बगोदर,गिरिडीहः झारखंड के प्रवासी मजदूर दूसरे राज्य या विदेश जाकर काम करते हैं. लेकिन वहां उनकी स्थिति दयनीय हो जाती है और उनकी मौत पर कोई संज्ञान नहीं लेता है. गिरिडीह के बगोदर में कुछ ऐसा ही देखने को मिला. बगोदर थाना क्षेत्र के घाघरा के प्रवासी मजदूर गोबिंद महतो का शव एक महीने से दोहा कतर में पड़ा हुआ है. इसको लेकर परिजनों द्वारा सरकार से शव लाने की गुहार लगाई गई है. एक महीने पूर्व 24 मार्च को गोबिंद महतो की मौत दोहा कतर में हो गई थी.
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बगोदर थाना अंतर्गत घाघरा के प्रवासी मजदूर गोविंद महतो का शव एक महीने से दोहा कतर में पड़ा हुआ है. इससे परिजनों को शव लाने व अंतिम दर्शन करने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. एक महीने पूर्व दोहा कतर में मजदूर की मौत हो गयी थी, जिससे पूरा परिवार सदमे से गुजर रहा है. उसकी मौत के गम के साथ बच्चों की परवरिश की भी चिंता परिजनों को सता रही है. परिजनों का कहना है कि जब घर में किसी की मौत हो जाती है तो उनके अंतिम संस्कार के बिना घर के लोग कुछ खाते-पीते नहीं है. लेकिन ऐसे में परिजनों को शव आने का दिन का इंतजार करना पड़ रहा है.
गोबिंद की पत्नी बसंती देवी ने बताया कि परिवार की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए पिछले दो महीने पूर्व वो दोहा कतर गए थे. वहां एलएनटी नामक ट्रांसमिशन कंपनी में कार्यरत थे. मगर इसी बीच अचानक 24 मार्च 2022 को उनकी मौत का समाचार मिलने पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. पत्नी का कहना है कि मौत के एक महीने हो गए मगर अब तक दोहा कतर से उसके पति का शव यहां नहीं पहुंच सका है.
इस संबंध में कंपनी के द्वारा मुआवजा को लेकर सार्थक जवाब नहीं मिलने से परिवार काफी परेशान हैं. पति के शव को लाने के लिए पत्नी बसंती देवी अफसरों से लेकर सरकार से गुहार लगा रही हैं ताकि वो अपने पति का अंतिम संस्कार कर सके. लेकिन शव के अंतिम दर्शन के लिए परिवार को जद्दोजहद करनी पड़ रही है. इस मामले में प्रवासी मजदूरों के हितार्थ में कार्य करने वाले समाजसेवी सिकंदर अली ने सरकार से अपील करते हुए उचित मुआवजा के साथ शव को जल्द भारत लाने की मांग की है.