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गोड्डा के रण में निशिकांत-प्रदीप हैं आमने-सामने, जीत की होगी हैट्रिक या मिलेगी हार

गोड्डा संथाल की अहम सीट है. इसबार यहां निशिकांत जीत की हैट्रिक लगाने उतरे हैं. वहीं प्रदीप यादव इसबार सीधी टक्कर दे रहे हैं.

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Published : May 22, 2019, 1:34 PM IST

रांची/हैदराबादः झारखंड में सबसे ज्यादा किचकिच जिन सीटों को लेकर हुई, उनमें गोड्डा भी एक है. महागठबंधन में इस सीट को लेकर खूब खींचतान हुई. इस संसदीय क्षेत्र पर ज्यादा बार बीजेपी का ही दबदबा रहा है. इसबार इस सीट पर बीजेपी-जेवीएम की सीधी लड़ाई है.

देखिए पूरी रिपोर्ट

गोड्डा संसदीय क्षेत्र
गोड्डा संथाल की एकमात्र अनारक्षित संसदीय सीट है. इस संसदीय क्षेत्र में 3 जिले गोड्डा, देवघर और दुमका है. गोड्डा लोकसभा सीट में 6 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. वो विधानसभा क्षेत्र हैं गोड्डा, मधुपुर, देवघर, जरमुंडी, पोडै़याहाट और महगामा.

सामाजिक तानाबाना
गोड्डा संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम और पिछड़ी जाति की आबादी अधिक है. यहां लगभग 11 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है. जबकि 12 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है. यहां मतदाताओं की कुल जनसंख्या 16 लाख 91 हजार 404 है. जिसमें पुरूष मतदाता 8 लाख 92 हजार 930 हैं. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 98 हजार 474 हैं. यहां युवा मतदाताओं की संख्या 15 हजार 364 हैं. वहीं दिव्यांग मतदाता 6 हजार 1 हैं.

2019 का रण
2019 के लोकसभा चुनाव में गोड्डा सीट पर 13 प्रत्याशी हैं. जिसमें मुख्य मुकाबला बीजेपी और जेवीएम के बीच है. जहां बीजेपी की ओर से निशिकांत दुबे हैट्रिक लगाने के इरादे से मैदान में उतरे हैं. वहीं जेवीएम की ओर से प्रदीप यादव उम्मीदवार हैं.

बीजेपी से प्रत्याशी हैं निशिकांत दुबे
संथाल की एकमात्र गोड्डा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. निशिकांत दुबे यहां से सांसद हैं. उन्होंने लगातार दो बार इस सीट पर पार्टी का परचम लहराया है. निशिकांत दुबे, तीसरी बार गोड्डा लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. उनका जन्म बिहार के भागलपुर में जनवरी 1969 में हुआ था. उन्होंने मारवाड़ी कॉलेज भागलपुर से ग्रेजुएशन की डिग्री ली. एफएमएस दिल्ली से उन्होंने एमबीए किया है. उन्होंने एस्सार कंपनी में निदेशक के रूप में काम किया है.

निशिकांत दुबे की प्रोफाइल

साल 2009 में वो राजनीति में आए. उसी साल हुए चुनाव में वो बीजेपी की टिकट पर गोड्डा सीट से लडे़ और जीत दर्ज की. इस दौरान उन्हें वित्तीय समिति का सदस्य बनाया गया. 2014 में एक बार फिर पार्टी ने उन्हें टिकट दिया. पार्टी की उम्मीदों पर खड़ा उतरते हुए उन्होंने फिर से जीत हासिल की. लगातार दूसरी बार सांसद बने. संथाल की एक सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रखा.

जेवीएम से प्रत्याशी हैं प्रदीप यादव
प्रदीप यादव झारखंड के फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म जनवरी 1966 में गोड्डा के बोहरा में हुआ था. उन्होंने गोड्डा कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. छात्र जीवन में ही वो राजनीति से जुड़ गए थे.

प्रदीप यादव की प्रोफाइल

साल 2000 में वो बीजेपी की टिकट पर पोड़ैयाहाट से पहली बार विधायक बने. बाबूलाल मरांडी की सरकार में वो पहली बार मंत्री भी बने. 2002 में गोड्डा उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया. जिसमें जीतकर वो 13वीं लोकसभा के सदस्य बने. लोकसभा चुनाव 2004 में उन्हें गोड्डा सीट से हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद विधानसभा चुनाव 2005 में वो फिर से पोड़ैयाहाट से विधायक बने. अर्जुन मुंडा मंत्रिमंडल में वो दूसरी बार मंत्री बने.

2007 में वो जेवीएम में शामिल हो गए. 2009 लोकसभा चुनाव में गोड्डा सीट से वो जेवीएम की टिकट पर चुनाव लड़े. लेकिन हार गए. 2009 विधानसभा चुनाव में वो फिर पोड़ैयाहाट से चुनाव लड़े और विधायक बने. 2014 लोकसभा चुनाव में वो फिर गोड्डा सीट से लड़े, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे. 2014 विधानसभा चुनाव में वो फिर से पोड़ैयाहाट से विधायक बने.

