गिरिडीह: डुमरी विधानसभा सीट, यह नाम आते ही जाति आधारित वोटिंग, प्रत्याशी और प्रचार खुद ब खुद जेहन में उभर कर सामने आने लगती है. इन बातों के जेहन में आने के पीछे की वजह लगातार एक ही जाति का विधायक रहना भी है. इस सीट पर पिछले 10 चुनाव से कुर्मी (महतो) जाति का ही कब्जा है. 1977 से लेकर 2019 तक यहां जितने भी विधायक बने हैं वे सभी कुर्मी ही रहे हैं. इस बार भी प्रमुख प्रतिद्वंदी कुर्मी जाति से ही हैं. हालांकि 1977 से पहले ऐसी स्थिति नहीं थी. यहां जब पहली दफा 1951-52 में चुनाव हुआ था. उस वक्त यह विधानसभा गिरिडीह सह डुमरी के नाम से जाना जाता था. इस चुनाव में दो विधायक चुने गए थे.
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क्षेत्र के सीनियर लीडर कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष महेश प्रसाद भगत बताते हैं. 1951-52 के चुनाव में यहां जातीय बंधन को तोड़कर लक्ष्मण मांझी और कायस्थ जाति से आनेवाले कृष्ण बल्लभ सहाय (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री) विधायक बने थे. 1957 में यह क्षेत्र गिरिडीह (अनुसूचित जाति) में चला गया और फिर दो विधायक चुने गए. एक हेमलाल प्रग्नेत तो दूसरे थे कामख्या नारायण सिंह. 1962 में डुमरी (अनुसूचित जाति) विधानसभा बना और उस वक्त हेमलाल प्रग्नेत विधायक बने. 1967 में यह सीट सामान्य हो गई और एस मंजरी विधायक निर्वाचित हुई. 1969 में मध्यावति चुनाव हुआ और कैलाशपति सिंह विधायक बने. 1972 के चुनाव में कांग्रेस के मुरली भगत विजयी रहे.
1977 से कुर्मी का परचम: 1977 में डुमरी विधानसभा क्षेत्र में गिरिडीह का डुमरी प्रखंड के अलावा बोकारो का नावाडीह प्रखंड शामिल हो गया. 1977 के चुनाव में यहां के विधायक बने लालचंद महतो (जनता पार्टी), फिर 1980 और 85 में लगातार दो बार जेएमएम की टिकट पर शिवा महतो विधायक बने. 1990 में एक बार फिर से लालचंद महतो जीते. इस बार लालचंद जनता दल की टिकट पर विजयी हुए. 1995 के चुनाव में जेएमएम के शिवा महतो में तीसरी दफा जीत दर्ज की. वर्ष 2000 के चुनाव में लालचंद महतो जनता दल यू से खड़े हुए और जीत दर्ज की.
पहली दफा समता पार्टी की टिकट पर लड़े थे जगरनाथ: वैसे जगरनाथ महतो ने वर्ष 2000 के चुनाव में ही पहली दफा मैदान में उतरे. इस चुनाव में जगरनाथ समता पार्टी के उम्मीदवार बने. हालांकि जनता दल यू के उम्मीदवार लालचंद महतो में उन्हें 6725 मतों से हरा दिया था. इस चुनाव में लालचंद को 28087 मत मिले थे जबकि जगरनाथ महतो को 21362 मत प्राप्त हुआ था. इसके बाद 2005 के चुनाव में जगरनाथ महतो झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी बने. दूसरे ही चुनाव में जगरनाथ ने राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार लालचंद महतो को 18010 मतों से करारी शिकस्त दी. इस चुनाव में जगरनाथ को 41784 मत तो लालचंद को 23774 मत प्राप्त हुआ. इसी तरह 2009 के चुनाव में झामुमो से एक बार फिर जगरनाथ महतो उम्मीदवार बने. इस चुनाव में जगरनाथ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जनता दल यू के दामोदर प्रसाद महतो को 13668 मतों से पराजित किया. इस चुनाव में जगरनाथ को 33960 तो दामोदर को 20292 मत मिले.
2014 में जगरनाथ ने की हैट्रिक: लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुके जगरनाथ महतो को लगातार तीसरी दफा झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने डुमरी से अपना उम्मीदवार बनाया. इस बार 2014 के चुनाव में जगरनाथ को भारी मत मिला. इस चुनाव में 77984 लोगों ने जगरनाथ महतो को वोट दिया. जगरनाथ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के लालचंद महतो को 32481 मतों से पराजित कर दिया. हैट्रिक लगा चुके जगरनाथ महतो वर्ष 2019 के चुनाव में एक बार फिर से झामुमो के प्रत्याशी बने. इस चुनाव में उन्हें 71128 मत मिले जो 2014 के चुनाव से कुछ कम था. हालांकि इस चुनाव में जीत का अंतर बढ़ गया. 2019 के चुनाव में जगरनाथ ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी आजसू की यशोदा देवी को 34288 मतों से हराया. 2019 के चुनाव में भाजपा की तरफ से खड़े प्रदीप साहू को 36013 मत मिला था.