गिरिडीहः जिले में इस बार धान की उपज अच्छी हुई है. उपज अच्छी हुई तो सरकार ने भी धान खरीद की बेहतर कीमत देने की घोषणा कर दी. इस घोषणा का असर हुआ और बिचौलियों को दरकिनार कर किसानों ने प्रशासन की ओर से घोषित किए गए धान खरीद केंद्र पर धान देना शुरू कर दिया. स्थिति यह रही की गिरिडीह जैसे जिले में जहां लगभग 2 लाख क्विंटल धान की खरीद होती थी, वहां फरवरी के अंतिम माह तक लगभग 5 लाख क्विंटल धान की खरीद कर ली गई. अब धान की खरीद तो कर ली गई, लेकिन इसे रखने के लिए उचित गोदाम की व्यवस्था नहीं हो सकी है. ऐसे में जिले के 47 धान क्रय केंद्र में से लगभग 12 क्रय केंद्रों पर या पैक्स कार्यालयों के बाहर और मिलों के बाहर हजारों क्विंटल धान खुले में रखा है.
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बढ़ाया गया लक्ष्य अब धान लेने से इनकार कर रहा पैक्स
गिरिडीह जिला प्रशासन ने प्रारंभिक दौर में धान खरीद का लक्ष्य 2.70 लाख क्विंटल रखा था. अब जब किसानों ने सरकारी धान खरीद केंद्र को धान बेचना शुरू किया तो यह लक्ष्य 5.5 लाख क्विंटल कर दिया गया. धान खरीद का लक्ष्य तो बढ़ा दिया गया, लेकिन इसे रखने के लिए उचित व्यवस्था नहीं हो सकी. परिणाम स्वरूप पिछले 15-20 दिनों से ज्यादातर पैक्सों ने धान को खरीदना ही बंद कर दिया. परियान पैक्स के अध्यक्ष संतोष यादव ने बताया कि उनके यहां गोदाम में लगभग 5 हजार क्विंटल और लगभग 2 हजार क्विंटल धान खुले में पड़ा है. मिल में धान भेजने पर 7 से 8 दिन गाड़ी को खड़ा कर दिया जा रहा है. इन सब के बीच धान को सुरक्षित रखना भी चुनौती भरा हो गया है. कहा कि किसान अभी भी धान खरीद के लिए दबाव बना रहे हैं.
राइस मिल की अपनी समस्या
धान की खरीदी के बाद इसे पैक्स से मिल और मिल से एफसीआई भेजा जाता है. एफसीआई में जाने के बाद अनाज को पीडीएस डीलर के यहां पहुंचाया जाता है. ऐसे में धान की खरीदी के बाद मिल वालों की भूमिका अहम हो जाती है. शुभ लक्ष्मी राइस मिल के जेपी अग्रवाल ने बताया कि पहले से दोगुना धान की खरीद हुई है. ऐसे में रख-रखाव के साथ साथ चावल की पैकेजिंग के लिए जूट के बोरे की आवश्यकता है. अभी 3 लाख जूट के बोरे की जरूरत है, इसकी मांग डीएसओ से की गई है. कहा कि अभी 50-60 टन रोज धान उतर रहा है. कोशिश है कि जल्द से जल्द कुटाई हो सके.
किसानों को नहीं मिल रहा है समय पर पैसा
धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1868 रुपये और झारखंड सरकार की ओर से 182 रुपये बोनस निर्धारित है. सैकड़ों किसान ऐसे हैं जिन्होने दो माह पहले पैक्स को धान दिया है, लेकिन उनके बैंक खाते में अभी तक एक भी पैसा नहीं पहुंचा है. इसकी वजह पैक्स से धान का उठाव नहीं होना बताया जा रहा है. इसके बावजूद सैकड़ों किसान अभी भी पैक्स में धान देना चाह रहे हैं. जबकि कई किसान ऐसे हैं जिनका कहना है कि पैक्स की जगह बिचौलियों को ही धान बेच दिया जाता तो अच्छा था.
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सभी समस्याओं का होगा निदान
डीएसओ गौतम भगत का कहना है कि सभी समस्या पर नजर है. मामले को लेकर बैठक की गई है. राइस मिल के संचालक भी बैठक में मौजूद थे. कहा गोदाम और बोरे की समस्या है. जल्द ही मिलों को बोरा उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि वे तेजी से चावल एफसीआई को भेज सकें. बताया कि किसानों के खाते में पहली किश्त की राशि लगभग 35 करोड़ दे दी गई है. चावल एफसीआई जाने पर दूसरी किश्त की राशि भेजी जाएगी.
बिचौलियों को दिया जा रहा है बढ़ावा: पूर्व विधायक
इस मामले पर पूर्व विधायक सह भाजपा नेता निर्भय कुमार शाहबादी का कहना है कि राज्य सरकार बिचौलियों को बढ़ावा देना चाहती है, तभी किसानों को इस तरह से परेशान किया जा रहा है. धान खरीदना उसका रख-रखाव ठीक से नहीं करना, समय पर कुटाई, पैकेजिंग और एफसीआई तक भेजने में देरी यह बताता है कि कहीं न कहीं साजिश है.
किसानों के हित में होगा काम: विधायक
स्थानीय विधायक सुदिव्य कुमार का कहना है कि किसानों के हितों से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा. धान खरीदी और किसानों को एमएसपी मिलने में कोई परेशानी हो रही है तो इसकी पड़ताल की जाएगी और जो भी दोषी मिलेंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.