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गिरिडीह में प्रबंधन और प्रशासन की नाक के नीचे लुट गया ऐतिहासिक कोक प्लांट, अपराध की दलदल में जा फंसे युवा - Giridih news

गिरिडीह का कोक प्लांट पूरी तरह लुट (Historical coke plant looted in Giridih) गया है. इस प्लांट को धरोहर बनाना था. लेकिन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही से यह बर्बाद हो चुका है. वहीं स्थानीय युवा कोक प्लांट के लोहा और कीमती धातु की चाह में अपराध की राह अपना लिया है.

Historical coke plant looted in Giridih
गिरिडीह में प्रबंधन और प्रशासन की नाक के नीचे लूट गया ऐतिहासिक कोक प्लांट
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Published : Dec 5, 2022, 1:44 PM IST

Updated : Dec 5, 2022, 6:23 PM IST

गिरिडीहः जिले के बनियाडीह में स्थित ऐतिहासिक कोक प्लांट (Historical coke plant looted in Giridih) खंडहर में तब्दील हो चुका है. यह प्लांट जिले के लिए धरोहर की तरह है. लेकिन अब यहां से करोड़ों रुपये के लोहा, कीमती धातु और महंगे ईंट को चोरों ने धीरे धीरे कर लूट लिया है. इस कोक प्लांट के लोहा और अन्य सामानों की चाह में नाबालिग और युवक अपराध की राह पर चल पड़े और वर्चस्व को लेकर मारपीट और हत्या जैसी घटना को अंजाम दे रहा है. प्लांट के लोहा ने कइयों को असामाजिक बना दिया है. तीन दिनों पहले इस प्लांट में बचे लोहा को काटने के चक्कर में एक युवक की जान चली गई. जबकि दो लोग जिंदगी मौत से जूझ रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः लोहरदगा शहर के गवर्नमेंट स्कूल की तस्वीर, सरकारी दावों की खोल रही पोल

ईस्ट इंडियन रेलवे ने जमालपुर रेलवे कारखाना में हार्ड कोक की आपूर्ति करने के लिए इस कोक प्लांट को 1905 में स्थापित किया था. 60 के दशक से यहां से हार्ड कोक, बेनजोल, सल्फ्यूरिक एसिड, अलकतरा भी बनाया जाने लगा. लेकिन कुव्यवस्था और बराकर नदी पर बना पुल टूटने के कारण 23 जून 1999 को यह प्लांट बंद हो गया. साल 2005 में भी इस प्लांट को शुरू करने के लिए खर्च किया गया, लेकिन ये खर्च कारगर साबित नहीं हुआ.

देखें पूरी खबर

प्लांट को शुरू करने का ख्वाब हर राजनीतिक दलों के नेताओं ने दिखाया. सांसद और विधायक से लेकर मंत्री यहां आते हैं तो एशिया के प्रसिद्ध इस कोक प्लांट के उत्थान करने की बातें जरूर करते. यही स्थिति कोल इंडिया के अधिकारियों का रहा. एक बार तो इस प्लांट को शुरू करने के नाम पर लाखों रुपये खर्च भी किए गए. अधिकारी को प्रतिनियुक्त किया गया. लेकिन लूट खसोट की संस्कृति ने इस प्लांट को शुरू करने ही नहीं दिया. स्थानीय पत्रकार सूरज सिन्हा कहते हैं कि जिस प्लांट को धरोहर बनाया जाना था, उसे लूटकर बर्बाद कर दिया गया. वहीं झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के नेता हरगौरी साहू भी इसके लिए प्रबंधन को जिम्मेदार बताते हैं.

साल 1999 में प्लांट जब बंद हुआ तो इसपर लोहा माफियाओं की नजर पड़ गई. माफियाओं ने कोयलांचल के कुछ युवकों को प्रलोभन दिया. इसी प्रलोभन के चक्कर मे कई लोग पड़ गए और कोक प्लांट को खोखला करने लगे. 2005 के बाद तो धड़ल्ले से यहां पर चोरी होने लगी. दिन के उजाले में गैस कटर से लोहा और कीमती धातु को काटा जाने लगा. जानकारी के अनुसार जिले के अलावा धनबाद, पश्चिम बंगाल के लोहा तस्करों ने यहां के लोहा को खरीदा और कई फैक्ट्रियों में खपाया. इस मामले में कार्रवाई भी पुलिस और प्रबंधन द्वारा की गई. लेकिन सिर्फ स्थानीय लोग ही पकड़े गए. लोहा को खपाने वाले बड़े माफिया, कुछेक फैक्ट्रियों के संचालक, कबाड़ीवालों तक पुलिस कभी नहीं पहुंच सकी. राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के नेता ऋषिकेश मिश्रा का कहना है इस प्लांट के हालात के लिए ठगने वाले नेता, अधिकारी के साथ साथ पुलिस भी जिम्मेदार है.

