ETV Bharat / state

Jain Monk 557 Days of Silence: पारसनाथ टोंक स्वर्णभद्रकूट पर हुआ जैनाचार्य प्रसन्न सागर का महापारणा, 557 दिनों से थे मौन व्रत पर - Jharkhand news

जैन धर्म के अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर ने 28 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ दिया है. आचार्य पिछले 557 दिनों से सिंघनिष्क्रीडित व्रत में थे और सम्मेद शिखर पर ही उन्होंने महापारणा किया. यहां के बाद वे तलहटी पहुंचे जहां भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

Jainacharya Prasanna Sagar Mahaparna at Parasnath Tonk
Jainacharya Prasanna Sagar Mahaparna at Parasnath Tonk
author img

By

Published : Jan 28, 2023, 1:18 PM IST

Updated : Jan 28, 2023, 4:32 PM IST

देखें वीडियो

गिरिडीह: 557 दिनों से तीर्थराज सम्मेद शिखर ( पारसनाथ ) में सिंघनिष्क्रीडित व्रत में साधनारत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने महापारणा किया. शनिवार को प्रसन्न सागर महाराज ने पारसनाथ टोंक स्वर्णभद्रकूट पर ही महापारणा संपन्न हुआ. यहां के बाद जैनाचार्य सम्मेद शिखर से नीचे उतरे. इस दौरान शिखर से लेकर तलहटी तक आचार्य का जगह जगह स्वागत हुआ. इस दौरान भक्तों में काफी उत्साह देखा गया. लोग नाचते-झूमते दिखे. जैनाचार्य के महापारणा करने के उपरांत शिखर से चलते ही पुष्प वर्षा की गई.

ये भी पढ़ें: 557 दिनों के मौन व्रत पर रहे जैन मुनि प्रसन्न सागर का महापारणा कार्यक्रम, लोकसभा अध्यक्ष और बाबा रामदेव होंगे शामिल

जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी पारसनाथ में अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत और मौन साधना में लीन रहें. अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज 557 दिन की अखंड मौन साधना और एकांतवास में रहे. पारसनाथ पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित गुफा में 557 दिन की कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत की यात्रा के दौरन 61 दिन की पारणा विधि यानी आहार चर्या पूरी कर 496 दिनों का निर्जला उपवास भी रखा.

मध्य प्रदेश के रहनेवाले हैं आचार्य प्रसन्न सागर: प्रसन्न सागर जी महाराज मध्य प्रदेश के छतरपुर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 23 जुलाई 1970 को हुआ और महज 16 वर्ष की आयु में 12 अप्रैल 1986 को इन्होंने ब्रह्चार्य व्रत रखा. 18 अप्रैल 1989 को इन्होंने मुनि की दीक्षा ली. 23 नवम्बर 2019 में आचार्य पद हासिल किया. आचार्य ने अब तक एक लाख किलोमीटर से भी ज्यादा की पैदल यात्रा की है. जबकि दीक्षा काल से 3500 दिन से ज्यादा उपवास पर रहे. कहा जाता है कि इस तरह की कठिन व्रत की साधना जैन तीर्थंकर भगवान महावीर ने की थी. आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज को कई उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है. गुजरात सरकार ने इन्हें साधन महोदधि से विभूषित किया तो वियतनाम विश्वविद्यालय से डाक्ट्रेट की मानक उपाधि मिली है. गिनीज बुक रिकॉर्ड, एशिया बुक रिकॉर्ड, इंडिया बुक रिकॉर्ड में भी विभिन्न कृतियों के कारण इनका नाम दर्ज है. ब्रिटेन की संसद ने सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा भारत गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया है.

फुटबॉल मैदान में मुख्य कार्यक्रम: महापारणा का मुख्य कार्यक्रम मधुबन फुटबॉल मैदान आयोजित कार्यक्रम हुआ. इस महापारणा महोत्सव में देश विदेश के हजारों श्रद्धालुओं का जुटान हुआ है. यहां पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ साथ भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव व भव्य जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव का भी आयोजन होगा. कार्यक्रम में योग गुरु बाबा रामदेव शामिल होंगे.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: इस कार्यक्रम को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, एसडीपीओ मनोज कुमार, इंस्पेक्टर परमेश्वर लियांगी, थाना प्रभारी मृत्युंजय सिंह, दिलशन बिरुआ समेत कई अधिकारी व जवान की तैनाती की गई है.

