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गिरिडीह में दुर्गा पूजा की धूम, बैलगाड़ी पर सवार मां दुर्गा की प्रतिमा बना आकर्षण का केंद्र

गिरिडीह में दुर्गा पूजा को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. बगोदर दुर्गा पूजा पंडाल में बैलगाड़ी पर सवार मां दुर्गा की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र (Maa Durga idol riding on bullock cart) बना हुआ है. इसके अलावा राजस्थानी किले की तर्ज पर ऊंचा पंडाल लोगों को आकर्षित कर रहा है.

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Published : Oct 4, 2022, 8:40 AM IST

Updated : Oct 4, 2022, 9:19 AM IST

Maa Durga idol riding on bullock cart center of attraction of Puja in Giridih
गिरिडीह

बगोदर,गिरिडीहः बगोदर दुर्गा मंदिर पूजा पंडाल इस बार अपनी थीम से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां का पंडाल और मां दुर्गा की प्रतिमा अपने आप में अनोखा और खास है. अनोखा होने का मुख्य दो बड़ा कारण है, जिसमें एक बैलगाड़ी पर विराजमान शक्ति की देवी मां दुर्गा की मूर्ति (Maa Durga idol riding on bullock cart) और दूसरा राजस्थान के पुराने किले की तर्ज पर बने भव्य 60 फीट ऊंचा पूजा पंडाल है. ये दोनों सजावट बगोदर के लिए अनोखा है.

इसे भी पढ़ें- Video: झारखंड विधानसभा की तर्ज पर बनाया गया पूजा पंडाल

कोरोना काल के बाद गिरिडीह में दुर्गा पूजा (Durga Puja in Giridih) भव्य रूप से किया जा रहा है. पूजा समितियों ने अलग अलग थीम पर अपने पूजा पंडाल को सजाया है. बगोदर दुर्गा मंदिर पूजा पंडाल ने भी इस बार कुछ अलग किया है. उन्होंने अपने पंडाल को राजस्थानी लूक (Rajasthani fort theme Puja pandal) दिया है. वहां के पुराने किले का प्रारूप देते हुए करीब 60 फुट ऊंचा पडाल बनाया है. इसके अलावा पंडाल के अंदर मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए गांव की परंपरा को संस्कृति को दर्शाया है. जिसमें मां दुर्गा बैलगाड़ी पर विराजमान नजर आ रही हैं. ये दोनों सजावट बगोदर के लिए अनोखा ही है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

देखें पूरी खबर

मंदिर परिसर में मां दुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की गई है. प्रतिमा के बाहरी हिस्से में सुंदर बैलगाड़ी बनाया गया जिसे दो बैल के द्वारा खिंचा जा रहा है. जिसे देखकर यह प्रतीत होता है कि मां दुर्गा बैलगाड़ी पर सवार हैं. कुल मिलाकर यूं कहें कि बैलगाड़ी की आकृति ने प्रतिमाओं की सजावट में चार चांद लगा दिया है. इसके साथ ही विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रही बैलगाड़ी की सवारी भी लोगों की याद को ताजा कर दिया. इस पूजा पंडाल को देखने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ रही है. रात में आकर्षक लाइटिंग देखकर भक्त प्रफुल्लित हो रहे हैं. खुशमिजाज दर्शक पूजा पंडाल को देखकर कलाकारों की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.

Maa Durga idol riding on bullock cart center of attraction of Puja in Giridih
राजस्थानी किले की तर्ज पर बना पंडाल

विधायक और पूर्व विधायक पहुंचे पूजा पंडालः बगोदर, सरिया और बिरनी प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पूजा पंडालों का भ्रमण जन प्रतिनिधियों के द्वारा किया जा रहा. इसको लेकर बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह, पूर्व विधायक नागेंद्र महतो, जिप उपाध्यक्ष छोटेलाल यादव समेत कई जनप्रतिनिधियों ने बगोदर बाजार के पूजा पंडाल पहुंचकर मां के दर्शन करने के साथ विधि-व्यवस्था का जाएजा लिया. एसडीपीओ नौशाद आलम, बीडीओ मनोज कुमार गुप्ता, थाना प्रभारी नीतीश कुमार ने भी बगोदर पूजा पंडाल का जाएजा लिया. पूजा कमेटी के अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार गुप्ता से मिलकर कार्यक्रम की जानकारी ली.