गिरिडीहः जिले के बनियाडीह में स्थित ऐतिहासिक कोक प्लांट (Historical coke plant looted in Giridih) खंडहर में तब्दील हो चुका है. यह प्लांट जिले के लिए धरोहर की तरह है. लेकिन अब यहां से करोड़ों रुपये के लोहा, कीमती धातु और महंगे ईंट को चोरों ने धीरे धीरे कर लूट लिया है. इस कोक प्लांट के लोहा और अन्य सामानों की चाह में नाबालिग और युवक अपराध की राह पर चल पड़े और वर्चस्व को लेकर मारपीट और हत्या जैसी घटना को अंजाम दे रहा है. प्लांट के लोहा ने कइयों को असामाजिक बना दिया है. तीन दिनों पहले इस प्लांट में बचे लोहा को काटने के चक्कर में एक युवक की जान चली गई. जबकि दो लोग जिंदगी मौत से जूझ रहे हैं.

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ईस्ट इंडियन रेलवे ने जमालपुर रेलवे कारखाना में हार्ड कोक की आपूर्ति करने के लिए इस कोक प्लांट को 1905 में स्थापित किया था. 60 के दशक से यहां से हार्ड कोक, बेनजोल, सल्फ्यूरिक एसिड, अलकतरा भी बनाया जाने लगा. लेकिन कुव्यवस्था और बराकर नदी पर बना पुल टूटने के कारण 23 जून 1999 को यह प्लांट बंद हो गया. साल 2005 में भी इस प्लांट को शुरू करने के लिए खर्च किया गया, लेकिन ये खर्च कारगर साबित नहीं हुआ.

देखें पूरी खबर

प्लांट को शुरू करने का ख्वाब हर राजनीतिक दलों के नेताओं ने दिखाया. सांसद और विधायक से लेकर मंत्री यहां आते हैं तो एशिया के प्रसिद्ध इस कोक प्लांट के उत्थान करने की बातें जरूर करते. यही स्थिति कोल इंडिया के अधिकारियों का रहा. एक बार तो इस प्लांट को शुरू करने के नाम पर लाखों रुपये खर्च भी किए गए. अधिकारी को प्रतिनियुक्त किया गया. लेकिन लूट खसोट की संस्कृति ने इस प्लांट को शुरू करने ही नहीं दिया. स्थानीय पत्रकार सूरज सिन्हा कहते हैं कि जिस प्लांट को धरोहर बनाया जाना था, उसे लूटकर बर्बाद कर दिया गया. वहीं झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के नेता हरगौरी साहू भी इसके लिए प्रबंधन को जिम्मेदार बताते हैं.

साल 1999 में प्लांट जब बंद हुआ तो इसपर लोहा माफियाओं की नजर पड़ गई. माफियाओं ने कोयलांचल के कुछ युवकों को प्रलोभन दिया. इसी प्रलोभन के चक्कर मे कई लोग पड़ गए और कोक प्लांट को खोखला करने लगे. 2005 के बाद तो धड़ल्ले से यहां पर चोरी होने लगी. दिन के उजाले में गैस कटर से लोहा और कीमती धातु को काटा जाने लगा. जानकारी के अनुसार जिले के अलावा धनबाद, पश्चिम बंगाल के लोहा तस्करों ने यहां के लोहा को खरीदा और कई फैक्ट्रियों में खपाया. इस मामले में कार्रवाई भी पुलिस और प्रबंधन द्वारा की गई. लेकिन सिर्फ स्थानीय लोग ही पकड़े गए. लोहा को खपाने वाले बड़े माफिया, कुछेक फैक्ट्रियों के संचालक, कबाड़ीवालों तक पुलिस कभी नहीं पहुंच सकी. राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के नेता ऋषिकेश मिश्रा का कहना है इस प्लांट के हालात के लिए ठगने वाले नेता, अधिकारी के साथ साथ पुलिस भी जिम्मेदार है.

Last Updated : Dec 5, 2022, 6:23 PM IST
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