गिरिडीहः जिले के बगोदर प्रखंड के तुकतुको वन बचाव समिति जंगल की रखवाली के प्रति काफी सजग है. इस समिति से जुड़ी महिला और पुरुष जंगल की रखवाली के लिए पहरा देते हैं. पहरे के दौरान एक सप्ताह की गतिविधियों की समीक्षा के लिए समिति की बैठक की जाती है. वन बचाव के लिए किस दिन कौन सदस्य नहीं गए, कौन व्यक्ति जंगल काटते पकड़े गए, उसका जायजा लिया जाता है. इस दौरान गलत पाए जाने पर जुर्माना वसूला जाता है.
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वन बचाव समिति का पुर्नगठन
हाल के दिनों में वन बचाव समिति का पुनर्गठन किया गया है. इसके बाद समिति की ओर से जंगल की रखवाली के प्रति और कड़ा रुख अख्तियार करते हुए जंगल के साथ छेड़छाड़ करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही गई. प्रत्येक तीन साल में समिति का पुनर्गठन किया जाता है.
इसमें पंचायत प्रतिनिधि और वनकर्मियों की उपस्थिति में गुप्त मतदान के तहत समिति अधिकारियों का चुनाव किया जाता है. सोमवार को तीन पदों के लिए हुए मतदान में सर्वसम्मति से भुनेश्वर महतो को अध्यक्ष, रामदेव महतो को सचिव और रिंकी देवी को उपाध्यक्ष बनाया गया. समिति के अच्छे कार्यों को देखते हुए तीनों लगातार तीसरी बार अध्यक्ष, सचिव और उपाध्यक्ष चुने गए.
जंगल की रखवाली में महिलाओं की भूमिका अधिक
यहां की महिलाएं पुरुषों से कम नहीं है. जंगल की रखवाली में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की भूमिका अधिक रहती है. जंगल की रखवाली के लिए पुरुषों को जब महिलाओं का साथ मिला, तब यहां आज बड़े ही भू-भाग में न सिर्फ जंगल लहलहा रहे हैं, बल्कि जंगल में विभिन्न प्रजातियों के जंगली जानवरों का भी कोतुहल देखने को मिलता है. गांव की वन बचाव समिति के कार्यों को देखते हुए वन विभाग ने समिति को भी सहयोग किया है. समिति के लिए वन विभाग की ओर से यहां एक भवन भी बनाया गया है.
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टोली में निकलती हैं महिलाएं
बचाव समिति तुकतुको में 200 से अधिक सदस्य हैं. इसमें महिलाओं की संख्या अधिक है. जंगल की रखवाली के लिए यहां गांव से रोज एक टोली निकलती है. टोली में आठ से दस सदस्य होते हैं, इसमें एक तिहाई महिलाएं होती हैं. टोली में शामिल सदस्यों की ओर से रोज 10 से 12 घंटे तक जंगल की रखवाली की जाती है. अमूमन समिति के हर एक सदस्यों की 20 दिनों में दूसरी बार जंगल की रखवाली की जिम्मेदारी मिलती है. ये सदस्य नि:शुल्क जंगल की रखवाली करते हैं, साथ ही रखवाली के लिए नहीं जाने वाले सदस्यों को समिति में जुर्माना भी भरना पड़ता है.
रविवार को होती है साप्ताहिक बैठक
वन बचाव समिति की बैठक प्रत्येक रविवार को होती है. बैठक में सभी सदस्यों का पहुंचना अनिवार्य होता है. बैठक में जंगल बचाव से संबंधित चर्चा होती है. इसमें उपस्थित न होने वाले सदस्यों को जुर्माना भी भरना पड़ता है. वन बचाव समिति की मजबूती के लिए सदस्यों को महीने में दो रूपये समिति में जमा करने पड़ते हैं. जुर्माने की राशि को गांव के सार्वजनिक कार्यों में लगाया जाता है. हाल के दिनों में सड़क मरम्मत कार्य में 10 हजार रूपए खर्च किए गए थे. समिति के पैसे जरूरतमंद के सहयोग में भी दिए जाते हैं.
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तीन चेक डैम बनाए जाने की मांग
वन बचाव समिति के अध्यक्ष भुनेश्वर महतो और सचिव रामदेव महतो बताते हैं कि यहां 1992 से वन बचाव समिति कार्यरत है. पहले यह समिति न रहने के कारण जंगल बंजर रूप में बदल गया था. वन बचाव समिति की ओर से जंगली जानवरों के लिए पीने के लिए पानी के दो-तीन चेक डैम बनाए जाने की मांग की गई है.