गिरिडीह: आंगनबाड़ी केंद्रों की पोषण सखियों को पिछले सात माह से मानदेय नहीं मिल रहा है. मानदेय की मांग को लेकर पोषण सखी लगातार आंदोलनरत है. कभी विधायक आवास के पास जाकर मांग रख रही है तो कभी केंद्रीय राज्य मंत्री को मांग पत्र सौंप रही है. अब पोषण सखियों ने सब्जी बेचकर अपना विरोध जताया है. शुक्रवार की दोपहर पोषण सखी जिला अध्यक्ष सैबून निशा, निभा कुमारी, अंजू गुप्ता टावर चौक के पास सब्जी लेकर बैठ गयी. यहीं पर चिल्ला-चिल्ला कर सब्जी बेचने लगी. यहां कई ग्राहक भी आ पहुंचे.
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यहां जिला अध्यक्ष सैबून निशा ने बताया कोरोना काल में आंगनबाड़ी बंद होने के बावजूद वे लोग काम करती रही इसके बावजूद इनका मानदेय नहीं दिया जा रहा है. यह भी बताया कि उनलोगों ने मानदेय की मांग को लेकर विधायक के साथ साथ केंद्रीय राज्य मंत्री को आवेदन दिया. विभाग की मंत्री से भी मिली लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया. कहा कि मानदेय नहीं मिलने के कारण उनकी माली हालात खराब हो गई है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान सरकार के निर्देश पर वे लोग काम करती रही लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया.
लागातार जारी है आंदोलन
एक सितंबर को झारखंड राज्य अतिरिक्त आंगनबाड़ी सेविका सह पोषण परामर्शी (पोषण सखी) कर्मचारी संघ के आह्वान पर मांग दिवस आयोजित की गया थी. मांग दिवस के अवसर पर पोषण सखियों ने सत्ताधारी दल के विधायक सुदिव्य कुमार के आवास के समीप धरने पर बैठी और अपनी मांगों को बुलंद किया था. इसके साथ ही विधायक के आवास कार्यालय में जाकर मांग पत्र सौंपा था.
हेमंत सरकार ने नहीं किया वादा पूरा
कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष सैबुन निशा ने कहा कि 2016 से सौ रुपये प्रतिदिन की दर से मानदेय मिलता है. इसके अलावा कोई सुविधा नहीं मिलती है. उन्होंने कहा कि पोषण सखी सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्र पर ही काम नहीं करती है, बल्कि कुपोषण से मुक्ति, टीकाकरण, बीएलओ कार्य, कोविड से बचाव के लिए किए जा रहे कार्य लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हेमंस सोरेन ने वादा किया था कि सरकार में आने के बाद मानदेयभोगियों को स्थाई करने के साथ साथ पूर्ण सरकारी कर्मी घोषित करेंगे. हेमंत सरकार के सत्ता में आए दो साल हो गए, लेकिन पोषण सखियों की मांग पूरा नहीं हो सका.