गोड्डा: गोड्डा के अडानी पावर प्लांट से प्रोडक्शन शुरू हो गया है. 1600 मेगावाट की क्षमता वाले इस प्लांट की शत-प्रतिशत बिजली बांग्लादेश को भेजी जाएगी (Power supply to Bangladesh starts from Godda ). हालांकि अभी सिर्फ पूरी बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है. सिर्फ 350 मेगावाट की ही आपूर्ती की जा रही है.
बांग्लादेश के साथ कमिटमेंट जून 2015 के बाद तब हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की यात्रा पर गए थे. वहां प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ मुलाकात में बांग्लादेश में बिजली मुहैया कराए जाने पर सहमति बनी थी. जिससे बाद पिछले सितंबर में गौतम अडानी से शेख हसीना ने गोड्डा अडानी पावर प्लांट का स्टेटस जाना था. तब गौतम अडानी ने उन्हें आश्वस्त किया था कि उनका एक यूनिट बिल्कुल तैयार है जिससे 800 मेगावाट बिजली आपूर्ति कभी भी की जा सकती है. जिसके बाद यह जय हुआ कि आपूर्ति बंग्लादेश के विजय दिवस के दिन से ही शुरू की जाएगी. बंग्लादेश में अगला साल चुनावी वर्ष भी है. ऐसे में विजय दिवस पर बांग्लादेश के लोगों के लिये बड़ा तोहफा होगा है.
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गोड्डा से बिजली सुंदरपहाड़ी, पाकुड़, फरक्का होते हुए भारत की सीमा मोहब्बतपुर गांव तक पहुंचेगी और फिर मोहब्बतपुर के रास्ते बांग्लादेश की सीमा में ये बिजली जाएगी. गोड्डा में इसका ट्रायल एक पखवाड़े पहले हुए था. जिसमे बांग्लादेश के इंजीनियर भी आये थे. जिनकी उपस्थिति में ये टेस्ट किया गया कि जितनी बिजली की आपूर्ति गोड्डा के अडानी पावर प्लांट से की हो रही है वह बंग्लादेश पहुंच रही है या नहीं. पिछले ट्रायल से बिजली बांग्लादेश पहुंचाने का टेस्ट सफल रहा. हालांकि इस दौरान ये भी पता चला कि बंग्लादेश के पास महज 350 मेगावाट बिजली रिसीव करने की ही क्षमता ट्रांसमिशन है. ऐसे में बंग्लादेश को इसे और विकसत कर रहा है.
झारखंड को क्या होंगे फायदे: इस बाबत अडानी पावर प्लांट का कहना है कि वे झारखंड को कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत बिजली देने के लिए तैयार हैं. अगर कुल उत्पादन 1600 मेगावाट होना है और उसका 25 प्रतिशत 400 मेगावाट होता है. जबकि झारखंड में कुल बिजली की जरूरत 1200 मेगावाट है. ऐसे सिर्फ अडानी पावर की तरफ से 400 मेगावाट बिजली मिल जाएगी.
25 साल का है करार: 11 अगस्त 2015 को अडानी और बांग्लादेश ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए और 2 साल बाद अप्रैल 2017 में शेख हसीना की नई दिल्ली यात्रा के दौरान इम्पलीमेंटेशन एग्रीमेंट पर मुहर लगी. अडानी के साथ बांग्लादेश का करार 25 साल का है.
पावर प्लांट के लिए कोयले की आपूर्ति: अडानी को कोयले की आपूर्ति फिलहाल ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया से होती है, जो गुजरात के अडानी कंपनी के मुंद्रा बंदरगाह पर जल मार्ग से पहुंचता है, फिर रेल मार्ग से ये गोड्डा पहुंचता है. हलांकि रेल मार्ग जब पूरी तरह गोड्डा के अडानी पावर प्लांट तक पहुंच जाएगा तब सभंव है कि गोड्डा या भारत के अन्य राज्यों के कोयले का इस्तेमाल भी यहां हो. फिलहाल गोड्डा के कोयले का ही इस्तेमाल NTPC कहलगांव (बिहार) और NTPC फरक्का (प बंगाल) करता है.
गोड्डा अडानी पावर प्लांट की कहानी की शुरुआत: इसकी शुरुआत कांग्रेस की मनमोहन सिंह की सरकार में 2011 में हुई थी. तब द्विपक्षीय रिश्तों की मजबूती के लिए सहमति बनी. लेकिन 2015 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में बात कार्यरूप तक आया. इसके बाद ये बात तय हुई कि बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति के लिए एक अलग पावर प्लांट का निर्माण कर बजली आपूर्ति की जाएगी. इसके लिए बोली लगी और ये बिड अडानी के हिस्से गया. इसके बाद सबसे नजदीक जमीन की तलाश शुरू हुई और इसके लिए उपयुक्त राज्य प बंगाल था, लेकिन वहां ममता बनर्जी की सरकार थी, जहां बात नहीं बनी. फिर झारखंड बांग्लादेश से सबसे नजदीक था, लेकिन उपयुक्त जगह साहिबगंज या पाकुड़ हो सकता था. हालांकि यहां भी बात नहीं बनी. तब गोड्डा को लेकर चर्चा हुई और यहां झारखंड सरकार से बात बन गई. यहां पहले पथरगामा के परसपानी में तय हुआ लेकिन विरोध हुआ फिर पोड़ैयाहाट प्रखंड के मोतिया के किसानों की सहमति के बाद जमीन का अधिग्रहन किया गया. फिर छोटे मोटे विरोध के बाद मामला तय हो गया. पहली ईंट 2018 में लगी और 2022 के दिसंबर में बांग्लादेश को बिजली मिलने लगी.