ETV Bharat / state

दगा दे रहा है मानसून, किसानों की बढ़ी चिंता, सूखे की तरफ गिरिडीह

गिरिडीह में छिटपुट बारिश हो रही है. वर्षा की कमी से धानरोपनी नहीं हो सकी है. इससे किसानों की चिंता बढ़ा गई है. किसानों को सूखा का डर सताने लगा है.

Less rain than normal in Giridih chances of drought
Less rain than normal in Giridih chances of drought
author img

By

Published : Jul 26, 2023, 7:24 PM IST

Updated : Jul 26, 2023, 8:39 PM IST

देखें पूरी खबर

गिरिडीह: पिछले वर्ष की तरह इस बार भी गिरिडीह में सूखा का खतरा मंडरा रहा है. पिछली बार की तरह ही इस बार मानसून ने दगबाजी कर दी है. बारिश नाम मात्र की हो रही है. जून-जुलाई में हुई कम बारिश के कारण धान की रोपनी सीधे तौर पर प्रभावित हुई है. इतना ही नहीं कई किसानों द्वारा लगाया गया बिचड़ा भी सूखने लगा है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में लगातार दूसरे साल सूखे की आहट, खेत की जगह किसानों की आंखों में भरा पानी

15 जुलाई से शुरू होती थी धनरोपनी: बताया जाता है कि प्रत्येक वर्ष 15 जुलाई से लेकर 15 अगस्त तक शत प्रतिशत धनरोपनी हो जाती है. इसी समय के मद्देनजर किसानों ने समय पर बिचड़ा तैयार भी कर लिया, लेकिन बारिश ही नहीं हो रही है. इससे धनरोपनी का काम सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है. जिन किसानों को यह उम्मीद थी कि इस बार धान की बेहतर खेती होगी उन्हें अब हजारों के नुकसान का डर सताने लगा है. कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार जिले में 88 हजार एकड़ भूमि पर धान की खेती होती है. इसी लक्ष्य के अनुरूप 88 सौ हेक्टेयर में धान का बिचड़ा डालने का लक्ष्य था, जिसे पूर्ण भी कर लिया गया लेकिन धनरोपनी नहीं हो सकी. हालांकि इस बीच कुछ किसान नदी या कूप से पटवन कर रोपनी करने में जुटे हैं.

125 एमएम कम हुई बारिश: विभाग की मानें तो जून माह में सामान्य वर्षा 144.2 है, लेकिन 92.8 एमएम ही हुई. इसी तरह जुलाई माह में सामान्य वर्षपात 297.9 एमएन है. इसके विरुद्ध अभी तक 75 एमएम बारिश हुई है.

मोटे अनाज की खेती पर बल: सामान्य से काफी कम बारिश होने की वजह से कृषि विभाग मोटे अनाज की खेती करने पर जोर दे रहा है. इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. किसानों को मडुआ, मक्का, बाजरा, कोदो, ज्वार समेत अन्य मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. विभाग का कहना है कि मोटा अनाज का उत्पादन कर किसान बेहतर कमाई कर सकते हैं.

देखें पूरी खबर

गिरिडीह: पिछले वर्ष की तरह इस बार भी गिरिडीह में सूखा का खतरा मंडरा रहा है. पिछली बार की तरह ही इस बार मानसून ने दगबाजी कर दी है. बारिश नाम मात्र की हो रही है. जून-जुलाई में हुई कम बारिश के कारण धान की रोपनी सीधे तौर पर प्रभावित हुई है. इतना ही नहीं कई किसानों द्वारा लगाया गया बिचड़ा भी सूखने लगा है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में लगातार दूसरे साल सूखे की आहट, खेत की जगह किसानों की आंखों में भरा पानी

15 जुलाई से शुरू होती थी धनरोपनी: बताया जाता है कि प्रत्येक वर्ष 15 जुलाई से लेकर 15 अगस्त तक शत प्रतिशत धनरोपनी हो जाती है. इसी समय के मद्देनजर किसानों ने समय पर बिचड़ा तैयार भी कर लिया, लेकिन बारिश ही नहीं हो रही है. इससे धनरोपनी का काम सीधे तौर पर प्रभावित हुआ है. जिन किसानों को यह उम्मीद थी कि इस बार धान की बेहतर खेती होगी उन्हें अब हजारों के नुकसान का डर सताने लगा है. कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार जिले में 88 हजार एकड़ भूमि पर धान की खेती होती है. इसी लक्ष्य के अनुरूप 88 सौ हेक्टेयर में धान का बिचड़ा डालने का लक्ष्य था, जिसे पूर्ण भी कर लिया गया लेकिन धनरोपनी नहीं हो सकी. हालांकि इस बीच कुछ किसान नदी या कूप से पटवन कर रोपनी करने में जुटे हैं.

125 एमएम कम हुई बारिश: विभाग की मानें तो जून माह में सामान्य वर्षा 144.2 है, लेकिन 92.8 एमएम ही हुई. इसी तरह जुलाई माह में सामान्य वर्षपात 297.9 एमएन है. इसके विरुद्ध अभी तक 75 एमएम बारिश हुई है.

मोटे अनाज की खेती पर बल: सामान्य से काफी कम बारिश होने की वजह से कृषि विभाग मोटे अनाज की खेती करने पर जोर दे रहा है. इसके लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. किसानों को मडुआ, मक्का, बाजरा, कोदो, ज्वार समेत अन्य मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. विभाग का कहना है कि मोटा अनाज का उत्पादन कर किसान बेहतर कमाई कर सकते हैं.

Last Updated : Jul 26, 2023, 8:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.