गिरिडीहः जिले में बेज़ुबानों के दर्द को समझ कर उसका इलाज करनेवाले पशु चिकित्सकों की भारी कमी है. गिरिडीह में 42 पशु चिकित्सकों की स्वीकृत हैं. लेकिन कार्यरत पशु चिकित्सकों की संख्या 11 हैं. चिकित्सकों की कमी के कारण पशुओं का इलाज प्रभावित हो रहा है. वहीं, पशुधन की बढ़ोतरी के लिए किये जा रहे सरकार के प्रयास पर भी ग्रहण लग रहा है.
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चिकित्सकों की कमी के कारण एक डॉक्टर को कई प्रखंड और सेंटर का प्रभार मिला हुआ है. गिरिडीह सदर प्रखंड की पशुपालन पदाधिकारी डॉ. पुष्पा चौधरी पर प्रखंड के अलावा पचम्बा, सेनादोनी और बंदरकुप्पी सेंटर का प्रभार है. एक साथ चार प्रभार झेल रही महिला पशु चिकित्सक कहती है कि काम करने में काफी परेशानी होती है. एक ही समय अलग अलग जगहों से मावेशियों के मालिकों का फोन आ जाता है तो उलझन में पड़ जाते हैं. डॉ पुष्पा कहती हैं कि लोग उनकी समस्या को समझना भी नहीं चाहते हैं और कई दफा दुर्व्यवहार भी करते हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह काम का प्रेसर सिर्फ हम पर नहीं हैं, बल्कि कई चिकित्सक प्रेसर में काम करने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की कमी के बावजूद सरकार के निर्देशनुसार टीकाकरण का काम कर रहे हैं.
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. मधुसूदन भगत ने बताया कि जिले में 42 पशु चिकित्सकों में सिर्फ 11 चिकित्सक ही कार्यरत हैं. इन 11 में जिला के पदाधिकारी भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ 9 चिकित्सकों के भरोसे प्रखंडों में काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि कार्यरत चिकित्सक क्षेत्र में भ्रमण भी करते हैं और प्रखंड का प्रभार भी संभालते हैं. डॉ भगत कहते हैं कि पशु चिकित्सकों की कमी की जानकारी विभागीय सचिव के अलावा मंत्री को भी दी गई है. लेकिन प्रतिनियुक्ति नहीं हो रहा है. वर्तमान में निजी कर्मियों की मदद से बीमार पशुओं का इलाज किया जा रहा है.
![veterinarians in Giridih](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14380185_gir1.jpg)