रांची/हैदराबादः झारखंड में सबसे ज्यादा किचकिच जिन सीटों को लेकर हुई, उनमें गोड्डा भी एक है. महागठबंधन में इस सीट को लेकर खूब खींचतान हुई. इस संसदीय क्षेत्र पर ज्यादा बार बीजेपी का ही दबदबा रहा है. इसबार इस सीट पर बीजेपी-जेवीएम की सीधी लड़ाई है.

देखिए पूरी रिपोर्ट

गोड्डा संसदीय क्षेत्र
गोड्डा संथाल की एकमात्र अनारक्षित संसदीय सीट है. इस संसदीय क्षेत्र में 3 जिले गोड्डा, देवघर और दुमका है. गोड्डा लोकसभा सीट में 6 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. वो विधानसभा क्षेत्र हैं गोड्डा, मधुपुर, देवघर, जरमुंडी, पोडै़याहाट और महगामा.

सामाजिक तानाबाना
गोड्डा संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम और पिछड़ी जाति की आबादी अधिक है. यहां लगभग 11 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है. जबकि 12 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है. यहां मतदाताओं की कुल जनसंख्या 16 लाख 91 हजार 404 है. जिसमें पुरूष मतदाता 8 लाख 92 हजार 930 हैं. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 98 हजार 474 हैं. यहां युवा मतदाताओं की संख्या 15 हजार 364 हैं. वहीं दिव्यांग मतदाता 6 हजार 1 हैं.

2019 का रण
2019 के लोकसभा चुनाव में गोड्डा सीट पर 13 प्रत्याशी हैं. जिसमें मुख्य मुकाबला बीजेपी और जेवीएम के बीच है. जहां बीजेपी की ओर से निशिकांत दुबे हैट्रिक लगाने के इरादे से मैदान में उतरे हैं. वहीं जेवीएम की ओर से प्रदीप यादव उम्मीदवार हैं.

बीजेपी से प्रत्याशी हैं निशिकांत दुबे
संथाल की एकमात्र गोड्डा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. निशिकांत दुबे यहां से सांसद हैं. उन्होंने लगातार दो बार इस सीट पर पार्टी का परचम लहराया है. निशिकांत दुबे, तीसरी बार गोड्डा लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. उनका जन्म बिहार के भागलपुर में जनवरी 1969 में हुआ था. उन्होंने मारवाड़ी कॉलेज भागलपुर से ग्रेजुएशन की डिग्री ली. एफएमएस दिल्ली से उन्होंने एमबीए किया है. उन्होंने एस्सार कंपनी में निदेशक के रूप में काम किया है.

निशिकांत दुबे की प्रोफाइल

साल 2009 में वो राजनीति में आए. उसी साल हुए चुनाव में वो बीजेपी की टिकट पर गोड्डा सीट से लडे़ और जीत दर्ज की. इस दौरान उन्हें वित्तीय समिति का सदस्य बनाया गया. 2014 में एक बार फिर पार्टी ने उन्हें टिकट दिया. पार्टी की उम्मीदों पर खड़ा उतरते हुए उन्होंने फिर से जीत हासिल की. लगातार दूसरी बार सांसद बने. संथाल की एक सीट पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रखा.

जेवीएम से प्रत्याशी हैं प्रदीप यादव
प्रदीप यादव झारखंड के फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म जनवरी 1966 में गोड्डा के बोहरा में हुआ था. उन्होंने गोड्डा कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. छात्र जीवन में ही वो राजनीति से जुड़ गए थे.

प्रदीप यादव की प्रोफाइल

साल 2000 में वो बीजेपी की टिकट पर पोड़ैयाहाट से पहली बार विधायक बने. बाबूलाल मरांडी की सरकार में वो पहली बार मंत्री भी बने. 2002 में गोड्डा उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया. जिसमें जीतकर वो 13वीं लोकसभा के सदस्य बने. लोकसभा चुनाव 2004 में उन्हें गोड्डा सीट से हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद विधानसभा चुनाव 2005 में वो फिर से पोड़ैयाहाट से विधायक बने. अर्जुन मुंडा मंत्रिमंडल में वो दूसरी बार मंत्री बने.

2007 में वो जेवीएम में शामिल हो गए. 2009 लोकसभा चुनाव में गोड्डा सीट से वो जेवीएम की टिकट पर चुनाव लड़े. लेकिन हार गए. 2009 विधानसभा चुनाव में वो फिर पोड़ैयाहाट से चुनाव लड़े और विधायक बने. 2014 लोकसभा चुनाव में वो फिर गोड्डा सीट से लड़े, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे. 2014 विधानसभा चुनाव में वो फिर से पोड़ैयाहाट से विधायक बने.

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