गिरिडीह: धनबाद में जज की मौत और रांची में वकील की हत्या के बाद पूरे राज्य के अधिवक्ता आक्रोश में है. दोनों घटनाओं के बाद जिले के अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगाकर और काम का बहिष्कार कर विरोध जताया है.
राष्ट्रपति शासन की मांग
धनबाद के जज उत्तम आनंद की संदेहास्पद मौत के बाद गिरिडीह के अधिवक्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है. अधिवक्ताओं ने काला बिल्ला लगाकर विरोध जताया और कार्य से अलग रहे. इस दौरान जिला अधिवक्ता संघ के सचिव चुन्नुकांत ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सीधा सवाल उठाया और कहा कि राज्य की संवैधानिक व्यवस्था पूरी से फेल हो चुकी है. इस व्यवस्था में यहां की सरकार को पद पर बने रहने का हक नहीं है. उन्होने कहा इस हालात में झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है मापदंड
अधिवक्ता संघ के सचिव ने बताया कि 1994 में इसी तरह की घटना को लेकर कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लागू किया था. जिसके विरोध में कर्नाटक के मुख्यमंत्री एसआर बोबोई सुप्रीम कोर्ट गए और कहा कि उनके यहां धारा 356 का दुरुपयोग किया गया है. इसके बाद मामले को संवैधानिक पीठ में रेफर किया. पीठ ने धारा 356 लागू करने के लिए जो मापदंड तय किया उसमें एक मापदंड यह भी था कि यदि कार्य के दौरान किसी न्यायाधीश की हत्या हो जाती है तो इसे सवैधानिक विफलता मानी जाएगी.
केंद्र सरकार करे हस्तक्षेप
सचिव चुन्नुकान्त ने कहा कि धनबाद में जज की हत्या हुई है और यह बताता है कि राज्य की संवैधानिक व्यवस्था फेल हो चुकी है. ऐसे में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रांची में भी एक अधिवक्ता की हत्या हुई है जो ये बता रही है कि राज्य में लोग असुरक्षित हैं. गिरिडीह के अधिवक्ता संघ ने रांची में मारे गए अधिवक्ता के परिजनों के लिए एक करोड़ मुआवजे की मांग की है.
क्या है मामला
बुधवार सुबह एडीजे उत्तम आनंद बुधवार सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले थे, इस दौरान एक ऑटो ने पीछे से उन्हें टक्कर मार दी थी. उनके सिर पर गंभीर चोट लगी थी और बाद में अस्पताल में मौत हो गई थी. उत्तम आनंद बहुचर्चित रंजय हत्याकांड की सुनवाई कर रहे थे.