गिरिडीह: वैसे तो शैक्षणिक व्यवस्था को दुरुस्त करने का दावा सूबे की हर सरकार करती रही. व्यवस्था को दुरुस्त करने के नाम पर लाखों-करोड़ों के वारे न्यारे होते हैं, लेकिन जंग लग चुकी व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है. ग्रामीण क्षेत्र की हम क्या बात करें ऐसी कुव्यवस्था तो शहर से सटे इलाके में ही बरकरार है. ऐसी ही कुव्यवस्था निगम क्षेत्र के बेड़ा में देखने को मिली. यहां उत्क्रमित मध्य विद्यालय में बच्चों को बच्चे ही पढ़ाते दिखे. जबकि बच्चों में मध्यान भोजन नहीं मिलने की भी शिकायत की.
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यहां पढ़ रहे बच्चों ने बताया कि उनके विद्यालय के दो शिक्षक हैं. एक का नाम आशा सिन्हा और दूसरे का नाम नीरज सिन्हा. दोनों आए दिन छुट्टी पर रहते हैं. कभी निजी स्कूल से अपने बच्चों को घर पहुंचाने के नाम पर गायब हो जाते हैं, तो कभी किसी के बीमार रहने की बात कह कर चले जाते हैं.
एक माह से बंद है एमडीएम: यहां पर बच्चों के अलावा स्थानीय लोगों ने बताया कि शिक्षक के आये दिन गायब रहने की शिकायत और एमडीएम बंद रहने के कारण बच्चे स्कूल नहीं आना चाहते. वार्ड पार्षद रामचन्द्र दास ने यहां की पढ़ाई व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग रखी.
क्या कहते हैं पदाधिकारी: इस विषय पर गिरिडीह अंचल दो के बीईईओ मदन सिन्हा से बात की गई. कहा कि उक्त विद्यालय से शिक्षक के लापता होने की शिकायत उन्हें मिली थी. उन्होंने जांच की तो पता चला कि शिक्षक नीरज सिन्हा के बच्चे की तबीयत खराब थी, यही कारण है कि वे उस दिन विद्यालय से चले गए थे. उन्होंने कहा कि वैसे नीरज सिन्हा एक अच्छे शिक्षक हैं. रही बात एमडीएम की तो डोर स्टेप डिलीवरी अभी बंद है, जिस वजह से स्कूल तक चावल नहीं पहुंच रहा है, इसकी वजह से एमडीएम बंद है. उन्होंने ये भी कहा कि शैक्षणिक व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर विभाग गंभीर है.