बगोदर में अंग्रेजी शासनकाल से मनाया जा रहा दुर्गोत्सवः बगोदर में मनाए जाने वाले सार्वजनिक दुर्गोत्सव का इतिहास बहुत पुराना है. यहां अंग्रेजी हुकूमत के समय से दुर्गोत्सव मनाया जाता आ रहा है लेकिन दुर्गोत्सव का इतिहास जमींदार परिवार से जुड़ा हुआ. जमींदार परिवार ने अपनी शान को लेकर दुर्गोत्सव की शुरुआत 1920 में की थी. हालांकि शुरुआती समय में कम संसाधनों के बीच दुर्गोत्सव का आयोजन होता था. समय के साथ दुर्गोत्सव के आयोजन में विस्तार होता गया और आज बगोदर दुर्गोत्सव की इलाके की अपनी अलग पहचान है. इस बार 102वां दुर्गोत्सव मनाया जा रहा है. दुर्गोत्सव के सफल आयोजन के लिए पुरुष के साथ यहां महिला पूजा कमिटी का भी गठन किया गया है एवं महिलाओं को भी दुर्गोत्सव की कमान सौंपी गई है.


जमींदार परिवार से जुड़ा है दुर्गोत्सव का इतिहासः दुर्गोत्सव के आयोजन का इतिहास बगोदर के तत्कालीन जमींदार सोहन राम महतो और उनके परिजनों से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि 1920 के पूर्व बगोदर में दुर्गोत्सव का आयोजन नहीं होता था. दुर्गोत्सव को देखने के लिए लिए नजदीकी इलाके में आयोजित होने वाले दुर्गोत्सव में आसपास के ग्रामीण शामिल होते थे. बगोदर के तत्कालीन जमींदार सोहन राम के परिजनों के मन में भी एक बार दुर्गोत्सव देखने का इरादा हुआ और फिर घर के मुखिया (जमींदार) को बगैर बताए बैलगाड़ी पर सवार होकर सभी डुमरी चले गए. इसकी जानकारी जब जमींदार को हुई तब उन्हें यह नागंवार लगा और फिर उन्होंने बगोदर में दुर्गोत्सव मनाने की ठान ली. इसके बाद 1920 में जमींदार सोहन राम महतो के अगुवाई में चौरसिया परिवार के द्वारा यहां पहली बार दुर्गोत्सव का आयोजन शुरु किया गया, तब से यहां लगातार दुर्गोत्सव का आयोजन होता आ रहा है.

बगोदर,गिरिडीहः बगोदर दुर्गा मंदिर पूजा पंडाल इस बार अपनी थीम से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां का पंडाल और मां दुर्गा की प्रतिमा अपने आप में अनोखा और खास है. अनोखा होने का मुख्य दो बड़ा कारण है, जिसमें एक बैलगाड़ी पर विराजमान शक्ति की देवी मां दुर्गा की मूर्ति (Maa Durga idol riding on bullock cart) और दूसरा राजस्थान के पुराने किले की तर्ज पर बने भव्य 60 फीट ऊंचा पूजा पंडाल है. ये दोनों सजावट बगोदर के लिए अनोखा है.

इसे भी पढ़ें- Video: झारखंड विधानसभा की तर्ज पर बनाया गया पूजा पंडाल

कोरोना काल के बाद गिरिडीह में दुर्गा पूजा (Durga Puja in Giridih) भव्य रूप से किया जा रहा है. पूजा समितियों ने अलग अलग थीम पर अपने पूजा पंडाल को सजाया है. बगोदर दुर्गा मंदिर पूजा पंडाल ने भी इस बार कुछ अलग किया है. उन्होंने अपने पंडाल को राजस्थानी लूक (Rajasthani fort theme Puja pandal) दिया है. वहां के पुराने किले का प्रारूप देते हुए करीब 60 फुट ऊंचा पडाल बनाया है. इसके अलावा पंडाल के अंदर मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए गांव की परंपरा को संस्कृति को दर्शाया है. जिसमें मां दुर्गा बैलगाड़ी पर विराजमान नजर आ रही हैं. ये दोनों सजावट बगोदर के लिए अनोखा ही है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

