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लॉकडाउन के भी अपने घर पैदल जा रहे मजदूरों को आश्रय घर में रखा, खाने पीने की नहीं है व्यवस्था - पाकुड़ में 12 से अधिक मजदूर फंसे

कोरोना लॉकडाउन के दौरान 12 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं. मजदूरों ने जब कोलकाता से पैदल घर जाना का फैसला लिया तो उसे पाकुड़ में रोक लिया गया और अस्थायी आश्रय गृह में डाल दिया गया. इस तरह मजदूरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

labour face problem during lockdown in godda
फंसे मजदूर
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Published : Apr 5, 2020, 10:25 AM IST

गोड्डा: एक तरफ मजदूर जगह जगह फंसे होने और राशन-पानी नहीं मिलने की लगातार शिकायते कर रहे है तो दूसरी और जहां मजदूर बीच रास्ते में रखे गए है वहां मजदूर असुविधा से परेशान है. ऐसा ही एक मामला पाकुड़ जिले के पाकुड़िया थाना क्षेत्र का है. जहां गोड्डा के 12 से ज्यादा मजदूर अस्थायी आश्रय स्थल में रखा गया है.

देखें पूरी खबर

मजदूर गोड्डा जिले के मेहरमा प्रखंड के बुधासन गांव के रहने वाले है. सभी मजदूर कोलकाता में काम कर रहे थे. अचानक लॉकडाउन के बाद उनका काम-धंधा बंद हो गया जिसके कारण वे पैदल ही निकल पड़े. उन्हें पाकुड़ जिला के पाकुड़िया थाना में रोक लिया गया और अस्थायी आश्रय गृह में फिलहाल रखा गया है.

ये भी देखें- रांची से गिरिडीह पैदल ही निकला था युवक, रास्ते में हुई मौत, जांच में जुटी पुलिस

इन मजदूरो का कहना है कि उन्हें किस तरह की बीमारी नहीं है, सभी तरह के जांच हो गए है. वहीं कहा कि यहां न खाने को ठीक से व्यवस्था है न सोने की, शौचालय की भी बदतर स्थिति है. ऐसे में उन्हें अपने घर अगर भिजवाया जाय तो बेहतर होता.

गोड्डा: एक तरफ मजदूर जगह जगह फंसे होने और राशन-पानी नहीं मिलने की लगातार शिकायते कर रहे है तो दूसरी और जहां मजदूर बीच रास्ते में रखे गए है वहां मजदूर असुविधा से परेशान है. ऐसा ही एक मामला पाकुड़ जिले के पाकुड़िया थाना क्षेत्र का है. जहां गोड्डा के 12 से ज्यादा मजदूर अस्थायी आश्रय स्थल में रखा गया है.

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मजदूर गोड्डा जिले के मेहरमा प्रखंड के बुधासन गांव के रहने वाले है. सभी मजदूर कोलकाता में काम कर रहे थे. अचानक लॉकडाउन के बाद उनका काम-धंधा बंद हो गया जिसके कारण वे पैदल ही निकल पड़े. उन्हें पाकुड़ जिला के पाकुड़िया थाना में रोक लिया गया और अस्थायी आश्रय गृह में फिलहाल रखा गया है.

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इन मजदूरो का कहना है कि उन्हें किस तरह की बीमारी नहीं है, सभी तरह के जांच हो गए है. वहीं कहा कि यहां न खाने को ठीक से व्यवस्था है न सोने की, शौचालय की भी बदतर स्थिति है. ऐसे में उन्हें अपने घर अगर भिजवाया जाय तो बेहतर होता.

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