वीरेंद्र महतो उन भाग्यशाली जांबाज सिपाहियों में थे जिसने कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का परिचय देते हुए फतह हासिल की. इसके बाद वे छुट्टी लेकर अपने गांव गोड्डा के पांडुबथान पहुंचे. इस दौरान जैसे ही बीरेंद्र महतो की छुट्टी समाप्त हुईं उन्हें फिर एक बड़ी जिम्मेवारी सौंपते हुए ऑपरेशन रक्षक टीम का हिस्सा बना दिया गया और उस वक्त वीरेंद्र अपने घर निकला कि मां जल्द ही वापस आऊंगा, लेकिन अपने बटालियन में योगदान के आठ दिन भी नहीं बीते थे कि घरवालों को उनके शहादत की खबर मिली. इस खबर से पूरा गांव स्नन रह गया.

ये भी पढ़ें- कारगिल विजय दिवसः हंसते-हंसते मर मिटे लांस नायक गणेश प्रसाद


शहीद वीरेंद्र महतो की मां आहत हैं
शहीद वीरेंद्र महतो के सम्मान में गोड्डा शहर के मुख्य चौक को कारगिल शहीद वीरेंद्र चौक नाम दिया गया. उनके सम्मान में कारगिल विजय स्तंभ टावर भी बनाया गया है. इन सबके बावजूद जिला प्रशासन की उपेक्षा पूर्ण रवैए से शहीद वीरेंद्र महतो की मां आहत हैं. वे कहती हैं कि उनका बेटा देश के लिए कुर्बान हो गया. इस पर गर्व है, लेकिन जो वायदे उस वक्त हुए उसे आज तक पूरा नहीं किया गया. उनके नाम आवंटित जमीन आज तक फाइल और साहब के टेबल पर अटका पड़ा है. किसी आश्रित को नौकरी नहीं मिली. साथ ही पांडुबथान गांव के पास गेट अधूरा पड़ा है, आज तक स्मारक और मूर्ति नहीं लगी.

गोड्डा: पांडुबथान गांव के जांबाज राष्ट्रीय राइफल के गनर वीरेंद्र महतो ने अपने पराक्रम का लोहा मनवाया था. कारगिल फतह का जश्न मनाकर जब डयूटी पर लौटा तो एक विस्फोट में वीरेंद्र शहीद हो गए. उस वक्त वीरेंद्र 25 वर्ष के थे.

देखें पूरी खबर

नहीं आ सका वापस

पूरा देश कारगिल विजय अभियान की 21वीं वर्षगांठ मना रहा है. इस अभियान का हिस्सा बने राष्ट्रीय राइफल के जवान वीरेंद्र महतो उन भाग्यशाली जांबाज सिपाहियों में थे जिसने कारगिल युद्ध में अपने शौर्य का परिचय देते हुए फतह हासिल की. इसके बाद वे छुट्टी लेकर अपने गांव गोड्डा के पांडुबथान पहुंचे. इस दौरान जैसे ही बीरेंद्र महतो की छुट्टी समाप्त हुईं उन्हें फिर एक बड़ी जिम्मेवारी सौंपते हुए ऑपरेशन रक्षक टीम का हिस्सा बना दिया गया और उस वक्त वीरेंद्र अपने घर निकला कि मां जल्द ही वापस आऊंगा, लेकिन अपने बटालियन में योगदान के आठ दिन भी नहीं बीते थे कि घरवालों को उनके शहादत की खबर मिली. इस खबर से पूरा गांव स्नन रह गया.

ये भी पढ़ें- कारगिल विजय दिवसः हंसते-हंसते मर मिटे लांस नायक गणेश प्रसाद


शहीद वीरेंद्र महतो की मां आहत हैं
शहीद वीरेंद्र महतो के सम्मान में गोड्डा शहर के मुख्य चौक को कारगिल शहीद वीरेंद्र चौक नाम दिया गया. उनके सम्मान में कारगिल विजय स्तंभ टावर भी बनाया गया है. इन सबके बावजूद जिला प्रशासन की उपेक्षा पूर्ण रवैए से शहीद वीरेंद्र महतो की मां आहत हैं. वे कहती हैं कि उनका बेटा देश के लिए कुर्बान हो गया. इस पर गर्व है, लेकिन जो वायदे उस वक्त हुए उसे आज तक पूरा नहीं किया गया. उनके नाम आवंटित जमीन आज तक फाइल और साहब के टेबल पर अटका पड़ा है. किसी आश्रित को नौकरी नहीं मिली. साथ ही पांडुबथान गांव के पास गेट अधूरा पड़ा है, आज तक स्मारक और मूर्ति नहीं लगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.