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गिरिडीह में सक्रिय ठगी के ज्यादातर अपराधी रिश्तेदार, साझा करते हैं ठगने की तरकीब - गिरिडीह क्राइम न्यूज

पूरे देश में साइबर अपराधों के तार अक्सर गिरिडीह, जामताड़ा और देवघर से जुड़ते रहते हैं. यहां से ठग आम से खास तक को निशाना बना रहे हैं. यहां सक्रिय अधिकतर अपराधी आपस में रिश्तेदार हैं, जो ठगी की तरकीब साझा कर रिश्तेदारों को जुर्म के दलदल में उतार रहे हैं.

large network of cyber criminals in giridih
साइबर अपराधियों का बड़ा नेटवर्क
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Published : Feb 13, 2021, 1:39 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 4:39 PM IST

गिरिडीह: पूरे देश में साइबर अपराधों के तार अक्सर गिरिडीह, जामताड़ा और देवघर से जुड़ते रहते हैं. यहां से ठग आम से खास तक को निशाना बना रहे हैं. देश के अधिकांश प्रांतों की पुलिस किसी न किसी मामले में आरोपियों की तलाश मेंं इन जिले में आ चुकी है और कइयों को गिरफ्तार कर ले गई है. कहा जाए तो साइबर अपराध के मामले में जामताड़ा, देवघर के बाद गिरिडीह ही सुर्खियों में रहा है.

देखें पूरी खबर
साइबर अपराधियों का बड़ा नेटवर्क सदर अनुमंडल क्षेत्र में साइबर अपराध के बढ़ते मामलों से गिरिडीह को जामताड़ा पार्ट थर्ड कहा जाने लगा है. जिले के सदर अनुमंडल क्षेत्र में इन अपराधियों का सबसे बड़ा नेटवर्क है. यहां के गिरिडीह सदर प्रखंड के मुफस्सिल, नगर और पचंबा थाना इलाका. गांडेय प्रखण्ड के गांडेय, ताराटांड़, अहिल्यापुर थाना इलाका और बेंगाबाद प्रखंड के बेंगाबाद थाना क्षेत्र से सबसे ज्यादा साइबर अपराध के तार जुड़ रहे हैं. इनमें बेंगाबाद और गांडेय प्रखंड का सिमाना जामताड़ा के साथ-साथ देवघर से भी सटा है. इसी इलाके में साइबर अपराधियों का बड़ा नेटवर्क सक्रिय है. अपराधी करते हैं एक-दूसरे की मददइस पूरे मामले पर साइबर डीएसपी संदीप सुमन समदर्शी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि साइबर अपराध की शुरुवात कहां से हुई यह कहा नहीं जा सकता, लेकिन गिरिडीह के अपराधियों और देवघर-जामताड़ा के ज्यादातर अपराधी आपस में रिश्तेदार ही हैं. ब्लड रिलेशन रहने के कारण इन लोगों ने लोगों को ठगने के हर एक एंगल को शेयर किया और अपराध में एक दूसरे की मदद की. रिश्तेदारी होने के कारण ये लोग एक दूसरे के यहां जाकर मोबाइल से ठगी का काम करते रहे.

इसे भी पढ़ें-चतरा में डॉक्टर की करामात, सदर अस्पताल में मौत के बाद भी होता है इलाज

कंपनी कर्मियों से साठगांठ
डीएसपी ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि तकनीक में बदलाव किया गया है. पहले ये लोग यहीं पर बैठकर बाहर के राज्यों के लोगों को कॉल किया करते थे. अभी बल्क मैसेज भेजने वाली कंपनियों के कुछ एक कर्मियों के साथ इन लोगों ने साठ-गांठ कर ली है. अब ये लोग एक बार में ही हजारों लोगों को बल्क मैसेज भेजते हैं, जिनके पास मैसेज पहुंचता है तो उनमें से कुछ लोग झांसे में आकर मैसेज में आए नंबर पर कॉल बैक करते हैं, जिसके बाद इन्हें ठगने का मौका मिलता है.