देखें पूरी खबर

मंदिर परिसर में मां दुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की गई है. प्रतिमा के बाहरी हिस्से में सुंदर बैलगाड़ी बनाया गया जिसे दो बैल के द्वारा खिंचा जा रहा है. जिसे देखकर यह प्रतीत होता है कि मां दुर्गा बैलगाड़ी पर सवार हैं. कुल मिलाकर यूं कहें कि बैलगाड़ी की आकृति ने प्रतिमाओं की सजावट में चार चांद लगा दिया है. इसके साथ ही विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रही बैलगाड़ी की सवारी भी लोगों की याद को ताजा कर दिया. इस पूजा पंडाल को देखने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ रही है. रात में आकर्षक लाइटिंग देखकर भक्त प्रफुल्लित हो रहे हैं. खुशमिजाज दर्शक पूजा पंडाल को देखकर कलाकारों की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.

Maa Durga idol riding on bullock cart center of attraction of Puja in Giridih
राजस्थानी किले की तर्ज पर बना पंडाल

विधायक और पूर्व विधायक पहुंचे पूजा पंडालः बगोदर, सरिया और बिरनी प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न पूजा पंडालों का भ्रमण जन प्रतिनिधियों के द्वारा किया जा रहा. इसको लेकर बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह, पूर्व विधायक नागेंद्र महतो, जिप उपाध्यक्ष छोटेलाल यादव समेत कई जनप्रतिनिधियों ने बगोदर बाजार के पूजा पंडाल पहुंचकर मां के दर्शन करने के साथ विधि-व्यवस्था का जाएजा लिया. एसडीपीओ नौशाद आलम, बीडीओ मनोज कुमार गुप्ता, थाना प्रभारी नीतीश कुमार ने भी बगोदर पूजा पंडाल का जाएजा लिया. पूजा कमेटी के अध्यक्ष धीरेंद्र कुमार गुप्ता से मिलकर कार्यक्रम की जानकारी ली.


बगोदर में अंग्रेजी शासनकाल से मनाया जा रहा दुर्गोत्सवः बगोदर में मनाए जाने वाले सार्वजनिक दुर्गोत्सव का इतिहास बहुत पुराना है. यहां अंग्रेजी हुकूमत के समय से दुर्गोत्सव मनाया जाता आ रहा है लेकिन दुर्गोत्सव का इतिहास जमींदार परिवार से जुड़ा हुआ. जमींदार परिवार ने अपनी शान को लेकर दुर्गोत्सव की शुरुआत 1920 में की थी. हालांकि शुरुआती समय में कम संसाधनों के बीच दुर्गोत्सव का आयोजन होता था. समय के साथ दुर्गोत्सव के आयोजन में विस्तार होता गया और आज बगोदर दुर्गोत्सव की इलाके की अपनी अलग पहचान है. इस बार 102वां दुर्गोत्सव मनाया जा रहा है. दुर्गोत्सव के सफल आयोजन के लिए पुरुष के साथ यहां महिला पूजा कमिटी का भी गठन किया गया है एवं महिलाओं को भी दुर्गोत्सव की कमान सौंपी गई है.


जमींदार परिवार से जुड़ा है दुर्गोत्सव का इतिहासः दुर्गोत्सव के आयोजन का इतिहास बगोदर के तत्कालीन जमींदार सोहन राम महतो और उनके परिजनों से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि 1920 के पूर्व बगोदर में दुर्गोत्सव का आयोजन नहीं होता था. दुर्गोत्सव को देखने के लिए लिए नजदीकी इलाके में आयोजित होने वाले दुर्गोत्सव में आसपास के ग्रामीण शामिल होते थे. बगोदर के तत्कालीन जमींदार सोहन राम के परिजनों के मन में भी एक बार दुर्गोत्सव देखने का इरादा हुआ और फिर घर के मुखिया (जमींदार) को बगैर बताए बैलगाड़ी पर सवार होकर सभी डुमरी चले गए. इसकी जानकारी जब जमींदार को हुई तब उन्हें यह नागंवार लगा और फिर उन्होंने बगोदर में दुर्गोत्सव मनाने की ठान ली. इसके बाद 1920 में जमींदार सोहन राम महतो के अगुवाई में चौरसिया परिवार के द्वारा यहां पहली बार दुर्गोत्सव का आयोजन शुरु किया गया, तब से यहां लगातार दुर्गोत्सव का आयोजन होता आ रहा है.

Last Updated : Oct 4, 2022, 9:19 AM IST
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