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गिरिडीह में करोड़ों रुपये खर्च कर बनाई गई जलमीनार, अब बन गया है स्टंट जोन

गिरिडीह के बगोदर प्रखंड में जलापूर्ति योजना पर काम शुरू किया गया. इस योजना पर करोड़ों रुपये खर्च कर जलमीनार बनाया गया. लेकिन जलमीनार ग्रामीणों की प्यास बुझाने के बदले खतरा बना हुआ है.

Water tower become danger in Giridih
करोड़ों रुपये खर्च कर की गई पीने के पानी की व्यवस्था
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Published : Nov 29, 2021, 11:30 AM IST

Updated : Nov 29, 2021, 11:37 AM IST

गिरिडीहः बगोदर प्रखंड के बगोदरडीह ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की गंभीर समस्या थी. इस परेशानी को देखते हुए जलापूर्ति योजना बनाई गई और काम भी शुरू किया गया. जलापूर्ति योजना पर करोड़ रुपये खर्च भी किए गए, जो आधा-अधूरा पूरा किया गया. स्थिति यह है कि लोगों की प्यास नहीं बुझा. लेकिन जलापूर्ति योजना के तहत बने जलमीनार खतरा बना हुआ है.

यह भी पढ़ेंःइंतजार कब तक? पांच साल में भी पूरी नहीं हुई जलापूर्ति योजना, 2016 में शुरू हुआ था निर्माण

वर्ष 2016 में तत्कालीन विधायक नागेंद्र महतो के हाथों योजना का शिलान्यस करवाया गया और योजना पर काम शुरू की गई. पॉलिटेक्निक कॉलेज के समीप जलमीनार बनाया गया. लेकिन जलापूर्ति पाइप जैसे-तैसे बिछा दिया गया. आलम यह है कि आज भी घर-घर पीने के पानी नहीं पहुंच रहा है. लेकिन निर्माण कार्य में बरती गई अनियमितता कभी भी किसी बच्चे की जान ले सकता है.

देखें वीडियो

बनी रहती है दुर्घटना होने की आशंका

जलमीनार से पानी सप्लाई नहीं होता है. इससे गांव के छोटे-छोटे बच्चे जलमीनार के ऊपर चढ़कर घंटों बैठे रहते हैं. जलमीनार के ऊपर बैठकर बातचीत करते हैं और फिर फिर मोबाइल से सेल्फी भी लेते हैं. इतना ही नहीं, पानी टंकी पर भी चढ़ जाते हैं. इससे हमेशा बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

नहीं मिला योजना का लाभ

ग्रामीण बताते हैं कि जलमीनार के सीढ़ी में रेलिंग बना दी गई है. लेकिन सीढ़ी में गेट नहीं है, ताकि बिना काम कोई जलमीनार पर चढ़ नहीं सके. उन्होंने कहा कि गेट नहीं होने के कारण हमेशा दो-चार बच्चे जलमीनार के ऊपर चढ़ा रहता है और ग्रामीणों के डांट पर नीचे उतरते हैं. इसके बावजूद बच्चे मानते नहीं है. उन्होंने कहा कि छह वर्ष पहले जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया गया. लेकिन अब तक योजना की लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल सका है.

गिरिडीहः बगोदर प्रखंड के बगोदरडीह ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी की गंभीर समस्या थी. इस परेशानी को देखते हुए जलापूर्ति योजना बनाई गई और काम भी शुरू किया गया. जलापूर्ति योजना पर करोड़ रुपये खर्च भी किए गए, जो आधा-अधूरा पूरा किया गया. स्थिति यह है कि लोगों की प्यास नहीं बुझा. लेकिन जलापूर्ति योजना के तहत बने जलमीनार खतरा बना हुआ है.

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वर्ष 2016 में तत्कालीन विधायक नागेंद्र महतो के हाथों योजना का शिलान्यस करवाया गया और योजना पर काम शुरू की गई. पॉलिटेक्निक कॉलेज के समीप जलमीनार बनाया गया. लेकिन जलापूर्ति पाइप जैसे-तैसे बिछा दिया गया. आलम यह है कि आज भी घर-घर पीने के पानी नहीं पहुंच रहा है. लेकिन निर्माण कार्य में बरती गई अनियमितता कभी भी किसी बच्चे की जान ले सकता है.

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बनी रहती है दुर्घटना होने की आशंका

जलमीनार से पानी सप्लाई नहीं होता है. इससे गांव के छोटे-छोटे बच्चे जलमीनार के ऊपर चढ़कर घंटों बैठे रहते हैं. जलमीनार के ऊपर बैठकर बातचीत करते हैं और फिर फिर मोबाइल से सेल्फी भी लेते हैं. इतना ही नहीं, पानी टंकी पर भी चढ़ जाते हैं. इससे हमेशा बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

नहीं मिला योजना का लाभ

ग्रामीण बताते हैं कि जलमीनार के सीढ़ी में रेलिंग बना दी गई है. लेकिन सीढ़ी में गेट नहीं है, ताकि बिना काम कोई जलमीनार पर चढ़ नहीं सके. उन्होंने कहा कि गेट नहीं होने के कारण हमेशा दो-चार बच्चे जलमीनार के ऊपर चढ़ा रहता है और ग्रामीणों के डांट पर नीचे उतरते हैं. इसके बावजूद बच्चे मानते नहीं है. उन्होंने कहा कि छह वर्ष पहले जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया गया. लेकिन अब तक योजना की लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल सका है.

Last Updated : Nov 29, 2021, 11:37 AM IST
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