लगातार होती रही गिरफ्तारी
बताया गया कि अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए 2014-15 से लगातार कार्रवाई हुई है. अभी साइबर थाना बनने के बाद ढाई वर्ष में 240 के आसपास गिरफ्तारी हो चुकी है. साइबर थाना बनने से पहले जनवरी 2018 तक गिरिडीह पुलिस ने 257 अपराधियों को जेल भेजा था. इसके अलावा दूसरे प्रदेश से की पुलिस भी अपराधियों को जेल भेजती रही.

गिरिडीह: पूरे देश में साइबर अपराधों के तार अक्सर गिरिडीह, जामताड़ा और देवघर से जुड़ते रहते हैं. यहां से ठग आम से खास तक को निशाना बना रहे हैं. देश के अधिकांश प्रांतों की पुलिस किसी न किसी मामले में आरोपियों की तलाश मेंं इन जिले में आ चुकी है और कइयों को गिरफ्तार कर ले गई है. कहा जाए तो साइबर अपराध के मामले में जामताड़ा, देवघर के बाद गिरिडीह ही सुर्खियों में रहा है.

देखें पूरी खबर
साइबर अपराधियों का बड़ा नेटवर्क सदर अनुमंडल क्षेत्र में साइबर अपराध के बढ़ते मामलों से गिरिडीह को जामताड़ा पार्ट थर्ड कहा जाने लगा है. जिले के सदर अनुमंडल क्षेत्र में इन अपराधियों का सबसे बड़ा नेटवर्क है. यहां के गिरिडीह सदर प्रखंड के मुफस्सिल, नगर और पचंबा थाना इलाका. गांडेय प्रखण्ड के गांडेय, ताराटांड़, अहिल्यापुर थाना इलाका और बेंगाबाद प्रखंड के बेंगाबाद थाना क्षेत्र से सबसे ज्यादा साइबर अपराध के तार जुड़ रहे हैं. इनमें बेंगाबाद और गांडेय प्रखंड का सिमाना जामताड़ा के साथ-साथ देवघर से भी सटा है. इसी इलाके में साइबर अपराधियों का बड़ा नेटवर्क सक्रिय है. अपराधी करते हैं एक-दूसरे की मददइस पूरे मामले पर साइबर डीएसपी संदीप सुमन समदर्शी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि साइबर अपराध की शुरुवात कहां से हुई यह कहा नहीं जा सकता, लेकिन गिरिडीह के अपराधियों और देवघर-जामताड़ा के ज्यादातर अपराधी आपस में रिश्तेदार ही हैं. ब्लड रिलेशन रहने के कारण इन लोगों ने लोगों को ठगने के हर एक एंगल को शेयर किया और अपराध में एक दूसरे की मदद की. रिश्तेदारी होने के कारण ये लोग एक दूसरे के यहां जाकर मोबाइल से ठगी का काम करते रहे.

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कंपनी कर्मियों से साठगांठ
डीएसपी ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि तकनीक में बदलाव किया गया है. पहले ये लोग यहीं पर बैठकर बाहर के राज्यों के लोगों को कॉल किया करते थे. अभी बल्क मैसेज भेजने वाली कंपनियों के कुछ एक कर्मियों के साथ इन लोगों ने साठ-गांठ कर ली है. अब ये लोग एक बार में ही हजारों लोगों को बल्क मैसेज भेजते हैं, जिनके पास मैसेज पहुंचता है तो उनमें से कुछ लोग झांसे में आकर मैसेज में आए नंबर पर कॉल बैक करते हैं, जिसके बाद इन्हें ठगने का मौका मिलता है.

लगातार होती रही गिरफ्तारी
बताया गया कि अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए 2014-15 से लगातार कार्रवाई हुई है. अभी साइबर थाना बनने के बाद ढाई वर्ष में 240 के आसपास गिरफ्तारी हो चुकी है. साइबर थाना बनने से पहले जनवरी 2018 तक गिरिडीह पुलिस ने 257 अपराधियों को जेल भेजा था. इसके अलावा दूसरे प्रदेश से की पुलिस भी अपराधियों को जेल भेजती रही.

Last Updated : Feb 16, 2021, 4:39 PM IST
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