गिरिडीहः राज्य सरकार द्वारा उर्दू स्कूलों में जुमा की छुट्टी खत्म करने और अन्य मुद्दों को लेकर जिला भर में विभिन्न संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया(minority community demonstrated in giridih). इसी कड़ी में खोरीमहुआ अनुमंडल कार्यालय के समक्ष एवं अन्य स्थानों पर प्रखंड मुख्यालय के सामने धरना दिया गया(minority community demonstrated in giridih). कार्यक्रम के बाद अधिकारियों को इस आशय का आवेदन सौंप कर उर्दू स्कूलों में पहले की तरह सुविधाएं बहाल करने की मांग की गई. कार्यक्रम में धरनार्थियों ने कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन कर रही है. तुगलकी फरमान जारी कर सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों से उनका अधिकार छीना जा रहा है. धरना के माध्यम से सरकार से अल्पसंख्यकों एवं उर्दू भाषियों के साथ न्याय करने की मांग की गई. साथ ही यह अल्टीमेटम दिया गया कि अगर सरकार मांगों के प्रति गंभीर नहीं होती है तो पूरे राज्य में चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा.
तंजीम इस्लाहुल मुस्लेमीन के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग खोरीमहुआ अनुमंडल कार्यालय पहुंचे और धरना प्रदर्शन में भाग लिया(minority community demonstrated in giridih). कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार अल्पसंख्यक समुदाय को ठगने का काम कर रही है. राज्य भर के उर्दू स्कूलों की मान्यता को खत्म करने की साजिश की जा रही है. जो कि उर्दू जुबान के साथ भेदभावपूर्ण रवैया को दर्शाता है(Minority community accused government of discriminating against Urdu). सरकार द्वारा उर्दू विद्यालयों में शुक्रवार यानी जुमा की साप्ताहिक छुट्टी को समाप्त कर रविवार की छुट्टी लागू कर दी गई. जबकि वर्षों से उर्दू विद्यालयों में साप्ताहिक छुट्टी शुक्रवार को होती आ रही है. वहीं विद्यालयों में प्रार्थना सभा में सभी बच्चों को हाथ जोड़कर प्रार्थना करने पर विवश किया जा रहा है, जो कि न्यायोचित नहीं है. संविधान द्वारा सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है. इसके बावजूद सरकार अपना तुगलकी फरमान जारी कर अल्पसंख्यक समुदाय से उनका हक अधिकार छीनना चाह रही है.