गोड्डा: गोड्डा में अडानी और रेल दोनों का खेल पूरे साल 2022 में चलता रहा. जब भी रेल को सिटी बजी बस बजने लगते गोड्डा के सांसद और विधायक. दरअसल, गोड्डा में रेल की शुरुआत आठ अप्रैल 2021 में हुई थी. तब क्या कुछ हुआ था ये तो पूरे राज्य ने देखा था. यदि याद नहीं हो तो हम बता देते हैं. भाजपा के गोड्डा लोकसभा सांसद निशिकांत दूबे और पोड़ैयाहाट के कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव एक-दूसरे से भिड़ गये थे. नौबत हाथापाई तक पहुंच गई थी. वजह साफ थी जो आप और हम कोई समझ सकते हैं. यहां मामला गोड्डा में रेल लाने का श्रेय लेने की होड़ (Competition Of Credit For Bringing Rail in Godda) की थी.
गोड्डा में रेल की पहली स्वीकृति 2012-13 के बजट में मिली थीः गोड्डा रेल की कहानी भी बड़ी अजीबोगरीब है. इसकी पहली स्वीकृति मनमोहन सिंह की सरकार में 2012-13 के बजट में मिली (Approval of Godda Rail In Manmohan Government) थी. तब रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी थे. ये भी सच है कि उस वक्त सांसद भाजपा के गोड्डा लोकसभा के निशिकांत दूबे थे और प्रदीप यादव भी गोड्डा से 2002 में पूर्व सांसद रह चुके हैं. विधायक प्रदीप यादव के अनुसार उन्होंने और साथ में कांग्रेस से पूर्व सांसद फुरकान अंसारी और झामुमो के पूर्व सांसद सूरज मंडल ने भी सदन में गोड्डा में रेल की मांग रखी थी. इस हिसाब से श्रेय सबको थोड़ा-थोड़ा जाता है. इसके बाद जसीडीह-पीरपैंती रेल के लिए जिस व्यक्ति ने सबसे अधिक आंदोलन और लड़ाई लड़ी वो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद साह हैं. इस बात को पक्ष और विपक्ष के सभी नेता मानते हैं, लेकिन असल स्पीड गोड्डा में रेल योजना ने तब पकड़ी, जब गौतम अडानी ने गोड्डा में एंट्री मारी. हालांकि गोड्डा जिले के लिए बड़ा दुर्भाग्य है कि इस जिले से कोयला गाड़ी ले जाने के लिए लाइन तीन दशक पहले ही बिछ गई थी, जो कहलगांव से ललमटिया होते हुए फरक्का तक जाती है, लेकिन इस पर आज भी कोई यात्री ट्रेन नहीं चलती है.
वर्तमान में गोड्डा स्टेशन से 10 ट्रेनों का होता है परिचालनः वर्ष 2022 में पूरे साल गोड्डा को लगातार नई ट्रेनें मिलती रही. वर्तमान में गोड्डा से ट्रेनों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है. जिसमे गोड्डा से रांची, गोड्डा से दुमका, गोड्डा से भागलपुर, गोड्डा से दिल्ली, गोड्डा से कोलकाता, गोड्डा से पटना, गोड्डा से हंसडीहा आदि ट्रेनें हैं.
हर ट्रेन के उद्घाटन से पहले सांसद और विधायक में टकराव हुआः खास बात यह रही कि हर ट्रेन के उद्घाटन से पहले सांसद और विधायक में टकराव (Clash Between MP And MLA) हुआ. हालांकि सांसद निशिकांत दूबे ने ही ज्यादातर मौकों पर ट्रेन का उद्घाटन किया. मात्र एक मौके पर जब गोड्डा से रांची के लिए ट्रेन चली थी तो झारखंड के परिवहन मंत्री चम्पई सोरेन संग विधायक प्रदीप यादव भी मौजूद थे, लेकिन हर उद्घाटन के बाद सांसद ने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री का धन्यवाद दिया और प्रदीप यादव जिसे वे सिटी विधायक कह कर कटाक्ष करते हुए कुछ न कुछ तंज किया, तो जवाब में प्रदीप यादव ने भी अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी और बाहरी दूबे जी जैसे संबोधन से जवाब दिया. कई बार मुहिम में कांग्रेस की महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह भी सांसद के निशाने पर रहीं तो उनकी तरफ से भी जवाबी हमले हुए.
गोड्डा में अडानी कंपनी के आने के बाद रेल परियोजना के काम में आयी तेजीः हालांकि गोड्डा में रेल आई तो अडानी भी आई. लेकिन पीरपैंती तक रेलवे ट्रैक का काम पूरा होने में अभी लम्बा वक्त लगने की संभावना है. एक बार खटाई में योजना गई थी, लेकिन फिर आगे बढ़ी है. गोड्डा से अडानी पावर प्लांट मोतिया लाइन बिछ भी गई और अडानी प्लांट को आपूर्ति के साथ ही गोड्डा टू अडानी पावर प्लांट मोतिया वाहन ट्रायल भी शुरू हो गया. कुल मिलाकर ट्रेनों के परिचालन से गोड्डा के लोगों को फायदा हुआ है, लेकिन विपक्ष का सवाल भी जायज है कि 2012 की योजना में अडानी पावर प्लांट के आरंभ होने के बाद ही 2018 में क्यों तेजी आई.
रेल परियोजना में राज्य सरकार ने भी 50 प्रतिशत किया है सहयोगः बताते चलें कि 127 किमी की रेल लाइन की मंजूरी 2012-2013 के बजट में मनमोहन सिंह की सरकार में रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने दे दी थी. जिनमें अब तक बमुश्किल 35 किमी रेल लाइन बिछी है. जिससे अडानी का तत्काल काम शुरू हो जाएगा. वहीं अतिरिक्त फायदे के रूप में गोड्डा शहर और पोड़ैयाहाट के लोगों को रेल सफर में सहूलियत हुई है. वहीं दूसरी ओर अब भी गोड्डा जिले की 80 प्रतिशत आबादी के लिए बिहार के भागलपुर, एकचारी, पीरपैंती और मिर्जाचौकी के रेलवे स्टेशन ही सस्ते सहयोगी हैं. ऐसे में जब गोड्डा-पीरपैंती और सांसद द्वारा घोषित गोड्डा-पाकुड़ रेल लाइन चालू हो जाएगा तब सांसद और अडानी पर से ये कलंक मिट पाएगा की गोड्डा में रेल अडानी के लिए पूरी तरह नहीं आम जनता के लिए आई है. जिसकी संभावना वर्तमान सरकार में तो असंभव ही दिख रही है. साथ ही बता दें कि गोड्डा में अब तक जो रेल लाइन बनी है उसमें सीधा-सीधा 50 प्रतिशत राज्य सरकार झारखंड की हिस्सेदारी (Look Back 2022 Godda Railway) है. ऐसे में रेल किसकी, किसका सहयोग और किसके लिए इसका फैसला आम आदमी पर छोड़ते हैं.