गिरिडीह: बीमार मां घर के आंगन में लगे चापाकल का हैंडल चला नहीं पा रही थी. हैंडल चलता नहीं तो पानी भी मां भर नहीं पा रही थी. रोज की इस परेशानी को दूर करने के लिए होनहार बेटे ने ऐसा देसी जुगाड़ लगाया कि चापाकल का हैंडल एक बटन से चलने लगा. अब मां को पानी भरने के लिए किसी तरह की परेशानी नहीं होती है. यह कहानी है संतोष महली और उसकी मां जहरी देवी की.
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दरअसल, संतोष महली (25 वर्ष) सदर प्रखंड के मंगरोडीह पंचायत अंतर्गत फूलजोरी का निवासी है. संतोष अपनी वृद्ध पिता राजकुमार महली, मां जहरी देवी व भाई फागु महली के साथ कच्चा मकान में रहता है. घर के आंगन में चापाकल हैं. घर के पुरुष सदस्य हर रोज काम करने निकल जाते हैं तो जहरी देवी अकेली रह जाती हैं.
घरेलू काम के लिए आंगन में गड़े चापाकल से ही जहरी देवी को पानी भरना पड़ता. चापाकल का हैंडल काफी सख्त होने के कारण जहरी देवी को इसे चलाने में काफी परेशानी होती. कई बार तो पानी के लिए उसे दूसरे के घर जाना पड़ता. जहरी ने इस परेशानी से अपने पति व पुत्र को अवगत कराया. परेशानी सुनने के बाद संतोष के साथ घर के अन्य सदस्य परेशान हो गए.
काफी अध्ययन कर लगा लिया जुगाड़: मां की इस तकलीफ से संतोष बैचैन रहने लगा. इस समस्या का हल निकालने को लेकर परेशान हो गया. संतोष ने बताया कि उसने पढ़ा था कि मोटर में यदि गियर लगा दिया जाए तो मोटर की स्पीड कम हो जाता हैं. उसने पूर्व में इस तरह का गियर मोटर साइकिल में लगाकर उसे चला चुका था.
गियर मोटर का लिया सहारा: संतोष ने इस समस्या का हल निकालने के लिए गियर मोटर का सहारा लिया. गियर मोटर को हैंडल से जोड़ दिया. कई घंटे की मेहनत के बाद इस गियर मोटर के माध्यम से चापाकल का हैंडल चलने लगा और वृद्ध व बीमार मां की परेशानी का हल निकल गया.
बांस की कलाकृति में है निपुण: यहां बता दें कि संतोष के पास अदभुत कला है. वह बांस से कलाकृति करता है. संतोष बांस से कई तरह की प्रतिमा का निर्माण कर चुका है. इसके द्वारा बांस से बनाये गए सामान की तारीफ होती रहती है. हालांकि इस हुनरमंद को अभी तक वाजिब हक नहीं मिल सका है.