गिरिडीहः जिला की सीमा से सटे धनबाद जिला का सर्रा इलाका बालू और कोयला तस्करों का सेफ जोन बन गया है. इस इलाके में बड़े पैमाने पर बालू और कोयला का डंप किया जा रहा है. इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब गिरिडीह के सदर एसडीपीओ कोयला तस्करों की खोज में अपने क्षेत्र में गश्त पर थे. बताया जाता है कि सदर एसडीपीओ अनिल कुमार सिंह को यह सूचना मिली थी कि कोलियरी इलाके से कोयला की चोरी कर बाइक पर लादकर धनबाद के सीमावर्ती इलाके में भेजा जा रहा है. इस सूचना पर क्विक रिस्पांस टीम के साथ एसडीपीओ इस क्षेत्र में पहुंचे जब गिरिडीह पुलिस की टीम मुफस्सिल थाना इलाके के जसपुर होते हुए आगे बढ़ी तो देखा कि उनके गिरिडीह की तरफ से कोयला लेकर भाग रहा तस्कर बाइक समेत पुल को क्रॉस कर धनबाद के इलाके में जा घुसा है. यहां पर एसडीपीओ की नजर बराकर नदी के किनारे लगे ट्रैक्टरों पर भी पड़ी जिसपर बालू लोड हो रहा था. पुलिस को देखकर बालू ट्रैक्टर को लेकर ज्यादातर लोग भाग निकले.
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गिरिडीह का नक्सल प्रभावित इलाका कोयला और बालू की तस्करी के लिए सेफ जोन बना हुआ है. गिरिडीह और धनबाद की सीमा पर बराकर नदी से बालू उठाने और उसे डंप कर बेचने का खेल यहां चल रहा है. आगे की जानकारी लेने एसडीपीओ दलबल के साथ बराकर नदी के पुल को क्रॉस कर धनबाद के सर्रा में पहुंचे. एसडीपीओ के साथ ईटीवी भारत की टीम भी थी. सर्रा में जगह जगह एक साथ कई एकड़ जमीन पर बालू डंप किया हुआ था. यहां पर कुछ लोगों से जानकारी ली गयी तो लोग कुछ साफ बताने को तैयार नहीं हुए. एक साथ सैकड़ों ट्रैक्टर बालू डंप रहने के संदर्भ में जानकारी ली गयी तो पता चला कि एक व्यक्ति ने यहां डंप यार्ड बनाया है और उसी के आड़ में कई बालू डिपो खोल दिया गया.
घाटों का टेंडर नहीं तो डंप कैसे? झारखंड में बालू और कोयला की तस्करी का खेल वर्षों से चलता रहा है. बालू घाटों की नीलामी नहीं होने से इस तरफ माफियाओं ने विशेष नजर रखी है. गिरिडीह और धनबाद की सीमा पर बराकर नदी से बालू उठाकर बेचा जा रहा है. यहां पर एक स्थान पर लगभग एक एकड़ जमीन में भारी मात्रा में बालू डंप किया मिला. जहां पर एक एजेंसी का अमरेंद्र कुमार सेंड स्टॉक यार्ड लिखा हुआ था. इस यार्ड में कार्यरत व्यक्ति का कहना था उन्हें बालू स्टॉक करने का लाइसेंस मिला है. लेकिन इस बीच एक सवाल यह उठता है कि जब महीनों से बालू घाटों की नीलामी नहीं हो रही है तो स्टॉक यार्ड में बालू कहां से आ गया.
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सवालों के घेरे में प्रशासनः एक तरफ बालू के लिए लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. ट्रैक्टर के मालिकों पर कार्रवाई कभी कभी होती है. दूसरी तरफ एक गांव में जगह जगह सैकड़ों ट्रैक्टर बालू पड़ा रहना सीधे तौर पर प्रशासन पर खासकर खनन विभाग पर सवाल खड़ा कर रहा है. यहां बता दें कि सर्रा का यह इलाका नक्सल प्रभावित है. इस इलाके से सटे क्षेत्र में बड़े-बड़े नक्सलियों का घर है. जिसकी से उग्रवाद प्रभावित इलाका तस्करों का सेफ जोन बना हुआ है. जिससे गिरिडीह में कोल और बालू माफिया काफी सक्रियता के साथ धड़ल्ले से अपना काम कर रहे हैं.