गोड्डा: शहरी क्षेत्रों में तबाही मचाने के अब कोरोना तेजी से गांव की अबादी को संक्रमित कर रहा है. गोड्डा के मेहरमा प्रखंड के अमौर गांव में 24 से ज्यादा कोरोना संक्रमितों के मिलने के बाद खतरे की घंटी बज चुकी है. ऐसे में जब शहर की आधुनिक मेडिकल सिस्टम इस बीमारी से लड़ने में नाकाम रहा है वैसे में अमौर की झोलाछाप चिकित्सा व्यवस्था इससे कैसे लड़ेगा इस पर सवाल उठ रहे हैं. यहां वहीं चिकित्सक मरीजों का इलाज कर रहे हैं जिनको आम तौर पर इलाज के लिए अनफिट बताया जाता है.
ये भी पढ़ें- अब घर बैठे होगा कोरोना टेस्ट, ICMR ने दी होम बेस्ड कोविड टेस्टिंग किट को मंजूरी
गांव में कैसे हो रहा इलाज?
सरकारी चिकित्सा व्यवस्था के पर्याप्त रूप से मौजूद नहीं होने पर ग्रामीण खुद सतर्कता बरत रहे हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक शुरुआती और माइल्ड सिम्पटम वाले रोगियों का इलाज झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा किया जाता है. दो तीन दिन के बाद स्थिति नही सुधरती है तो फिर सीएचसी मेहरमा भेजा जाता है. जहां जांच के बाद अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो मरीज को होम आइसोलेशन या कोविड हॉस्पिटल महगामा और गोड्डा के अस्पताल पहुंचाया जाता है.
सतर्कता बरत रहे लोग
मुखिया शंकर राम की माने तो गांव को संक्रमण से बचाने के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं. उनके मुताबिक न केवल गांवों को सैनिटाइज किए जाने की योजना है बल्कि मास्क वितरण और सोशल डिस्टेंसिंग पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है. इसके अलावा गांव में बाहरी लोगों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है, इसके बावजूद कोई अगर आ भी जाए तो उस व्यक्ति को गांव के बाहर क्वारंटीन किए जाने की व्यवस्था की गई है.
तीसरी लहर की तैयारी
पहली और दूसरी लहर में कोरोना से संक्रमण से जिस तरह की तबाही मची, तमाम मेडिकल सुविधाओं के बावजूद शहरों में जिस तरह से लोगों की मौत हुई. वैसे में गांवों की चिकित्सा व्यवस्था चिंता पैदा कर रही है, अब जब तीसरी लहर आने की बात की जा रही है, जिसमें सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने की आशंका है. ग्रामीणों ने समय रहते गांव में पूरी तैयारी की मांग की है ताकी आपदा के वक्त ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाया जा सके.