देखें वीडियो

गिरिडीह: 557 दिनों से तीर्थराज सम्मेद शिखर ( पारसनाथ ) में सिंघनिष्क्रीडित व्रत में साधनारत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने महापारणा किया. शनिवार को प्रसन्न सागर महाराज ने पारसनाथ टोंक स्वर्णभद्रकूट पर ही महापारणा संपन्न हुआ. यहां के बाद जैनाचार्य सम्मेद शिखर से नीचे उतरे. इस दौरान शिखर से लेकर तलहटी तक आचार्य का जगह जगह स्वागत हुआ. इस दौरान भक्तों में काफी उत्साह देखा गया. लोग नाचते-झूमते दिखे. जैनाचार्य के महापारणा करने के उपरांत शिखर से चलते ही पुष्प वर्षा की गई.

ये भी पढ़ें: 557 दिनों के मौन व्रत पर रहे जैन मुनि प्रसन्न सागर का महापारणा कार्यक्रम, लोकसभा अध्यक्ष और बाबा रामदेव होंगे शामिल

जैन धर्म के चौबीस में से बीस तीर्थंकरों की निर्वाणभूमि सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी पारसनाथ में अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत और मौन साधना में लीन रहें. अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज 557 दिन की अखंड मौन साधना और एकांतवास में रहे. पारसनाथ पर्वत की सर्वोच्च चोटी पर स्थित गुफा में 557 दिन की कठिन सिंघनिष्क्रीडित व्रत की यात्रा के दौरन 61 दिन की पारणा विधि यानी आहार चर्या पूरी कर 496 दिनों का निर्जला उपवास भी रखा.

मध्य प्रदेश के रहनेवाले हैं आचार्य प्रसन्न सागर: प्रसन्न सागर जी महाराज मध्य प्रदेश के छतरपुर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 23 जुलाई 1970 को हुआ और महज 16 वर्ष की आयु में 12 अप्रैल 1986 को इन्होंने ब्रह्चार्य व्रत रखा. 18 अप्रैल 1989 को इन्होंने मुनि की दीक्षा ली. 23 नवम्बर 2019 में आचार्य पद हासिल किया. आचार्य ने अब तक एक लाख किलोमीटर से भी ज्यादा की पैदल यात्रा की है. जबकि दीक्षा काल से 3500 दिन से ज्यादा उपवास पर रहे. कहा जाता है कि इस तरह की कठिन व्रत की साधना जैन तीर्थंकर भगवान महावीर ने की थी. आचार्य प्रसन्न सागर जी महाराज को कई उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है. गुजरात सरकार ने इन्हें साधन महोदधि से विभूषित किया तो वियतनाम विश्वविद्यालय से डाक्ट्रेट की मानक उपाधि मिली है. गिनीज बुक रिकॉर्ड, एशिया बुक रिकॉर्ड, इंडिया बुक रिकॉर्ड में भी विभिन्न कृतियों के कारण इनका नाम दर्ज है. ब्रिटेन की संसद ने सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था द्वारा भारत गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया है.

फुटबॉल मैदान में मुख्य कार्यक्रम: महापारणा का मुख्य कार्यक्रम मधुबन फुटबॉल मैदान आयोजित कार्यक्रम हुआ. इस महापारणा महोत्सव में देश विदेश के हजारों श्रद्धालुओं का जुटान हुआ है. यहां पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ साथ भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव व भव्य जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव का भी आयोजन होगा. कार्यक्रम में योग गुरु बाबा रामदेव शामिल होंगे.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: इस कार्यक्रम को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, एसडीपीओ मनोज कुमार, इंस्पेक्टर परमेश्वर लियांगी, थाना प्रभारी मृत्युंजय सिंह, दिलशन बिरुआ समेत कई अधिकारी व जवान की तैनाती की गई है.

Last Updated : Jan 28, 2023, 4:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.