गिरिडीह: जैन धर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल सम्मेद शिखर (Regards Shikharji) को लेकर पूरे देश में मचे घमासान पर अब विराम लगा है. यह विराम केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी नए आदेश के बाद लगा है. मंत्रालय ने इस तीर्थ स्थल को इको टूरिज्म की तरह विकसित करने की गतिविधियों पर रोक लगा दी है. इससे जैन समाज के लोगों में हर्ष है. साथ ही साथ इस बात की खुशी है इस तीर्थक्षेत्र को लोग पिकनिक स्पॉट नहीं समझेंगे.
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वैसे पहले हम विवाद की बात करें तो इसकी शुरुवात सरकार के एक नोटिफिकेशन से हुई थी. 02 अगस्त 2019 को जारी नोटिफिकेशन के तहत सम्मेद शिखर व मधुबन को इको टूरिज्म बनाने की बात कही गई थी. चूंकि पारसनाथ का ज्यादातर इलाका वाइल्ड लाइफ सेंचूरियन है ऐसे में पहाड़ पर किसी प्रकार का कंस्ट्रक्शन नहीं हो सकता था लेकिन इको टूरिज्म बनने से जो पर्वत के नीचे का इलाके को विकसित किया जा सकता था पार्क बन सकता था, अन्य कई तरह की गतिविधियों का संचालन हो सकता था. ऐसे में जैन धर्म के अनुयायिओं का मानना था कि यहां पर कई ऐसे लोग भी पहुंचेंगे जिनका प्रयोजन धार्मिक नहीं रहेगा और इससे यहां की पवित्रता प्रभावित होगी. इसे लेकर लगातार प्रदर्शन हुआ और 05 जनवरी 2023 को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय ने पुराने नोटिफिकेशन में संसोधन कर एक नया आदेश जारी किया और पर्यटन व इको टूरिज्म की गतिविधियों पर रोक लगा दी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपने आदेश (Central government decision on Sammed Shikhar) में साफ कहा कि तीर्थंराज के क्षेत्र में मांसाहार, मदिरा पान पर पूर्णतः रोक रहेगी और इसका अनुपालन राज्य सरकार सख्ती से करेगी. इसके अलावा पहाड़ पर ट्रेकिंग और कैंपिंग पर रोक लगाई गई है. हालांकि मांस व मदिरा पर रोक पूर्व में ही राज्य सरकार लगा चुकी है और जिले के डीसी ने ऐसी गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए पुलिस जवान व होमगार्ड को भी तैनात कर दिया है.
इधर सरकार के इस कदम का स्वागत जैन समाज के लोग कर रहे हैं. हालांकि समाज के लोग यह भी कह रहे हैं कि सिर्फ पर्यटक क्षेत्र बनाने से रोकना ही नहीं बल्कि इस पवित्र क्षेत्र को तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए.